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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    भारत स्वच्छ विकास तंत्र (CDM) का बहुत बड़ा लाभार्थी रहा है। इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं? अपने उत्तर के समर्थन में तर्क प्रस्तुत करें।

    24 Mar, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 पर्यावरण

    उत्तर :

    भारत स्वच्छ विकास तंत्र का एक बहुत बड़ा लाभार्थी रहा है। क्योटो प्रोटोकॉल के अनु. 12 में परिभाषित सीडीएम क्योटो प्रोटोकॉल के तहत उत्सर्जन में कमी या उत्सर्जन के नियंत्रण के लिये एक प्रतिबद्ध राष्ट्र को विकसित देशों में कम उत्सर्जन वाली परियोजनाओं को कार्यान्वित करने की अनुमति देता है। कार्बन क्रेडिट्स की बिक्री और खरीद के माध्यम से वैश्विक स्तर पर ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी लाने के लिये कार्बन बाज़ारों की स्थापना की गई।

    स्वच्छ विकास तंत्र, वैश्विक कार्बन बाज़ार के एक महत्त्वपूर्ण हिस्से को प्रदर्शित करता है। भारत में स्वच्छ विकास तंत्र की संभाव्यता पर विचार करते हुए सरकार तथा उद्योग, स्वच्छ विकास तंत्र की शुरुआत (वर्ष 2003) से ही अंतर्राष्ट्रीय कार्बन बाज़ार में अग्रसक्रिय रहे हैं। वर्ष 2014 के अंत तक सीडीएम कार्यकारी बोर्ड द्वारा पंजीकृत कुल 7589 परियोजनाओं में से 1541 परियोजनाएँ भारत से हैं, जो कि पूरे विश्व में दूसरे नंबर पर था।

    पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राष्ट्रीय सीडीएम अथॉरिटी ने579306 करोड़ रुपए से अधिक के संभाव्य निवेश के साथ 2691 परियोजनाओं को मेजबान देश द्वारा अनुमोदन प्रदान किया गया है। ये परियोजनाएँ स्वच्छ ऊर्जा, किफायती ईंधन, औद्योगिक प्रक्रियाओं में ग्रीन टेक्नॉलाजी के प्रयोग, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन तथा वानिकी जैसे क्षेत्रें में है जो पूरे देश में फैली है।

    वैश्विक तापन अथवा जलवायु परिवर्तन को लेकर जो भविष्यवाणियाँ की जा रही हैं, वे वास्तव में विश्व के भूगोल और जलवायु का वर्तमान स्वरूप बदल सकती हैं। समुद्र का जल स्तर बढ़ना, जलचक्र में दोष, सूखा, बाढ़, तूफान, तापमान में वृद्धि, वनों में आग लगना तथा मरुस्थलीकरण के साथ-साथ विभिन्न रोगों का फैलाव, जलवायु परिवर्तन के वे कुछ दुष्परिणाम होंगे, जो आने वाले समय में संसार के अनेक लोगों को भोगने होंगे। इसी कारण से स्वच्छ प्रौद्योगिकी के विकास को प्राथमिकता देने के उद्देश्य से भारत परमाणु ऊर्जा के उत्पादन पर विशेष ज़ोर दे रहा है। भारत का लक्ष्य 2050 तक परमाणु ऊर्जा से 4,70,000 मेगावाट बिजली का उत्पादन करना है। नवीकरणीय ऊर्जा के संसाधनों का उपयोग भी मौजूदा 7.7 प्रतिशत से बढाक़र 20 प्रतिशत तक ले जाने का लक्ष्य है। इन इरादों के प्रति संकल्प शक्ति की बानगी के तौर पर देश के सभी नए बनने वाले सरकारी भवनों में सौर ऊर्जा का उपयोग अनिवार्य करने पर विचार किया जा रहा है। भारत के आटोमोबाइल निर्माताओं की संस्था ने भी किफायती ईंधन की खपत वाले वाहनों के विकास के बारे में रज़ामंदी दे दी है। सरकार का इरादा 2011 तक ईंधन की किफायती खपत के मानकों को अनिवार्य रूप से लागू करना है।

    अत: यह स्पष्ट है कि दुनिया को जलवायु परिवर्तन के खतरे से बचाना है तो विकसित देशों को अपनी ज़िम्मेदारी समझकर विकासशील देशों को वित्तीय सहायता के साथ-साथ स्वच्छ और उन्नत तकनीक मुहैया कराने का प्रबंध करना होगा। पर्यावरण के अनुकूल तकनीक तक दुनिया के सभी देशों की पहुँच होनी चाहिये।

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