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ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    क्या आप मानते हैं कि प्रौद्योगिकी विकास के कारण ‘गेमिंग’ मनुष्यों में एक मानसिक विकार के रूप में विकसित होता जा रहा है? तर्क सहित विश्लेषण कीजिये।

    14 Jul, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 विज्ञान-प्रौद्योगिकी

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा

    • प्रभावी भूमिका में प्रौद्योगिकी विकास के कारण मानव व्यवहार में आए परिवर्तन को स्पष्ट करें।
    • तार्किक तथा संतुलित विषय-वस्तु में विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा इस संबंध में जारी योजना की घोषणा पर  चर्चा करें।
    • कुछ घटनाओं को उदाहरणस्वरूप स्पष्ट करें साथ ही विरोध के आधारों की भी चर्चा करें।
    • प्रश्नानुसार संक्षिप्त एवं सारगर्भित निष्कर्ष लिखें।

    प्रौद्योगिकी विकास ने मानव जीवन के हर क्षेत्र को व्यापक रूप से प्रभावित किया है चाहे वह कार्य क्षेत्र हो या मनोरंजन का क्षेत्र। वर्तमान में लोगों में प्राकृतिक खेलों से हटकर प्रौद्योगिकी खेलों की तरफ झुकाव की प्रवृत्ति देखी जा रही है ।

    विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मानसिक स्वास्थ्य स्थिति के रूप में "गेमिंग विकार" को शामिल करने के लिये एक योजना की घोषणा की है। यह पुनर्वर्गीकरण इस माह विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा अपनाए जाने वाले रोगों के अंतर्राष्ट्रीय वर्गीकरण के 11 वें पुनरीक्षण (ICD-11) का हिस्सा है।

    आईसीडी-11  के मसौदे में गेमिंग व्यवहार को एक पैटर्न ('डिजिटल-गेमिंग' या 'वीडियो-गेमिंग') जिसमें गेमिंग पर सही नियंत्रण नहीं रहता है, एक हद तक अन्य गतिविधियों के मुकाबले गेमिंग को प्राथमिकता देना या दैनिक क्रियाकलापों  की‌ अन्य गतिविधियों पर प्राथमिकता देना और नकारात्मक परिणामों की घटनाओं के बावजूद गेमिंग की निरंतरता या इसमें वृद्धि होना शामिल है, को गेमिंग विकार के रूप में परिभाषित किया गया है। मसौदे में यह भी कहा गया है कि व्यवहार पर प्रश्नचिह्न तभी लगाया जा सकता है जब तक संबंधित व्यक्ति का कार्यक्षेत्र लगभग 12 महीनों से प्रभावी रूप से असंतुलित नहीं हो। विश्व स्वास्थ्य संगठन के इस कदम के साथ ही एक बहस भी शुरू हो गई है। गौरतलब है कि दुनिया भर में बहुत सारे क्लीनिक गेमिंग व्यसन के लिये विशेष उपचार प्रदान करते हैं।

    हाल ही में कुछ ऐसी घटनाएँ भी खबरों में आई जिनमें लोगों में गेमिंग की लत व्यापक रूप से देखी जा रही है, इनमें लगातर तीन दिन तक गेम खेलने से एक व्यक्ति को कैफे में मृत पाया जाना और एक दम्पति द्वारा गेमिंग के कारण अपने बच्चों की उपेक्षा किया जाना शामिल है। 

    भारत में भी गेमिंग की आबादी तेज़ी से बढ़ रही है।  गूगल-केपीएमजी के वर्ष 2017 के अध्ययन के अनुसार, भारतीय ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री की कीमत 290 मिलियन डॉलर है और वर्ष 2021 तक इसके 1 बिलियन डॉलर तक पहुँचने का अनुमान लगाया गया है। इस अध्ययन ने ऑनलाइन गेमर्स की वर्तमान संख्या 120 मिलियन बताई है। साथ ही, अनुमान लगाया कि तेज़ी से इंटरनेट के प्रवेश और सस्ते स्मार्टफोन विकल्पों के माध्यम से 2021 तक यह संख्या 310 मिलियन तक पहुँच सकती है।

    हालाँकि आलोचकों ने इसे विकार के रूप में औपचारिक तौर पर शामिल करने का विरोध किया है। उनकी चिंता है कि इस “अपरिपक्व वर्गीकरण” का उपचार और नीति-निर्माण पर हानिकारक प्रभाव पड़ेगा। साथ ही, यह तर्क प्रस्तुत किया गया है कि इसका एक विकार के रूप में समय पूर्व वर्गीकरण उपचार के दुरुपयोग को बढ़ावा देगा। उन्होंने यह भी कहा है कि ऐसे में जब गेमिंग को विकार के रूप में शामिल करने के लिये लक्षणों की कोई निर्धारित सूची नहीं है, तो क्या चिकित्सक उस बिंदु का निर्धारण कर पाएंगे जिस पर व्यसन विकार बन जाता है?

    उपर्युक्त आलोचनाओं के आधार पर विश्व स्वास्थ्य संगठन इस बात पर सहमत हैं कि जिस बिंदु पर गेमिंग एक लत के रूप में सामान्य दिनचर्या को बाधित करती है, उस पर और अधिक शोध की ज़रूरत है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का विश्वास है कि इसे विकार के रूप में मान्यता प्रदान करना पूरे विश्व में अनुसंधान को बढ़ावा देगा।

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