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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    प्रौद्योगिकी के विकास के साथ-साथ महिलाओं के विरुद्ध साइबर अपराधों में भारी वृद्धि हुई है। महिलाओं के विरुद्ध इन अपराधों से निपटने में आने वाली चुनौतियों की चर्चा करते हुए इन अपराधों की रोकथाम के लिये सरकार द्वारा किए गये प्रयासों का उल्लेख करें।

    26 Jun, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    उत्तर :

    आधुनिक दूरसंचार उपकरणों जैसे- कंप्यूटर, इंटरनेट, मोबाइल आदि का प्रयोग करते हुए लोगों को शारीरिक या मानसिक चोट पहुँचाना अथवा प्रत्यक्ष या परोक्ष नुकसान पहुँचाना साइबर अपराध कहलाता है। साइबर अपराध किसी देश की सुरक्षा और वित्तीय स्वास्थ्य के लिये गंभीर खतरा है।

    सूचना प्रौद्योगिकी के तीव्र विकास के साथ-साथ महिलाओं के विरुद्ध होने वाले साइबर अपराधों में भी लगातार वृद्धि हो रही है। इनमें ई-मेल के माध्यम से उत्पीड़न, साइबर स्टॉकिंग (फोन, संदेश, वीडियो आदि के माध्यम से धमकी देना अथवा डराना), अश्लील सामग्री का प्रसार, ई-मेल स्पूफिंग (E - mail - Spoofing) के माध्यम से महिलाओं की व्यक्तिगत जानकारी एवं तस्वीरें निकालना एवं उनके आधार पर उन्हें ब्लैकमेल करना, साइबर पाोर्नोग्राफी जैसे अपराध शामिल हैं।

    महिलाओं के विरुद्ध साइबर अपराधों से निपटने में चुनौतियाँः

    • सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (I T Act, 2000) में हैकिंग, इंटरनेट पर अश्लील सामग्री का प्रसार, डेटा से छेड़-छाड़, गोपनीयता का उल्लंघन, धोखाधड़ी के उद्देश्य से प्रकाशन आदि को दंडनीय अपराध घोषित किया गया है लेकिन महिलाओं की  सुरक्षा के खतरे को इस अधिनियम में विशिष्ट रूप से शामिल नहीं किया गया है।
    • इस अधिनियम में साइबर स्टॉकिंग, ई-मेल स्पूफिंग जैसे विशिष्ट साइबर अपराधों को चिह्नित नहीं किया गया है।
    • महिलाओं के ऑनलाइन उत्पीड़न मामलों को सरकार के पास कोई रिकॉर्ड नहीं है जिससे उनसे संबंधित अपराधों के आंकड़ों का विश्लेषण करना मुश्किल होता है।
    • इंटरनेट दुर्व्यापार का मंच बन गया है तथा इसका विस्तार राष्ट्रीय सीमाओं से पार होने के कारण राष्ट्रीय कानूनों के माध्यम से ऐसे दुर्व्यापार को रोक पाना संभव नहीं होता।

    महिलाओं के विरुद्ध साइबर अपराधों की रोकथाम के लिये सरकार द्वारा उठाये गए कदमः

    • साइबर अपराधों की जांच के लिये राज्यों एवं संघशासी  प्रदेशों में ‘साइबर अपराध प्रकोष्ठ’ (Cyber security cell) स्थापित किये गए है।
    • अनेक राज्यों में ‘साइबर अपराध प्रशिक्षण एवं जांच प्रयोगशालाएँ’ स्थापित की गई है जो राज्यों में साइबर कानूनों के प्रवर्तन एवं न्यायपालिका के प्रशिक्षण में सहायक सिद्ध होगी। इन प्रयोगशालाओं में पुलिस अधिकारियों एवं न्यायिक अधिकारियों को प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है।
    • सरकार एवं विभिन्न विधि विश्वविद्यालयों द्वारा साइबर अपराधों के संबंध में जानकारी प्रदान करने के लिये जागरूकता एवं प्रशिक्षण कार्यक्रमों का संचालन किया जा रहा है।
    • साइबर अपराध से पीड़ित महिलाओं की सहायता के लिये ‘महिला हेल्पलाइन’ प्रारंभ की गई है।

    इस प्रकार, सरकार द्वारा ठोस नीतिगत कदमों और उनके उपर्युक्त कार्यान्वयन के साथ-साथ जागरूकता का प्रसार कर साइबर अपराधों से महिलाओं की गरिमा एवं सम्मान को बचाया जाना चाहिए।

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