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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में हुए किसान आंदोलनों का चरित्र, उद्देश्य व दृष्टिकोण ही इन आंदोलनों को राष्ट्रवादी आंदोलन से नहीं जोड़ पाया। विवेचना कीजिये।

    27 Jun, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहास

    उत्तर :

    19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में नील आंदोलन (1859-60), पाबना विद्रोह (1873-76) और दक्कन विद्रोह (1874) जैसे बड़े किसान आंदोलन हुए। इन किसान आंदोलनों की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित थी-

    • इन आंदोलनों में किसानों ने अपनी मांगों व समस्याओं को लेकर सीधा लड़ना प्रारम्भ कर दिया था।
    • किसानों के मुख्य दुश्मन विदेशी बागान मालिक, देशी जमींदार, महाजन व सूदखोर थे क्योंकि किसानों की मांगे मुख्यतया आर्थिक समस्याओं से ही संबंधित होती थी।
    • इन आंदोलनों में निरंतरता एवं दीर्घकालीन संगठन का अभाव था।
    • इन आंदोलनों का प्रसार क्षेत्र सीमित था। 
    • ये किसान आंदोलन विशिष्ट तथा सीमित उद्देश्यों एवं व्यक्तिगत समस्याओं से संबद्ध होते थे।
    • इन आंदोलनों का उद्देश्य ‘अधीनस्थ व्यवस्था’ को समाप्त करना नहीं था अपितु ये किसानों की तात्कालिक समस्याओं से संबद्ध था।
    • अब तक किसान अपने विधिक अधिकारों से परिचित हो गए थे तथा वे कानूनी तरीके से संघर्ष करने के पक्षधर थे।
    • इन आंदोलनों का सबसे महत्त्वपूर्ण पहलू यह था कि इनमें उपनिवेशवाद के विरूद्ध आवाज नहीं उठायी गई। 

    इन आंदोलनों की दुर्बलताएँ जिनके कारण ये राष्ट्रवादी आंदोलन से नहीं जुड़ पाए-

    • इन आंदोलनकर्त्ताओं में उपनिवेशवाद के चरित्र को समझने का अभाव था।
    • इन किसानों में राष्ट्रवादी विचारधारा का अभाव था तथा इनके आंदोलनों में नए सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक कार्यक्रम ही सम्मिलित नहीं होते थे।
    • इन संघर्षों का स्वरूप यद्यपि हिंसक था किंतु ये परम्परागत ढाँचों पर ही अवलम्बित थे।
    • इन आंदोलन के नेतृत्व में सकारात्मक व राष्ट्रवादी दृष्टिकोण का अभाव था।

    इस प्रकार उस दौर के किसान आंदोलन अपने व्यक्तिगत उद्देश्यों, क्षेत्रवादी चरित्र तथा सीमित दृष्टिकोण के कारण खुद को राष्ट्रवादी आंदोलन से नहीं जोड़ पाए।

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