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प्रश्न :
प्रश्न. भारत की प्रशासनिक व्यवस्था को नियम-आधारित प्रणाली से भूमिका-आधारित प्रणाली में रूपांतरित करने में मिशन कर्मयोगी की क्षमता का मूल्यांकन कीजिये। कौन-सी संस्थागत चुनौतियाँ इसकी सफलता में बाधा बन सकती हैं? (250 शब्द)
04 Nov, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्थाउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- मिशन कर्मयोगी के संदर्भ में संक्षिप्त जानकारी देकर उत्तर प्रस्तुत कीजिये।
- भूमिका-आधारित प्रणाली में परिवर्तन की संभावनाओं पर गहन विचार कीजिये।
- सफलता में बाधक संस्थागत चुनौतियों और बेहतर सफलता व चुनौतियों को कम करने के उपायों पर प्रकाश डालिये।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
मिशन कर्मयोगी (राष्ट्रीय सिविल सेवा क्षमता निर्माण कार्यक्रम - NPCSCB), जिसे वर्ष 2020 में शुरू किया गया था, भारत की प्रशासनिक व्यवस्था में बदलाव लाने के उद्देश्य से एक ऐतिहासिक सुधार है। इसकी मुख्य क्षमता सिविल सेवाओं को नियम-आधारित से भूमिका-आधारित मानव संसाधन प्रबंधन (HRM) प्रणाली में परिवर्तित करने में निहित है।
मुख्य भाग:
भूमिका-आधारित प्रणाली में परिवर्तन की संभावनाएँ
'नियम-आधारित' प्रणाली (वरिष्ठता, सामान्यज्ञ ज्ञान और कठोर प्रक्रियाओं के पालन पर केंद्रित) से भूमिका-आधारित प्रणाली (नौकरी की आवश्यकताओं के अनुरूप योग्यताओं पर केंद्रित) में परिवर्तन अपार संभावनाएँ प्रदान करता है:
विशेषताएँ नियम-आधारित प्रणाली (पुरानी) भूमिका-आधारित प्रणाली (लक्ष्य) मानव संसाधन का केंद्रबिंदु वरिष्ठता, सामान्यज्ञ कौशल और प्रक्रियात्मक अनुपालन। विशिष्ट भूमिका के लिये योग्यता (दृष्टिकोण, कौशल, ज्ञान– ASK) प्रशिक्षण अनियमित, आपूर्ति-आधारित, सभी के लिये एक जैसा प्रशिक्षण। माँग-आधारित, निरंतर, ऑन-साइट और अनुकूल डिजिटल अधिगम (iGOT-कर्मयोगी)। कार्य आवंटन कैडर/संवर्ग और विभाग के नियमों के आधार पर। भूमिकाओं, गतिविधियों और योग्यताओं के कार्यढाँचे (FRAC) पर आधारित। परिणाम प्रशासनिक व्यवस्था जड़ता, अनावश्यक प्रक्रियाएँ और 'अलगाववादी' मानसिकता। नागरिक-केंद्रित शासन, विशेषज्ञता और उत्तम सेवा-प्रदाय। कॅरियर प्रगति मुख्यतः कार्यकाल/वरिष्ठता पर आधारित। क्षमता-वृद्धि तथा सतत् आत्म-विकास से संबद्ध सफलता में बाधक संस्थागत चुनौतियाँ
- प्रशासनिक व्यवस्था जड़ता और परिवर्तन का प्रतिरोध:
- यथास्थिति की मानसिकता: परिणामों के स्थान पर नियमों के अनुपालन को प्राथमिकता देने वाली गहरी जड़ें जमा चुकी प्रशासनिक संस्कृति परिवर्तन का विरोध करती है तथा अनेक बार अल्प-प्रदर्शनकारी कर्मियों को भी संरक्षण प्रदान करती है।
- वरिष्ठता बनाम योग्यता: पदोन्नति और पदस्थापन में वरिष्ठता से योग्यता-आधारित मॉडल की ओर बढ़ना कठिन है क्योंकि यह वर्तमान कर्मियों की पारंपरिक कॅरियर संरचना को चुनौती देता है।
- डिजिटल डिवाइड और उपलब्धता की समस्या:
- iGOT-कर्मयोगी प्लेटफॉर्म जैसे डिजिटल मंच पर निर्भरता उन क्षेत्रों में चुनौती उत्पन्न करती है जहाँ इंटरनेट उपलब्धता सीमित है या जहाँ वरिष्ठ आयु के अधिकारियों में डिजिटल अधिगम की सहजता कम है। इससे क्षमता-निर्माण की प्रक्रिया असमान हो सकती है।
- एकीकरण और कार्यान्वयन में कमियाँ:
- क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर समन्वय: भारत की संघीय संरचना और प्रशासनिक विविधता को देखते हुए सभी मंत्रालयों, विभागों तथा राज्यों (ऊर्ध्वाधर एवं क्षैतिज समन्वय) में एक समान रूप से इस कार्यढाँचे को अपनाना अत्यंत जटिल कार्य है।
- सामग्री की गुणवत्ता: 46 लाख केंद्रीय कर्मचारियों के लिये विशाल मात्रा में प्रशिक्षक-सामग्री की गुणवत्ता, प्रासंगिकता और सहभागिता सुनिश्चित करना एक परिचालनात्मक चुनौती है ताकि यह केवल औपचारिकता न बन जाये।
- राजनीतिक हस्तक्षेप और मानव संसाधन निर्णय:
- बार-बार और मनमाने स्थानांतरण: भूमिका-आधारित मानव संसाधन प्रबंधन में मूलभूत बदलाव बार-बार और मनमाने राजनीतिक स्थानांतरण जैसे मुद्दों के कारण कमज़ोर होता है, जो अधिकारियों को एक ही भूमिका में डोमेन विशेषज्ञता हासिल करने से रोकते हैं।
- जब राजनीतिक विवेक कई बार योग्यता और स्थिरता पर हावी होता है, तब FRAC आधारित वैज्ञानिक पदस्थापन और प्रदर्शन-मूल्यांकन ढाँचा प्रभावी रूप से लागू नहीं हो पाता।
बेहतर सफलता और चुनौतियों को कम करने के उपाय
- प्रशासनिक प्रतिरोध का समाधान (संस्थागत संस्कृति में परिवर्तन)
- प्रोत्साहन और मान्यता: iGOT मॉड्यूलों के सफलतापूर्वक पूर्ण होने तथा नयी दक्षताओं के अर्जन को वार्षिक कार्य निष्पादन मूल्यांकन प्रतिवेदन (APAR), पदोन्नतियों तथा लाभकारी विदेशी तैनातियों से सीधे जोड़ना चाहिये।
- शीर्ष नेतृत्व का समर्थन: उच्चतम राजनीतिक तथा प्रशासनिक नेतृत्व (कैबिनेट सचिव, सचिवों) की सक्रिय व दृश्य प्रतिबद्धता सुनिश्चित की जानी चाहिये ताकि वे इस सुधार को सार्वजनिक रूप से समर्थन तथा अनिवार्य कर सकें।
- हितधारक परामर्श: नागरिक सेवा संघों तथा सेवानिवृत्त, आदर्श माने गये अधिकारियों को iGOT पाठ्यक्रमों के डिजाइन और प्रतिक्रिया तंत्र में सम्मिलित कर स्वामित्व की भावना विकसित की जानी चाहिये।
- डिजिटल डिवाइड को पाटना
- बुनियादी अवसंरचना निवेश: दूरस्थ क्षेत्रीय स्थलों तथा जनपद मुख्यालयों में इंटरनेट एवं डिजिटल एक्सेस में सुधार हेतु निवेश किया जाना चाहिये।
- मिश्रित अधिगम मॉडल: जहाँ कनेक्टिविटी कमज़ोर है अथवा अधिकारी डिजिटल रूप से कम सक्षम हैं वहाँ iGOT प्लेटफॉर्म के साथ भौतिक कार्यशालाओं तथा व्यक्तिगत मार्गदर्शन को जोड़ा जाना चाहिये।
- संस्थागत तंत्रों को सुदृढ़ बनाना
- FRAC का अनिवार्य क्रियान्वयन: सभी मंत्रालयों/विभागों को एक निश्चित समय-सीमा के भीतर FRAC (भूमिकाओं, गतिविधियों और दक्षताओं का ढाँचा) अभ्यास पूरा करने तथा सभी भर्ती एवं नियुक्ति निर्णयों को इन कार्यढाँचों से जोड़ने का आदेश दिया जाना चाहिये।\
- CBC को स्वायत्तता: क्षमता निर्माण आयोग (CBC) को अनुपालन लागू करने, मंत्रालयों की क्षमता निर्माण योजनाओं का लेखा-परीक्षण करने और बाध्यकारी नीतिगत अनुशंसा प्रदान करने के लिये अधिक स्वायत्तता एवं अधिकार प्रदान किये जाने चाहिये।
- अंतर-संवर्ग और अंतर-विभागीय गतिशीलता: विशेष रूप से मध्य-कॅरियर स्तरों पर विशेषज्ञता के संवर्द्धन तथा अंतर-क्षेत्रीय अधिगम को प्रोत्साहित करने के लिये एक संरचित, दक्षताधारित तंत्र विकसित किया जाना चाहिये जो लैटरल एंट्री तथा ऊर्ध्व-गतिशीलता को सुलभ बनाये और 'साइलो' प्रवृत्ति को घटाये।
- मनमाने मानव संसाधन निर्णयों में कमी
- न्यूनतम निश्चित कार्यकाल: सभी महत्त्वपूर्ण दायित्वों तथा क्षेत्र-विशिष्ट भूमिकाओं में न्यूनतम निश्चित कार्यकाल को सख्ती से लागू किया जाना चाहिये, जैसा कि होटा समिति द्वारा अनुशंसित तथा सर्वोच्च न्यायालय द्वारा टी.एस.आर. सुब्रमण्यनमामले में प्रतिपादित किया गया है।
- दक्षता-आधारित पदस्थापना: विशेषज्ञ भूमिकाओं हेतु स्थानांतरण तथा पोस्टिंग का निर्धारण केंद्रीय असाइनमेंट बोर्ड द्वारा अधिकारी की सत्यापित दक्षताओं और iGOT पर उपलब्ध प्रशिक्षण आकलनों के आधार पर किया जाना चाहिये।
निष्कर्ष:
मिशन कर्मयोगी एक साहसिक और अत्यंत आवश्यक पहल है जो द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग (ARC) द्वारा अनुशंसित प्रशासनिक सुधारों की भावना को समाहित करती है। नियम-आधारित से भूमिका-आधारित प्रतिमान परिवर्तन को प्राप्त करने की इसकी क्षमता FRAC दृष्टिकोण के सफल कार्यान्वयन और iGOT प्लेटफॉर्म के प्रभावी उपयोग पर निर्भर करती है।
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