- फ़िल्टर करें :
- सैद्धांतिक प्रश्न
- केस स्टडीज़
-
प्रश्न :
वरिष्ठ लोक सेवक अरविंद मेहता वर्तमान में वित्त मंत्रालय में बजट प्रभाग के प्रमुख हैं। उनका प्रभाग वर्तमान में विभिन्न राज्यों को बजटीय सहायता आवंटित करने में कार्यरत है, जिनमें से चार राज्यों में चालू वित्त वर्ष के दौरान विधानसभा चुनाव होने हैं।
नवीनतम केंद्रीय बजट के अनुसार, राष्ट्रीय आवास योजना (NHS) के लिये ₹8,300 करोड़ से अधिक आवंटित किये गए थे, जो एक प्रमुख केंद्र प्रायोजित कल्याण कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य कमज़ोर वर्गों को किफायती आवास उपलब्ध कराना है। जून तक, इस योजना के तहत ₹775 करोड़ पहले ही वितरित किये जा चुके थे।
इसके समानांतर, वाणिज्य मंत्रालय निर्यात को बढ़ावा देने के लिये एक दक्षिणी राज्य में विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) की स्थापना पर काम कर रहा था। केंद्र एवं राज्य के बीच करीब दो वर्ष के परामर्श के बाद, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अगस्त में अपनी मंजूरी दे दी और तब से भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
एक अन्य घटनाक्रम में, एक सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (PSU) ने क्षेत्रीय गैस ग्रिड को समर्थन देने के लिये एक उत्तरी राज्य में प्राकृतिक गैस प्रसंस्करण संयंत्र का प्रस्ताव रखा था, जो देश की ऊर्जा सुरक्षा रणनीति का एक अनिवार्य तत्त्व है। परियोजना के लिये भूमि पहले से ही उपलब्ध है तथा तीन चरणों की वैश्विक निविदा प्रक्रिया के बाद एक बहुराष्ट्रीय कंपनी M/s XYZ हाइड्रोकार्बन्स को अनुबंध प्रदान किया गया। भुगतान की पहली किस्त दिसंबर के लिये निर्धारित है।
इन दो प्रमुख विकास परियोजनाओं की वित्तपोषण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये अतिरिक्त ₹6,000 करोड़ की आवश्यकता है। यह प्रस्तावित किया गया है कि इस राशि को NHS बजट से पुनर्विनियोजित किया जाए। इस पुनर्आवंटन के लिये अनुमोदन मांगने वाली फाइल को जाँच और प्रसंस्करण के लिये बजट प्रभाग को भेजा गया था।
फाइल की समीक्षा करने पर, अरविंद मेहता चिंतित हो गए। उन्हें एहसास हुआ कि NHS द्वारा धन आवंटन रोकने से इसके कार्यान्वयन में विलंब हो सकता है, एक ऐसी योजना जिसे वरिष्ठ राजनीतिक हस्तियों द्वारा व्यापक रूप से बढ़ावा दिया गया है और जो चुनावी प्रतिबद्धताओं से निकटता से जुड़ी हुई है। दूसरी ओर, SEZ और गैस प्लांट को धन आवंटन में विलंब से राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर बहुत बड़ा वित्तीय नुकसान हो सकता है और प्रतिष्ठा धूमिल हो सकती है। अपने वरिष्ठों के साथ इस मुद्दे को उठाने पर, अरविंद को सलाह दी गई कि यह मामला राजनीतिक रूप से संवेदनशील है और इसे बिना विलंब किये तीव्र गति से आगे बढ़ाया जाना चाहिये।
प्रश्न:
(a) कल्याणकारी कार्यक्रम से विकास परियोजनाओं के लिये धन के पुनर्आबंटन में शामिल नैतिक मुद्दों का अभिनिर्धारण कीजिये।
(b) सार्वजनिक संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी के मद्देनजर अरविंद मेहता के पास क्या विकल्प उपलब्ध हैं? क्या अपने पद से इस्तीफा देना उचित या नैतिक कदम होगा?
25 Apr, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़उत्तर :
वित्त मंत्रालय में बजट प्रभाग का नेतृत्व करने वाले प्रतिष्ठित लोक सेवक अरविंद मेहता को दो प्रमुख विकास परियोजनाओं— एक SEZ और एक प्राकृतिक गैस संयंत्र के लिये राष्ट्रीय आवास योजना (NHS) से ₹6,000 करोड़ का पुनर्आवंटन करने को लेकर संघर्ष का सामना करना पड़ रहा है। यद्यपि NHS सीमांत समुदायों का समर्थन करता है, तथापि विकास परियोजनाएँ महत्त्वपूर्ण आर्थिक और कूटनीतिक महत्त्व रखती हैं। अरविंद को उनकी चिंताओं के बावजूद बिना विलंब किये के फंड पुनर्आवंटन में तेज़ी लाने का निर्देश दिया गया है।
हितधारक
चिंताएँ/रुचियाँ
अरविंद मेहता (लोक सेवक)
पारदर्शिता, निष्पक्षता और वित्तीय विवेकशीलता बनाए रखने का कर्त्तव्य।
NHS के लाभार्थी
किफायती आवास और समावेशी कल्याण तक समय पर पहुँच का अधिकार।
वित्त एवं वाणिज्य मंत्रालय
विकास परियोजनाओं का बिना किसी विलंब के सफल क्रियान्वयन।
राजनीतिक नेतृत्व
जनता की धारणा को प्रबंधित करना और चुनावी वादों को पूरा करना।
अंतर्राष्ट्रीय हितधारक (MNC)
संविदात्मक दायित्वों और भारत की वैश्विक विश्वसनीयता पर भरोसा।
(a) कल्याणकारी कार्यक्रम से विकास परियोजनाओं के लिये धन के पुनर्आवंटन में शामिल नैतिक मुद्दों का अभिनिर्धारण कीजिये।
- जनहित और राजनीतिक दबाव: अरविंद को राष्ट्रीय आवास योजना (NHS) के माध्यम से सीमांत समुदायों के कल्याण को बनाए रखने तथा आर्थिक और कूटनीतिक लाभ के लिये विकास परियोजनाओं को प्राथमिकता देने वाले राजनीतिक निर्देशों का पालन करने के बीच संघर्ष का सामना करना पड़ रहा है।
- विधि का शासन: कल्याणकारी योजना से धन का पुनर्आवंटन करने से सामाजिक न्याय के प्रति संवैधानिक प्रतिबद्धताओं (अनुच्छेद 38 और 39 के अंतर्गत नीति निदेशक तत्त्वों) को नुकसान पहुँचने का खतरा है।
- अरविंद को संवैधानिक मूल्यों का पालन करने और सुविधाजनक, राजनीतिक रूप से प्रेरित कार्यों के बीच नैतिक संघर्ष का सामना करना पड़ रहा है।
- पारदर्शिता बनाम प्रशासनिक अनुपालन: पूरी तरह से जाँच किये बिना धन के दुरुपयोग में तेज़ी लाने का दबाव पारदर्शिता और जवाबदेही के सिद्धांतों को चुनौती देता है।
- अरविंद को जनता का विश्वास बनाए रखने और आंतरिक प्रशासनिक दबावों के आगे झुकने के बीच नैतिक विसंगति का अनुभव होता है।
- उपयोगितावादी दुविधा बनाम आर्थिक लाभ: अरविंद इस बात से जूझ रहे हैं कि क्या SEZ तथा ऊर्जा अवसंरचना विकास के दीर्घकालिक आर्थिक और कूटनीतिक लाभ NHS में विलंब से होने वाले अल्पकालिक नुकसान को नैतिक रूप से उचित ठहरा सकते हैं, जो सीधे तौर पर कमज़ोर आबादी को प्रभावित करता है।
- पेशेवर सत्यनिष्ठा बनाम कॅरियर सुरक्षा: यह स्थिति अरविंद की पेशेवर सत्यनिष्ठा की परीक्षा लेती है तथा उसे व्यक्तिगत कॅरियर उन्नति और स्थायित्व के विचारों के विरुद्ध खड़ा करती है।
- नैतिक शासन को कायम रखने से पेशेवर जोखिम उत्पन्न हो सकता है, जबकि अनुपालन से लोक सेवक के रूप में उनकी नैतिक जिम्मेदारी से समझौता हो सकता है।
(b) सार्वजनिक संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी के मद्देनजर अरविंद मेहता के पास क्या विकल्प उपलब्ध हैं? क्या अपने पद से इस्तीफा देना उचित या नैतिक कदम होगा?
विकल्प 1: निर्देशानुसार पुनर्विनियोजन को मंजूरी देना
- लाभ: धन का पुनर्विनियोजन, खाद्य वितरण, स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा जैसे अत्यावश्यक कल्याणकारी कार्यक्रमों के लिये समय पर वित्तीय संसाधन सुनिश्चित करता है, अल्पकालिक नकदी प्रवाह संबंधी समस्याओं का समाधान करता है तथा आवश्यक सेवाओं में विलंब को रोकता है।
- विपक्ष: अन्य क्षेत्रों से धन का पुनः आवंटन करके, यह मूल बजट आवंटन को बाधित करता है और दीर्घकालिक वित्तीय नियोजन की अखंडता को कमज़ोर करता है। इससे भविष्य में अन्य क्षेत्रों में अप्रत्याशित वित्तीय घाटे हो सकते हैं।
विकल्प 2: आधिकारिक तौर पर अनुमोदन और आपत्तियों को दर्ज करने से इनकार करना
- पक्ष: कमज़ोर वर्गों के प्रति नैतिक जिम्मेदारी, पारदर्शिता और कर्त्तव्य को कायम रखता है तथा केन्द्रीय सिविल सेवा (आचरण) नियमावली, 1964 के तहत असहमति दर्ज करके अरविंद को कानूनी रूप से संरक्षण देता है।
- बजटीय आवंटन के लिये संसदीय जवाबदेही का सम्मान करता है।
- नुकसान: प्रशासनिक अप्रसन्नता, स्थानांतरण या कॅरियर में ठहराव का खतरा।
- निर्णय लेने में विलंब हो सकता है।
विकल्प 3: वैकल्पिक समाधान तलाशना (चरणबद्ध पुनर्विनियोजन, अतिरिक्त वित्तपोषण स्रोत)
- लाभ: वैकल्पिक समाधान जैसे चरणबद्ध पुनर्विनियोजन, अतिरिक्त वित्तपोषण स्रोत कल्याण और विकास लक्ष्यों दोनों में संतुलन स्थापित करते हैं तथा रचनात्मक समस्या समाधान एवं नेतृत्व का प्रदर्शन करते हैं।
- यह कमज़ोर समूहों को होने वाली हानि को न्यूनतम करता है।
- विपक्ष: वैकल्पिक समाधान राजनीतिक तात्कालिकता को संतुष्ट नहीं कर सकता है और इसके लिये जटिल अंतर-मंत्रालयी समन्वय की आवश्यकता होगी, जिससे तत्काल निर्णय लेने में विलंब हो सकता है।
विकल्प 4: विरोध स्वरूप इस्तीफा देना
- पक्ष: अरविंद ने पद से इस्तीफा दे दिया, पूर्ण नैतिक प्रतिबद्धता कायम रखते हुए अनैतिक प्रथाओं के खिलाफ एक कड़ा संदेश भेजा।
- विपक्ष: अरविंद को उस प्रभावशाली पद से हटा दिया गया जहाँ वह नैतिक निर्णय लेना जारी रख सकते थे।
- इसे व्यवस्था में भीतर से सुधार लाने के अवसर को त्यागने के रूप में देखा जा सकता है।
अनुशंसित कार्यवाही:
- उन्होंने पुनर्आवंटन प्रस्ताव पर आधिकारिक रूप से अपनी आपत्ति दर्ज करानी चाहिये, जिसमें कल्याण संबंधी प्राथमिकताओं के उल्लंघन का हवाला दिया जाए तथा NHS को नुकसान पहुँचने पर सरकार पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका जताया जा सकता है।
- वैकल्पिक वित्तीय व्यवस्था का प्रस्ताव किया जाना चाहिये, जैसे चरणबद्ध वित्तपोषण या अन्यत्र गैर-महत्त्वपूर्ण व्यय का अभिनिर्धारण करना, जिससे राजकोषीय विवेकशीलता कायम रहे।
- पारदर्शिता से संवाद करना: कल्याणकारी निधियों के दुरुपयोग में शामिल संवैधानिक और नैतिक जोखिमों के संदर्भ में उच्च अधिकारियों से संवाद करने की आवश्यकता है।
निष्कर्ष:
जैसा कि चाणक्य ने बुद्धिमानी से कहा था, 'राजा को प्रजा की रक्षा उसी प्रकार करनी चाहिये जैसे वह अपने बच्चों की करता है।' अरविंद के संदर्भ में यह सिद्धांत विशेष रूप से प्रासंगिक है। एक नेता होने के नाते, अरविंद को सीमांत समुदायों के कल्याण को प्राथमिकता देनी चाहिये, भले ही राजनीतिक दबाव उसे इसके विपरीत करने को कहें। धन के अनैतिक विचलन का विरोध करके तथा व्यावहारिक समाधानों पर ध्यान केंद्रित करके, अरविंद यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि विकास लक्ष्य और वंचितों का कल्याण दोनों सुरक्षित रहें।
To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.
Print