इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    चट्टानों (शैलों) के प्रमुख प्रकारों का परिचय देते हुए उनकी विशेषताओं का उल्लेख करें।

    28 Nov, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोल

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा:

    • चट्टानों का संक्षिप्त परिचय दें।
    • चट्टानों के प्रकार और उनकी विशेषताओं को बिंदुवार लिखें।

    भू-पर्पटी शैलों से बनी है। किसी शैल का निर्माण एक से अधिक खनिज़ों से मिलकर होता है। चट्टान कठोर या नरम तथा विभिन्न रंगों की हो सकती है। जैसे- ग्रेनाईट कठोर तथा सेलखेड़ी नरम है। गैब्रो काला तथा क्वार्टजाइट दूधिया सफेद हो सकता है। शैलों में खनिज घटकों का कोई निश्चित संघटन नहीं होता है। 

    शैलों के विभिन्न प्रकार हैं, जिनको उनकी निर्माण पद्धति के आधार पर तीन समूहों में विभाजित किया गया है-

    • आग्नेय शैल (Igneous rocks)- आग्नेय शैल का निर्माण पृथ्वी के आंतरिक भाग के मैग्मा एवं लावा से होता है। अतः इनको प्राथमिक शैलें भी कहते हैं। मैग्मा के ठंडे होकर घनीभूत हो जाने पर आग्नेय शैलों का निर्माण होता है। जब अपनी ऊपरगामी गति में मैग्मा ठंडा होकर ठोस बन जाता है, तो यह आग्नेय शैल कहलाता है। ठंडा तथा ठोस बनने की यह प्रक्रिया पृथ्वी की पर्पटी या सतह पर हो सकती है। ग्रेनाइट, गैब्रो, पैग्मेटाइट, बैसाल्ट आदि आग्नेय शैलों के उदाहरण हैं। 
      ► आग्नेय चट्टानें स्थूल परत रहित एवं जीवाश्म रहित होती हैं। 
      ► ये चट्टानें आर्थिक रूप से उपयोगी मानी जाती हैं। इन चट्टानों में लोहा, निकिल, ताँबा, सीसा, जस्ता, क्रोमाइट, मैंगनीज, सोना तथा प्लेटिनम आदि पाए जाते हैं। 
      ► झारखण्ड में पाया जाने वाला अभ्रक इन्हीं शैलों में मिलता है। 
      ► आग्नेय चट्टान चट्टानें कठोर और रवेदार होती हैं। इन चट्टानों पर रासायनिक अपक्षय का बहुत कम प्रभाव पड़ता है। 
      ► इनमें किसी भी प्रकार के जीवाश्म नहीं पाए जाते हैं। इन चट्टानों का अधिकांश विस्तार ज्वालामुखी क्षेत्रों में पाया जाता है। 
    • अवसादी शैल (Sedimentary Rocks)- पृथ्वी सतह की शैलें अपक्षयकारी कारकों के प्रति अनावृत्त रहती हैं, जो विभिन्न प्रकार के विखंडों में विभाजित होती हैं। ऐसे उपखंडों का विभिन्न बहिर्जनित कारकों के द्वारा संवहन एवं निक्षेप होता है। सघनता द्वारा ये संचित पदार्थ शैलों में परिणत होते जाते हैं। यह प्रक्रिया शिलीभवन (lithification) कहलाती है। चूना पत्थर, कोयला, गीज़राइट, बालुकाश्म आदि अवसादी शैलों के उदाहरण हैं। 
      ► अवसादी चट्टानें अधिकांशत: परतदार होती हैं। 
      ► इन पर अपक्षय का प्रभाव जल्दी पड़ता है।
      ► इनमें वनस्पति एवं जीव-जन्तुओं के जीवाश्म बड़ी मात्रा में पाए जाते हैं। 
      ► खनिज तेल अवसादी चट्टानों में पाया जाता है। अप्रवेश्य चट्टानों की दो परतों के बीच यदि प्रवेश्य शैल की परत आ जाए, तो खनिज तेल के लिये अनुकूल स्थिति बन जाती है। 
      ► दामोदर, महानदी तथा गोदावरी नदी बेसिनों की अवसादी चट्टानों में कोयला पाया जाता है। 
    • रूपांतरित शैलें (Metamorphic rocks)- दाब, आयतन और ताप में परिवर्तन की प्रक्रिया के फलस्वरूप इन शैलों का निर्माण होता है। जब विवर्तनिक प्रक्रिया के कारण शैलें निचले स्तर की ओर बलपूर्वक खिसक जाती हैं या जब ऊपरी शैलों के कारण निचली शैलों पर दबाव पड़ता है, तब कायांतरण होता है। स्लेट, शिस्ट, संगमरमर, क्वार्टज़ आदि रूपांतरित शैलों के उदाहरण हैं। 
      ► अवसादी एवं आग्नेय चट्टानों में ताप एवं दाब में परिवर्तन के कारण रूपांतरित चट्टानों का निर्माण होता है।
      ► इन शैलों में रवे (crystals) भी पाए जाते हैं। 
      ► यह अन्य शैलों से अधिक कठोर होती हैं तथा इनमें छिद्र नहीं होते हैं।

    To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

    Print
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow