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ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    भारत में बैंकिंग क्षेत्र से संबंधित सुधारों को लागू करने में भारतीय रिज़र्व बैंक की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए हुए वाणिज्यिक बैंकों एवं अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभावों की चर्चा कीजिये। (250 शब्द)

    13 Mar, 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • प्रश्न के संदर्भ को ध्यान में रखते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
    • बैंकिंग क्षेत्र के सुधारों को लागू करने में भारतीय रिज़र्व बैंक की भूमिका पर चर्चा कीजिये।
    • वाणिज्यिक बैंकों एवं अर्थव्यवस्था पर RBI के प्रभाव पर प्रकाश डालें।
    • उचित निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय:

    भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) भारत में बैंकिंग क्षेत्र के सुधारों को लागू करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वर्ष 1935 में स्थापित, RBI देश का केंद्रीय बैंक है, जो वित्तीय स्थिरता और आर्थिक विकास सुनिश्चित करने के लिये बैंकिंग क्षेत्र के विनियमन तथा पर्यवेक्षण हेतु ज़िम्मेदार है।

    मुख्य भाग:

    भारतीय रिज़र्व बैंक की भूमिका:

    • बैंक लाइसेंसिंग: RBI द्वारा बैंकों को लाइसेंस जारी करने तथा नए बैंकों के प्रवेश को विनियमित करने के साथ यह सुनिश्चित किया जाता है कि अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (SCBs) एवं लघु वित्त बैंकों हेतु निर्धारित नियमों का अनुपालन हो।
    • मानदंड स्थापित करना: RBI बैंकों के लिये विवेकपूर्ण मानदंड निर्धारित करता है, जिसमें वित्तीय स्वास्थ्य एवं पूंजी पर्याप्तता को बनाए रखना शामिल है।
      • बैंकों के पास पर्याप्त पूंजी भंडार सुनिश्चित करने के लिये मज़बूत पूंजी पर्याप्तता मानदंड (बेसल समझौते) की शुरूआत करना।
      • तनावग्रस्त बैंकों की शीघ्र पहचान के साथ इनकी राहत हेतु त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (PCA) ढाँचे का कार्यान्वयन करना।
    • निगरानी: RBI, नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करने और वित्तीय कदाचार को रोकने के लिये नियमित निरीक्षण, ऑडिट एवं रिपोर्टिंग तंत्र के माध्यम से बैंकों की निगरानी करता है।
    • डिजिटल परिवर्तन को सुविधाजनक बनाना: हाल के वर्षों में RBI ने दक्षता बढ़ाने के लिये बैंकिंग क्षेत्र में डिजिटल नवाचार को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया है।
      • यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI), भारत बिल पेमेंट सिस्टम (BBPS) और पेमेंट एंड सेटलमेंट सिस्टम्स एक्ट जैसी पहल ने कैशलेस लेन-देन तथा वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देकर भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र में क्रांति ला दी है।

    वाणिज्यिक बैंकों पर प्रभाव:

    • दक्षता में वृद्धि: RBI द्वारा बैंकिंग क्षेत्र में सुधारों से प्रौद्योगिकी अपनाने, प्रक्रिया में सुधार लाने तथा बेहतर जोखिम प्रबंधन प्रथाओं के माध्यम से वाणिज्यिक बैंकों की दक्षता में वृद्धि हुई है।
    • वित्तीय समावेशन: RBI ने बैंकों को अपनी सेवाओं को वंचित क्षेत्रों तक विस्तारित करने के लिये प्रोत्साहित करके वित्तीय समावेशन को बढ़ावा दिया है, जिससे बैंकिंग सेवाओं की पहुँच का विस्तार हुआ है।
    • वित्तीय समावेशन पहल: प्रधानमंत्री जन धन योजना जैसी RBI की पहल ने ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में बैंक खातों की संख्या एवं वित्तीय सेवाओं तक पहुँच में उल्लेखनीय वृद्धि की है।
    • बेहतर प्रशासन: RBI द्वारा वाणिज्यिक बैंकों में कॉर्पोरेट प्रशासन सुधारों को अनिवार्य करने से उनके संचालन में पारदर्शिता तथा जवाबदेहिता सुनिश्चित हुई है।
      • बैंकों का विलय: RBI ने कई सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की दक्षता, प्रशासन एवं वित्तीय स्वास्थ्य में सुधार के लिये उनके विलय की सुविधा प्रदान की है।
      • उदाहरण के लिये, RBI ने वर्ष 2020 में ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया को पंजाब नेशनल बैंक के साथ विलय कराया।
    • तनाव संतुलन: RBI आर्थिक असंतुलन के प्रति अनुकूलन का आकलन करने के लिये बैंकों का तनाव परीक्षण करता है, जिससे बैंकों को अपने जोखिम प्रबंधन प्रथाओं को मज़बूत करने में मदद मिलती है।

    अर्थव्यवस्था पर प्रभाव:

    • वित्तीय स्थिरता: RBI की नियामक और पर्यवेक्षी भूमिका ने बैंकिंग क्षेत्र की सुदृढ़ता सुनिश्चित करके अर्थव्यवस्था में वित्तीय स्थिरता बनाए रखने में योगदान दिया है।
    • मौद्रिक नीति: RBI मौद्रिक नीति संबंधी निर्णयों को बेहतर बनाने, अर्थव्यवस्था में उधार दरों तथा तरलता को प्रभावित करने के लिये बैंकिंग क्षेत्र के सुधारों को प्रोत्साहन देता है।
    • ऋण उपलब्धता: सुधारों से ऋण उपलब्धता में वृद्धि हुई है, जिससे व्यवसायों और व्यक्तियों को लाभ हुआ है, जिससे आर्थिक विकास को बढ़ावा मिला है।
    • बैंक पुनर्पूंजीकरण: RBI ने बैंकों के पूंजी आधार को मज़बूत करने तथा उनके अनुकूलन को सुनिश्चित करने के लिये बैंक पुनर्पूंजीकरण कार्यक्रम शुरू किये।
    • गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (NPAs) में कमी: RBI के सुधारों ने बैंकिंग क्षेत्र में NPA को कम करने के साथ बैंकों एवं अर्थव्यवस्था के समग्र स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद की है।
      • SCBs का GNPA अनुपात मार्च 2023 के अंत में गिरकर 3.9% के साथ ही यह दशक के निचले स्तर पर रहा और सितंबर 2023 के अंत में 3.2% हो गया।

    निष्कर्ष:

    भारतीय रिज़र्व बैंक भारत में बैंकिंग क्षेत्र के सुधारों को लागू करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिसका वाणिज्यिक बैंकों तथा अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ा है। अपने विनियामक और पर्यवेक्षी उपायों के माध्यम से, RBI ने बैंकिंग क्षेत्र की दक्षता, स्थिरता एवं समावेशिता को बढ़ाया है, जिससे समग्र आर्थिक संवृद्धि एवं विकास में योगदान मिला है।

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