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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    भारत में सेमीकंडक्टर उद्योग के समक्ष आने वाली विभिन्न चुनौतियों पर चर्चा कीजिये। इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (ISM) से किस प्रकार इन चुनौतियों का समाधान हो सकता है? (250 शब्द)

    14 Feb, 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 3 विज्ञान-प्रौद्योगिकी

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • सेमीकंडक्टर का संक्षिप्त परिचय लिखिये।
    • भारत में सेमीकंडक्टर उद्योग के समक्ष आने वाली चुनौतियों का उल्लेख कीजिये।
    • चुनौतियों को कम करने में भारतीय सेमीकंडक्टर मिशन की भूमिका का उल्लेख कीजिये।
    • तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय:

    सेमीकंडक्टर एक ऐसी सामग्री है, जिसकी विद्युत चालकता वैल्यू एक कंडक्टर, जैसे- ताँबा और एक इन्सुलेटर, जैसे ग्लास के बीच होती है। सेमीकंडक्टर यौगिक हो सकते हैं, जैसे- गैलियम आर्सेनाइड या शुद्ध तत्त्व, जैसे- जर्मेनियम या सिलिकॉन। सेमीकंडक्टर के गुण क्रिस्टल जाली में आवेश वाहकों, जैसे- इलेक्ट्रॉनों, छिद्रों और आयनों की गति पर निर्भर करते हैं।

    मुख्य भाग:

    हालाँकि उद्योग को चुनौतियों का सामना करना पड़ता है जैसे:

    • उच्च सेटअप लागत:
      • सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन प्लांट (fab) स्थापित करने के लिये $3 से $7 बिलियन के बीच निवेश की आवश्यकता होती है, जो अधिकांश घरेलू अभिकर्त्ताओं की पहुँच से बाहर है।
      • सरकार ने भारत में सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग के विकास के लिये 76,000 करोड़ रुपए की प्रोत्साहन योजना की घोषणा की है, लेकिन उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि यह राशि अपर्याप्त है, साथ ही अनुमोदन प्रक्रिया भी धीमी है।
    • वैश्विक नेताओं से प्रतिस्पर्द्धा:
      • भारत को वैश्विक सेमीकंडक्टर बाज़ार में चीन, ताइवान, अमेरिका और जापान जैसे स्थापित तथा प्रमुख अभिकर्त्ताओं के साथ प्रतिस्पर्द्धा करनी है, जिनके पास मापनीय अर्थव्यवस्थाएँ, उन्नत तकनीक एवं मज़बूत आपूर्ति शृंखलाएँ हैं।
      • भारत के समक्ष सेमीकंडक्टर डिज़ाइन और सेवा क्षेत्र में अपनी मौजूदा बाज़ार हिस्सेदारी खोने का भी संकट है, क्योंकि अन्य देश इस क्षेत्र में भारी निवेश कर रहे हैं।
    • एक मज़बूत आपूर्ति शृंखला का अभाव:
      • भारत में सेमीकंडक्टर उद्योग के लिये एक मज़बूत और एकीकृत आपूर्ति शृंखला का अभाव है, जिसमें कच्चे माल, उपकरण, घटकों, परीक्षण सुविधाओं एवं कुशल जनशक्ति की उपलब्धता शामिल है।
      • भारत अभी भी अपनी अधिकांश सेमीकंडक्टर आवश्यकताओं के लिये आयात पर बहुत अधिक निर्भर है, जो वैश्विक मांग और आपूर्ति में उतार-चढ़ाव के साथ-साथ इसके भू-राजनीतिक जोखिमों को भी उजागर करता है।
    • नवप्रवर्तन और अनुसंधान एवं विकास की आवश्यकता:
      • भारत को निरंतर परिवर्तित होती उपभोक्ता मांगों, बाज़ार के रुझान और तकनीकी प्रगति के साथ तालमेल बनाए रखने के लिये सेमीकंडक्टर उद्योग में नवाचार तथा अनुसंधान एवं विकास (R&D) की संस्कृति को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
      • विदेशी प्रौद्योगिकियों पर निर्भरता से बचने और वैश्विक बाज़ार में प्रतिस्पर्द्धात्मक बढ़त बनाने के लिये भारत को सेमीकंडक्टर डोमेन में अपनी बौद्धिक संपदा (IP) तथा पेटेंट विकसित करने पर भी ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।
      • इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (ISM) एक सरकारी पहल है, जिसका उद्देश्य भारत में एक जीवंत सेमीकंडक्टर और प्रदर्शन पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना है। ISM भारत में सेमीकंडक्टर उद्योग के समक्ष आने वाली चुनौतियों को कम करने के कुछ तरीके इस प्रकार हैं:
    • वित्तीय सहायता प्रदान करना:
      • ISM भारत में सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले फैब्स, कंपाउंड सेमीकंडक्टर, सेंसर तथा ATMP/OSAT सुविधाओं की स्थापना के लिये पात्र आवेदकों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिये विभिन्न योजनाएँ प्रदान करता है।
      • सुविधा के प्रकार और पैमाने के आधार पर वित्तीय सहायता परियोजना, लागत का 30% से 50% तक हो सकती है।
      • राजकोषीय समर्थन उच्च सेटअप लागत को कम करने और भारत में सेमीकंडक्टर उद्योग के लिये बड़े निवेश को आकर्षित करने में मदद कर सकता है।
    • प्रतिस्पर्द्धा और नवाचार को बढ़ाना:
      • ISM भारत में सेमीकंडक्टर उद्योग की क्षमता और अवसरों को प्रदर्शित करने तथा विभिन्न हितधारकों के बीच नेटवर्किंग एवं सहयोग की सुविधा के लिये सेमीकॉन इंडिया जैसे कार्यक्रमों व सम्मेलनों का आयोजन करता है।
      • ISM स्वदेशी प्रौद्योगिकियों, बौद्धिक संपदा और पेटेंट के विकास को प्रोत्साहित करके सेमीकंडक्टर क्षेत्र में नवाचार तथा अनुसंधान एवं विकास को भी बढ़ावा देता है।
      • ISM भारत में सेमीकंडक्टर उद्योग में प्रतिस्पर्द्धा और नवाचार को बढ़ाने में मदद कर सकता है तथा भारत को इस क्षेत्र में वैश्विक नेताओं के साथ प्रतिस्पर्द्धा करने में सक्षम बना सकता है।
    • एक मज़बूत आपूर्ति शृंखला का विकास करना:
      • ISM का लक्ष्य कच्चे माल, उपकरण, घटकों, परीक्षण सुविधाओं और कुशल जनशक्ति की उपलब्धता सुनिश्चित करके भारत में सेमीकंडक्टर उद्योग के लिये एक समग्र तथा एकीकृत आपूर्ति शृंखला का निर्माण करना है।
      • ISM का लक्ष्य सेमीकंडक्टर आवश्यकताओं के लिये आयात पर निर्भरता को कम करना और भारत में सेमीकंडक्टर के घरेलू उत्पादन एवं खपत को बढ़ाना भी है।
      • ISM भारत में सेमीकंडक्टर उद्योग के लिये एक मज़बूत आपूर्ति शृंखला विकसित करने और अर्थव्यवस्था की आत्मनिर्भरता एवं लचीलापन बढ़ाने में मदद कर सकता है।

    निष्कर्ष:

    भारत में सेमीकंडक्टर उद्योग को महत्त्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (ISM) जैसी पहल वृद्धि और विकास के लिये आशाजनक मार्ग प्रदान करती है। राजकोषीय सहायता प्रदान करके, प्रतिस्पर्द्धा और नवाचार को बढ़ावा देकर, एक मज़बूत आपूर्ति शृंखला विकसित करके, ISM भारत को वैश्विक सेमीकंडक्टर बाज़ार में एक प्रतिस्पर्द्धी अभिकर्त्ता के रूप में स्थापित करने, देश में आर्थिक प्रगति तथा तकनीकी प्रगति को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

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