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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    पर्यावरण पर ओवरफिशिंग का क्या प्रभाव पड़ता है और समुद्री जीवन की रक्षा तथा मछली की आबादी को बहाल करने के लिये क्या कदम उठाए जा सकते हैं?

    22 Mar, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 3 पर्यावरण

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण

    • मत्स्य अतिदोहन (ओवरफिशिंग) की अवधारणा का संक्षिप्त परिचय देते हुए अपने उत्तर की शुरुआत कीजिये।
    • यह पर्यावरण को कैसे प्रभावित करता है एवं समुद्री जीवों की रक्षा तथा मछलियों की आबादी बढ़ाने के लिये कौन-से आवश्यक कदम उठाने चाहिये। इस संदर्भ में चर्चा करते हुए सुझाव दीजिये।
    • तद्नुसार निष्कर्ष निकालिये।

    परिचय

    • मत्स्य अतिदोहन (ओवरफिशिंग), समुद्री पर्यावरण और उसकी जैव विविधता के लिये प्रमुख खतरों में से एक है। ओवरफिशिंग, मत्स्य प्रजातियों के पुनरुत्पादन की तुलना में अधिक मछली पकड़ने का अभ्यास है, जिससे मत्स्य आबादी एवं पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य में गिरावट आती है। मत्स्य आबादी में कमी के अतिरिक्त ओवरफिशिंग के प्रमुख पारिस्थितिक, सामाजिक और आर्थिक प्रभाव हो सकते हैं।

    मुख्य भाग

    • पर्यावरण पर ओवरफिशिंग का प्रभाव:
      • मत्स्य आबादी में कमी: ओवरफिशिंग के कारण मछलियों की आबादी में कमी आती है, जिसका खाद्य शृंखला पर व्यापक प्रभाव पड़ सकता है।
        • इस गिरावट के कारण मछलियों की मूल प्रजातियों का भी नुकसान हो सकता है जो सामुद्रिक पारिस्थितिकी तंत्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
      • पारिस्थितिक तंत्र में असंतुलन: अत्यधिक मछली पकड़ने से समुद्री पारिस्थितिक तंत्र में असंतुलन उत्पन्न हो सकता है, जिससे कुछ प्रजातियों के प्रभावित होने का खतरा रहता है जो प्राकृतिक संतुलन में बाधा उत्पन्न कर सकती हैं।
        • उदाहरण के लिये - अत्यधिक मछली पकड़ने से शिकारी मूल की मछलियों की आबादी बढ़ सकती है, जिससे समुद्री शैवाल की अत्यधिक चराई होने की संभावना है एवं अन्य समुद्री जीवों के निवास स्थान का नुकसान संभव है।
      • मत्स्यावास का नष्ट होना: मछली पकड़ने के तरीकों जैसे बॉटम ट्रॉलिंग में प्रवाल भित्तियों, समुद्री घास की परतों और केल्प वनों जैसे महत्त्वपूर्ण आवासों को नष्ट करने की क्षमता होती है।
        • मछली और अन्य समुद्री प्रजातियाँ प्रजनन के लिये इन क्षेत्रों पर निर्भर रहती हैं, इसलिये इनके नुकसान से महत्त्वपूर्ण पारिस्थितिक परिणाम हो सकते हैं।
      • जैव विविधता नष्ट होना: अत्यधिक मछली पकड़ने से समुद्री पर्यावरण में जैव विविधता को नुकसान हो सकता है, जिसके कारण कुछ प्रजातियाँ विलुप्त अथवा लुप्तप्राय हो जाती हैं।
        • जैव विविधता के इस नुकसान से समग्र स्वास्थ्य और समुद्री पारिस्थितिक तंत्र प्रभावित हो सकता है।
    • समुद्री जीवों की रक्षा करने एवं मत्स्य आबादी बढ़ाने हेतु आवश्यक कदम:
      • सतत् मछली पकड़ने की तकनीक को लागू करना: सरकारें, मत्स्य पालन और उपभोक्ता सभी, मछली पकड़ने के आधुनिक तरीकों को बढ़ावा देने में भूमिका निभा सकते हैं।
        • इसमें मछली पकड़ने के मानकों को लागू करना, समुद्री भंडार की स्थापना करना और मछली पकड़ने के तरीकों का उपयोग करना शामिल है, जो कि मछलियों के निवास स्थानों को नष्ट होने से बचाता है।
      • उपभोग में ज़िम्मेदारी बरतना: उपभोक्ता अपनी ज़िम्मेदारियों को ध्यान में रखते हुए स्थायी सीफूड के विकल्प को चुनकर समग्र उपभोग को कम कर सकते हैं।
        • ऐसा करके, आप मछली पकड़ने की सुरक्षित तरीकों के उपयोग को प्रोत्साहित कर सकते हैं और अत्यधिक ओवरफिशिंग की माँग को कम कर सकते हैं।
      • समुद्री संरक्षण के प्रयास : आप संरक्षण नीतियों के परिवर्तन की वकालत करके, अनुसंधान करके और जन-जागरूकता को बढ़ावा देकर समुद्री जीवों की रक्षा करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
      • एक्वाकल्चर में निवेश: एक्वाकल्चर से तात्पर्य मछली और अन्य समुद्री प्रजातियों की कृषि से है। यह शिकारी मछलियों का विकल्प प्रदान कर सकती है ताकि मत्स्य आबादी पर होने वाले दबाव को कम किया जा सके।
        • हालाँकि, यह सुनिश्चित करना महत्त्वपूर्ण है कि यदि एक्वाकल्चर स्थायी रूप से किया जाये तो इससे पारिस्थितिकी तंत्र खराब नहीं होगा।

    निष्कर्ष :

    • मत्स्य अतिदोहन (ओवरफिशिंग), समुद्री पर्यावरण और उसकी जैव विविधता के लिये प्रमुख खतरों में से एक है। इसके कारण मत्स्य आबादी में कमी के अतिरिक्त पारिस्थितिक, सामाजिक और आर्थिक प्रभाव हो सकते हैं।
    • सभी हितधारकों को समुद्री जीवों की रक्षा करने और मत्स्य आबादी के पुनर्निर्माण के लिये मिलकर कार्य करना चाहिये ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हमारे महासागर आने वाली पीढ़ियों के लिये स्वस्थ और उत्पादक बने रह पाएँगे।

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