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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    प्रश्न. एक वैश्विक शक्ति के रूप में चीन के उदय और अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था के लिये इसके निहितार्थों का विश्लेषण कीजिये। (250 शब्द)

    24 Jan, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 2 अंतर्राष्ट्रीय संबंध

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • वैश्विक शक्ति के रूप में चीन के उदय में योगदान देने वाले कारकों पर संक्षेप में चर्चा करते हुए अपना उत्तर प्रारंभ कीजिये।
    • अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था के लिये इसके निहितार्थों की चर्चा कीजिये।
    • तदनुसार निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    • हाल के वर्षों में चीन आर्थिक और सैन्य रूप से वैश्विक शक्ति के रूप में उभरा है। इसका अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली और देशों के बीच शक्ति संतुलन पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है।

    मुख्य भाग:

    वैश्विक शक्ति के रूप में चीन के उदय में योगदान करने वाले कारक:

    • आर्थिक शक्ति: हाल के वर्षों में चीन की आर्थिक शक्ति में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। वर्ष 1978 से इसकी जीडीपी लगभग 10% की औसत वार्षिक दर से बढ़ी है।
      • इसने चीन को संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना दिया है। चीन की आर्थिक वृद्धि के लिये विभिन्न कारकों ने भूमिका निभाई है जिसमें बढ़ता हुआ घरेलू बाजार, अपेक्षाकृत कम लागत वाली श्रम शक्ति और इसका निर्यातोन्मुख विनिर्माण पर ध्यान केंद्रित करना शामिल है।
    • सैन्य शक्ति: अपनी आर्थिक शक्ति के अतिरिक्त चीन ने सैन्य शक्ति के मामले में भी उल्लेखनीय वृद्धि की है। चीन के पास दुनिया की सबसे बड़ी सक्रिय सेना है और वह हाल के वर्षों में अपनी सैन्य क्षमताओं में भारी निवेश कर रहा है।
      • इसने अपने सैन्य बल के साथ उन्नत हथियार प्रणालियों का आधुनिकीकरण किया है जिसमें विमान वाहक, स्टील्थ लड़ाकू विमान और विमान ड्रोन शामिल हैं।
      • इसके अतिरिक्त चीन अपने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के माध्यम से अपनी वैश्विक उपस्थिति का विस्तार कर रहा है जिसका उद्देश्य बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के नेटवर्क के माध्यम से एशिया, यूरोप और अफ्रीका तक पहुँच बढ़ाना है।
    • सक्रिय कूटनीति: इसका तीसरा कारक कूटनीतिक प्रयास है। चीन सक्रिय रूप से कूटनीति में संलग्न है जिसके माध्यम से यह गठबंधन और साझेदारी द्वारा अपने पक्ष में वैश्विक व्यवस्था को विकसित करने के क्रम में काम कर रहा है।
      • इसमें एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के अन्य देशों के साथ संबंधों को मजबूत करने के प्रयासों के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में खुद को एक प्रमुख भागीदार के रूप में स्थापित करने के प्रयास शामिल हैं।

    चीन के उदय का अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था पर प्रभाव:

    • चीन की आर्थिक शक्ति के उदय का अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है। उदाहरण के लिये, चीन अब संयुक्त राज्य अमेरिका सहित कई देशों का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बन गया है।
    • आर्थिक रूप से निर्भर: परिणामस्वरूप विभिन्न देश व्यापार और निवेश के लिये चीन पर तेजी से निर्भर होते जा रहे हैं।
    • अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में प्रभाव: इसके अतिरिक्त चीन की आर्थिक शक्ति ने इसे विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में अधिक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने में सक्षम बनाया है।
    • सक्रिय सैन्य शक्ति का प्रदर्शन: चीन की सैन्य शक्ति के उदय का विभिन्न देशों के बीच शक्ति संतुलन के संदर्भ में महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है। चीन का सैन्य विस्तार इस क्षेत्र के देशों, विशेषकर दक्षिण चीन सागर के देशों के लिये चिंता का विषय रहा है।
      • इसके अतिरिक्त चीन की सैन्य शक्ति ने इस देश को कोरियाई प्रायद्वीप जैसे क्षेत्रीय सुरक्षा मुद्दों में अधिक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने में सक्षम बनाया है।
    • राजनीतिक प्रभाव:
      • बदलता वैश्विक शक्ति संतुलन: चीन के उदय का अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था पर महत्त्वपूर्ण राजनीतिक प्रभाव भी पड़ा है। चीन की बढ़ती आर्थिक और सैन्य शक्ति के कारण अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था में शक्ति संतुलन में बदलाव आया है और इससे चीन तथा अन्य देशों के बीच तनाव भी बढ़ा है।
        • उदाहरण के लिये चीन की बढ़ती सैन्य शक्ति से इसकी सीमाओं से परे इसकी सैन्य क्षमता के बारे में चिंताएँ पैदा हुई हैं।
          • इसके अतिरिक्त चीन की बढ़ती आर्थिक शक्ति ने अन्य देशों में राजनीतिक प्रभाव डालने की इसकी क्षमता के बारे में चिंताओं को जन्म दिया है।
      • सक्रिय विदेश नीति: चीन अपनी विदेश नीति में लगातार सक्रिय रहा है और कई तरीकों से मौजूदा अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को चुनौती देता रहा है।
        • उदाहरण के लिये चीन एशिया में पारंपरिक शक्ति व्यवस्थाओं को चुनौती देता रहा है जिससे बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था को बल मिला है।
          • इसके अतिरिक्त चीन अन्य देशों के साथ अपने क्षेत्रीय विवादों में अधिक मुखर रहा है जिसके कारण इसका अन्य देशों के साथ तनाव बढ़ गया है।
          • उदाहरण के लिये दक्षिण चीन सागर में विवादित द्वीपों पर दावा करना और कृत्रिम द्वीपों का निर्माण करना तथा भारत, वियतनाम एवं जापान जैसे पड़ोसियों के साथ क्षेत्रीय विवाद करना।

    निष्कर्ष:

    • वैश्विक शक्ति के रूप में चीन के उदय का अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है। हाल के वर्षों में चीन की आर्थिक और सैन्य शक्ति में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है जिसने विभिन्न देशों के बीच शक्ति संतुलन को प्रभावित किया है।
      • व्यापार और निवेश के लिये विभिन्न देश तेजी से चीन पर निर्भर हो रहे हैं और चीन का सैन्य विस्तार कई देशों के लिये चिंता का विषय रहा है। जैसे-जैसे चीन की शक्ति बढ़ती जा रही है ऐसे में एक स्थिर और शांतिपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिये विभिन्न देशों के लिये मिलकर काम करना महत्त्वपूर्ण होगा।

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