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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    प्रश्न. प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) का उद्देश्य विभिन्न वित्तीय सेवाओं को एक सस्ती कीमत पर हाशिये पर स्थित वर्गों तक पहुँच सुनिश्चित करना है। इसके बहुत सकारात्मक प्रभाव हैं लेकिन फिर भी, उन्हें प्राप्त करने के लिये कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। चर्चा कीजिये। (250 शब्द)

    07 Sep, 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • अपने उत्तर की शुरुआत प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) के बारे में संक्षिप्त जानकारी देकर कीजिये।
    • योजना के मूल सिद्धांतों और उपलब्धियों पर चर्चा कीजिये।
    • पीएमजेडीवाई के प्रभाव पर चर्चा कीजिये।
    • पीएमजेडीवाई की चुनौतियों पर चर्चा कीजिये।
    • आगे की राह बताते हुए अपना उत्तर समाप्त कीजिये।

    परिचय:

    प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) वित्तीय समावेशन के लिये राष्ट्रीय मिशन है।

    यह वित्तीय सेवाओं, अर्थात् बैंकिंग/बचत और जमा खातों, प्रेषण, क्रेडिट, बीमा, पेंशन की सुलभ तरीके से पहुँच सुनिश्चित करता है।

    PMJDY जन-केंद्रित आर्थिक पहलों की आधारशिला रही है। चाहे वह प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT), कोविड-19 वित्तीय सहायता, PM-KISAN, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत बढ़ी हुई मजदूरी जीवन और स्वास्थ्य बीमा कवर हो, इन सभी पहलों का पहला कदम प्रत्येक वयस्क को एक बैंक खाता प्रदान करना है जिसे PMJDY ने लगभग पूरा कर लिया है।

    • उद्देश्य:
      • एक किफायती मूल्य पर वित्तीय उत्पादों और सेवाओं तक पहुँच सुनिश्चित करना।
      • कम लागत और व्यापक पहुँच के लिये प्रौद्योगिकी का उपयोग।
    • योजना के मूल सिद्धांत:
      • बैंक रहित वयस्कों तक बैंक सुविधाओं की पहुँच: न्यूनतम कागजी कार्रवाई के साथ मूल बचत बैंक जमा (BSBD) खाता खोलना, केवाईसी में छूट, ई-केवाईसी, कैंप मोड में खाता खोलना, ज़ीरो बैलेंस और शून्य शुल्क।
      • असुरक्षित को सुरक्षित करना: 2 लाख रुपए के मुफ्त दुर्घटना बीमा कवरेज के साथ, व्यापारिक स्थानों पर नकद निकासी और भुगतान के लिये स्वदेशी डेबिट कार्ड जारी करना।
      • गैर-वित्त पोषित को वित्त पोषण: अन्य वित्तीय उत्पाद जैसे सूक्ष्म बीमा, खपत के लिये ओवरड्राफ्ट, सूक्ष्म पेंशन और सूक्ष्म ऋण।

    इस योजना की उपलब्धियाँ:

    • डिजिटल बैंकिंग के प्रति दृष्टिकोण:
      • खोले गए खाते बैंकों की कोर बैंकिंग प्रणाली का हिस्सा हैं।
      • ध्यानाकर्षण 'हर घर' से हटकर, प्रत्येक बैंक रहित वयस्क पर हो गया है।
      • फिक्स्ड-पॉइंट बिजनेस कॉरेस्पोंडेंट्स।
      • बोझिल केवाईसी औपचारिकताओं के स्थान पर सरलीकृत KYC/e- KYC।
    • नई सुविधाओं के साथ PMJDY का विस्तार:
      • ध्यानाकर्षण 'हर घर' से हटकर प्रत्येक बैंक रहित वयस्क पर हो गया है।
      • रुपे कार्ड इंश्योरेंस:
        • 28 अगस्त, 2018 के बाद खोले गए PMJDY खातों के लिये रुपे कार्ड पर मुफ्त दुर्घटना बीमा कवर 1 लाख रुपए से बढ़ाकर 2 लाख रुपए कर दिया गया है।
      • अंतर्संचालनीयता को सक्षम करना:
        • रुपे डेबिट कार्ड या आधार सक्षम भुगतान प्रणाली (AePS) के माध्यम से।
      • ओवरड्राफ्ट सुविधाओं में वृद्धि:
        • ओवरड्राफ्ट की सीमा को 5,000/- रुपए से दोगुनी करते हुए 10,000/- रुपए की गई; 2,000/- रुपए तक का ओवरड्राफ्ट बिना शर्तों के मिलेगा।
        • ओवरड्राफ्ट के लिये अधिकतम आयु सीमा को 60 वर्ष से बढ़ाकर 65 वर्ष किया गया।
      • जन धन दर्शक एप (Jan Dhan Darshak App): देश में बैंक शाखाओं, एटीएम, बैंक मित्रों, डाकघरों आदि जैसे बैंकिंग टच प्वाइंट्स का पता लगाने हेतु एक नागरिक केंद्रित प्लेटफार्म प्रदान करने के लिये मोबाइल एप्लीकेशन का शुभारंभ किया गया।
    • वित्तीय समावेशन में वृद्धि:
      • कोविड-19 के कारण देशव्यापी लॉकडाउन के 10 दिनों के भीतर लगभग 20 करोड़ से अधिक महिला PMJDY खातों में अनुग्रह राशि जमा की गई।
      • PMJDY खातों की संख्या मार्च 2015 में 14.72 करोड़ से तीन गुना बढ़कर 10 अगस्त, 2022 तक 46.25 करोड़ हो गई है।
      • अगस्त 2022 में कुल 46.25 करोड़ PMJDY खातों में से 37.57 करोड़ खाते (81.2%) चालू हैं।
      • केवल 8.2% PMJDY खाते शून्य शेष वाले खाते हैं।
      • इन खातों में 2.58 गुना वृद्धि के साथ इनमें जमा होने वाली धनराशि में लगभग 7.60 गुना वृद्धि हुई है (अगस्त 2022 / अगस्त 2015)

    योजना के प्रभाव:

    • वित्तीय प्रणाली का औपचारिकरण:
      • यह गरीबों की बचत को औपचारिक वित्तीय प्रणाली में लाने का अवसर प्रदान करता है, गाँवों में अपने परिवारों को पैसे भेजने के अलावा उन्हें सूदखोर साहूकारों के चंगुल से बाहर निकालने का मौका देता है।
    • लीकेज की रोकथाम:
      • प्रधानमंत्री जन-धन खातों के जरिये DBT ने यह सुनिश्चित किया है कि प्रत्येक रुपया अपने लक्षित लाभार्थी तक पहुँचे और प्रणाली में लीकेज (रिसाव) को रोका जा सके।
    • सुचारू DBT लेनदेन:
      • यह सुनिश्चित करने के लिये कि पात्र लाभार्थियों को उनका DBT समय पर प्राप्त हो, विभाग DBT मिशन, NPCI, बैंकों और कई अन्य मंत्रालयों के साथ परामर्श कर DBT की राह में आनेवाली अड़चनों के टाले जा सकने वाले कारणों की पहचान करने में सक्रिय भूमिका निभाता है।
    • डिजिटल लेनदेन:
      • डिजिटल लेनदेन की कुल संख्या वित्त वर्ष 2016-17 में 978 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2021-22 में 7,195 करोड़ हो गई है।
        • यूपीआई वित्तीय लेनदेन की कुल संख्या वित्त वर्ष 2016-17 में 1.79 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2021-22 में 4,596 करोड़ हो गई है।
        • इसी प्रकार, पीओएस और ई-कॉमर्स में रुपे कार्ड लेनदेन की कुल संख्या वित्त वर्ष 2016-17 में 28.28 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2021-22 में 151.64 करोड़ हो गई है।
    • चुनौतियाँ
      • कनेक्टिविटी:
        • फिज़िकल और डिजिटल कनेक्टिविटी की कमी ग्रामीण भारत के लिये वित्तीय समावेशन प्राप्त करने में एक बड़ी बाधा बन रही है।
      • तकनीकी मुद्दे:
        • खराब कनेक्टिविटी, नेटवर्किंग और बैंडविड्थ जैसी समस्याओं से लेकर देश भर के विभिन्न बैंकों, खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल बुनियादी अवसंरचना को बनाए रखने हेतु लागत प्रबंधन संबंधी तकनीकी मुद्दे बैंकों को प्रभावित कर रहे हैं।
      • अस्पष्ट प्रक्रिया:
        • अधिकांश लोग जागरूक हैं, किंतु इसके बावजूद कई लोगों के व्यवहार में परिवर्तन नहीं आया है, क्योंकि वे खाता खोलने की उचित प्रक्रिया और आवश्यक दस्तावेज़ों से अवगत नहीं हैं।

    आगे की राह:

    • सूक्ष्म बीमा योजनाओं के तहत PMJDY खाताधारकों का कवरेज सुनिश्चित करने का प्रयास किया जाना चाहिये।
      • पात्र PMJDY खाताधारकों को PMJJBY और PMSBY के तहत कवर करने की मांग की जाएगी। इस बारे में बैंकों को पहले ही सूचित कर दिया गया है।
    • समग्र राष्ट्र में स्वीकृति बुनियादी ढाँचे के निर्माण के माध्यम से PMJDY खाताधारकों के मध्य रुपे डेबिट कार्ड के उपयोग सहित डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देना चाहिये।
    • PMJDY खाताधारकों की सूक्ष्म-ऋण और निवेश जैसे आवर्ती जमा खातों आदि तक पहुँच सुनिश्चित करना।

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