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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    किस प्रकार निष्पक्षता एवं गैर-तरफदारी लोक सेवाओं में तटस्थता सुनिश्चित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं? उपयुक्त उदाहरणों के साथ अपने उत्तर की पुष्टि कीजिये। (150 शब्द)

    02 Jun, 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • निष्पक्षता व गैर-तरफदारी पद का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
    • लोक सेवा में तटस्थता बनाए रखने में इनके महत्त्व को बताइये।
    • उपयुक्त उदाहरणों के साथ अपने तर्कों की पुष्टि कीजिये।
    • अंत में सकारात्मक निष्कर्ष दीजिये।

    एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में सार्वजनिक कार्यालयों का प्रत्येक धारक जनता के प्रति जवाबदेह होता है। जवाबदेही का प्रत्यारोपण आचार संहिता के माध्यम से किया जाता है, जो अंतत: सार्वजनिक रूप में सेवाओं के वितरण की गुणवत्ता को सुधारता है। निष्पक्षता एवं गैर-तरफदारी नैतिकता के दो प्रमुख आयाम हैं, जो कि लोक सेवा में एक तटस्थ दृष्टिकोण के विकास में सहायक होते हैं। तटस्थता को किसी भी लाभ अथवा व्यक्तिगत फायदे के प्रति उदासीनता के रूप में परिभाषित किया जा सकता है तथा निष्पक्षता एक पक्षपातविहीन दृष्टिकोण है, जिसमें अमीर-गरीब, जाति-धर्म के सामाजिक दबाव आदि से तटस्थ रहकर कार्य किया जाता है। वहीं गैर-तरफदारी किसी विशेष विचारधारा अथवा राजनीतिक दलों के प्रति झुकाव या संबद्धता की अनुपस्थिति की द्योतक है।

    निष्पक्षता एवं गैर-तरफदारी सभी के लिये सुशासन की अवधारणा के प्रवर्तन हेतु एक तंत्र का निर्माण करते हैं। हालाँकि, भारत जैसे जटिल सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य में एक लोक सेवक का वस्तुनिष्ठ व निष्पक्ष होना अत्यधिक मुश्किल कार्य है। ऐसी स्थिति में निष्पक्षता एवं गैर-तरफदारी मार्गदर्शक सिद्धांत के रूप में कार्य करते हैं तथा समाज को सर्वोत्तम सेवाएँ देने में सहायक होते हैं। ये मूल्य लोक सेवकों के लिये विभिन्न व्यवस्थाओं या पार्टियों के साथ बिना किसी संघर्ष के और पूरे उत्साह से कार्य करने हेतु पथ-प्रदर्शक का कार्य करते हैं।

    दूसरी तरफ यह भी सत्य है कि लोक सेवकों को ‘सभी के कल्याण’ के लिये कार्य करना होता है। उसे नीतियों के क्रियान्वयन हेतु व्यक्तिगत विश्वासों के विपरीत भी कार्य करना पड़ता है। लोक नीतियों के क्रियान्वयन में जाति, वर्ग, क्षेत्र या धर्म के विचार के बिना कार्य करना होता है। उदाहरण के लिये, किसी लोक सेवक को आदिवासी क्षेत्र में काम करने के क्रम में आदिवासी समाज के सांस्कृतिक विश्वासों के साथ असहमति हो सकती है, किंतु यह असहमति उसकी जनता की सेवा करने की इच्छाशक्ति को प्रभावित न करे।

    इस प्रकार देखा जाए तो एक लोक सेवक भी किसी विशिष्ट समाज का भाग है। यदि उसमें अपने समाज का कोई सामाजिक मानदंड बचा रहता है तो वह व्यक्तिगत विचारों के आधार पर पक्षपाती निर्णय ले सकता है। उदाहरण के लिये, किसी समाज के संभ्रंात वर्ग का सिविल सेवक कभी भी समाज के कमज़ोर वर्गों के प्रति सहानुभूति या करुणा नहीं रख सकता। निष्पक्षता एवं गैर-तरफदारी लोक सेवकों में बेहतर प्रशासन एवं कल्याणकारी नीतियों के निष्पक्ष क्रियान्वयन हेतु अभिवृत्ति का विकास करेंगे।

    जब कभी भी अंतरात्मा की असंतुष्टि और नैतिक दुविधा की स्थिति हो तो सही-गलत में फर्क करने में निष्पक्षता एवं गैर-तरफदारी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जो अंतत: तटस्थता, सत्यनिष्ठा एवं निष्पक्षता लाने में सहायक होते हैं। ये वास्तविक अर्थों में लोक सेवा के प्रति समर्पण की ओर ले जाते हैं। श्री टी.एन. शेषन कठिन परिस्थितियों में भी अपनी गरिमा और सम्मान के साथ आगे बढ़ पाए। ऐसा वे इसलिये कर पाए क्योंकि उन्होंने सदैव तटस्थता, गैर-तरफदारी और निष्पक्षता के सिद्धांत का पालन किया। उनके इस दृष्टिकोण ने चुनाव आयोग में अभूतपूर्व सुधार किये। इस प्रकार गैर-तरफदारी और निष्पक्षता सुशासन, तटस्थता तथा निर्णयन में पारदर्शिता को सुनिश्चित करते हैं। ये मूल्य हितों के संघर्ष को रोकने हेतु सुरक्षा उपाय सुनिश्चित करने के लिये आवश्यक हैं ताकि संविधान की प्रस्तावना में उल्लेखित विभिन्न आदर्शों का पालन किया जा सके।

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