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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू.एच.ओ.) द्वारा हाल ही में जारी किये गए संशोधित वैश्विक वायु गुणवत्ता दिशानिर्देशों (ए.क्यू.जी.) के मुख्य बिंदुओं का वर्णन कीजिये। विगत 2005 के अद्यतन से, ये किस प्रकार भिन्न हैं? इन संशोधित मानकों को प्राप्त करने के लिये, भारत के राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम में किन परिवर्तनों की आवश्यकता है? (150 शब्दों में उत्तर दीजिये)

    04 May, 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 3 पर्यावरण

    उत्तर :

    हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने नए वैश्विक वायु गुणवत्ता दिशा-निर्देश (Air Quality Guidelines-AQGs) जारी किये हैं। इन दिशा-निर्देशों के तहत ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ ने प्रदूषकों के अनुशंसित स्तर को और कम कर दिया है, जिन्हें मानव स्वास्थ्य के लिये सुरक्षित माना जा सकता है।

    यह वर्ष 2005 के बाद से ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ का पहला अपडेट है। इन दिशा-निर्देशों का लक्ष्य सभी देशों के लिये अनुशंसित वायु गुणवत्ता स्तर प्राप्त करना है।

    ये दिशा-निर्देश प्रमुख वायु प्रदूषकों के स्तर को कम करके विश्व आबादी के स्वास्थ्य की रक्षा के लिये नए वायु गुणवत्ता स्तरों की सिफारिश करते हैं, जिनमें से कुछ जलवायु परिवर्तन को कम करने में भी महत्त्वपूर्ण योगदान करते हैं।

    विश्व स्वास्थ्य संगठन के नए दिशा-निर्देश उन 6 प्रदूषकों के लिये वायु गुणवत्ता के स्तर की अनुशंसा करते हैं, जिनके कारण स्वास्थ्य पर सबसे अधिक जोखिम उत्पन्न होता है। इन 6 प्रदूषकों में पार्टिकुलेट मैटर (PM 2.5 और 10), ओज़ोन (O₃), नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO₂), सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂) और कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) शामिल हैं।

    वायु गुणवत्ता दिशा-निर्देश, 2005 के मानकों के अनुसार, वार्षिक PM 2.5 (2.5 माइक्रोन) तक के व्यास वाले कणों की ऊपरी सीमा 10 माइक्रो ग्राम प्रति घन मीटर थी, जबकि वायु गुणवत्ता दिशा-निर्देश, 2021 में इसकी मौजूदा सीमा को 5 माइक्रो ग्राम प्रति घन मीटर कर दिया गया है। वहीं वार्षिक PM10 की ऊपरी सीमा 20 माइक्रो ग्राम प्रति घन मीटर से कम करके 15 माइक्रो ग्राम प्रति घन मीटर कर दिया गया है। नए मानकों के अनुसारक्च पीक सीज़न (Peak Season) में ओज़ोन की ऊपरी सीमा 60 माइक्रो ग्राम/घन मीटर निर्धारित की गई है, जबकि 8 घंटे के लिये इसकी ऊपरी सीमा 100 माइक्रो ग्राम/घन मीटर निर्धारित की गई है।

    ज्ञातव्य है कि भारत का राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम वर्ष 2024 तक (आधार वर्ष 2017 के साथ) पार्टिकुलेट मैटर कंसन्ट्रेशन में 20&30 प्रतिशत तक कटौती के लक्ष्य के साथ समग्र रूप में देश भर में वायु प्रदूषण की समस्या से पार पाने के लिये एक दीर्घकालिक, समयबद्ध, राष्ट्रीय स्तर की रणनीति है।

    भारत को इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये अपने राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम में निम्न सुधार करने की आवयश्कता है-

    भारत को आधुनिक प्रौद्योगिकी के उपयोग से प्रदूषण को नियंत्रित करने हेतु प्रयास करते हुए BS-6 के मानकों को कठोरता से लागू करना होगा।

    प्रदूषण पर नियंत्रण के लिये योजनाओं के निर्माण के साथ-साथ उनके क्रियान्वयन में पारदर्शिता और संबंधित विभिन्न हितधारकों के बीच समन्वय पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

    औद्योगिक इकाइयों को आवासीय क्षेत्रों से दूर स्थापित करना होगा।

    भारत में वायु प्रदूषण की स्थिति को देखते हुए स्वास्थ्य डेटा को मज़बूत करने और तदनुसार राष्ट्रीय परिवेश में वायु गुणवत्ता मानकों को संशोधित करने की आवश्यकता है।

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