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ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    प्रश्न. जलवायु परिवर्तन हमारे ग्रह के भविष्य के लिये खतरा है, लेकिन हमारे पास अभी भी इसे ‘अनुकूल’ बनाने और इसके ‘प्रभावों को कम करने’ का समय है। जलवायु परिवर्तन समाधान की दोनों रणनीतियों के बीच अंतर पर प्रकाश डालिये। (250 शब्द)

    16 Feb, 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 3 आपदा प्रबंधन

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • संक्षिप्त परिचय से शुरू कीजिये।
    • उदाहरणों के साथ अंतरों पर चर्चा कीजिये।
    • दोनों रणनीतियों को जोड़ने के महत्त्व को रेखांकित करके हुए निष्कर्ष लिखिये।

    जलवायु परिवर्तन से आशय किसी स्थान पर तापमान और विशिष्ट मौसम प्रतिरूप के दीर्घकालिक संशोधन से है। जलवायु परिवर्तन स्थान विशेष या पूरे ग्रह को संदर्भित कर सकता है। इससे मौसम प्रतिरूप के पूर्वानुमान में कमी आ सकती है। जलवायु परिवर्तन के लिये ज़िम्मेदार सबसे महत्त्वपूर्ण कारक मानवजनित गतिविधियाँ हैं। जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने की रणनीति को मोटे तौर पर दो श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है: शमन और अनुकूलन।

    शमन और अनुकूलन रणनीतियों के बीच अंतर:

    • शमन की प्रक्रिया में, वायुमंडल में ही ग्रीनहाउस गैसों को रोकना और ऊष्मा के प्रवाह को कम करना शामिल है। इन गैसों के स्रोतों को कम करके या इन गैसों को जमा करने वाले सिंक को व्यापक बनाकर जलवायु परिवर्तन को कम किया जा सकता है। जबकि अनुकूलन बदलती जलवायु के अनुरूप स्वयं को ढालना है अर्थात् वास्तविक या अपेक्षित भविष्य की जलवायु में समायोजन।
    • जलवायु परिवर्तन शमन रणनीतियों और जलवायु परिवर्तन अनुकूलन के बीच का अंतर यह है कि शमन का उद्देश्य कारणों से निपटना और जलवायु परिवर्तन के संभावित प्रभावों को कम करना है, जबकि अनुकूलन यह देखता है कि इसके नकारात्मक प्रभावों को कैसे कम किया जाए और किसी भी उत्पन्न होने वाले अवसर का लाभ कैसे उठाया जाए।
    • शमन का लक्ष्य जलवायु प्रणाली के साथ महत्त्वपूर्ण मानवीय हस्तक्षेप को नकारना और एक समय-सीमा में ग्रीनहाउस गैस के स्तर को स्थिर करना है जो पारिस्थितिकी तंत्र को प्राकृतिक रूप से जलवायु परिवर्तन के अनुकूल बनाने की अनुमति देता है। ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि खाद्य उत्पादन को खतरा नहीं है और यह आर्थिक विकास को आगे बढ़ाने में सक्षम है। भारत के संदर्भ में, शमन रणनीतियों के उदाहरणों में शामिल हैं- पेरिस समझौते के तहत राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित प्रतिबद्धता (एनडीसी) लक्ष्य, वनीकरण, इलेक्ट्रिक वाहनों का प्रचार आदि।
    • अनुकूलन का लक्ष्य जलवायु परिवर्तन के हानिकारक प्रभावों (जैसे- समुद्र स्तर का अतिक्रमण, चरम मौसमी घटनाएँ या खाद्य असुरक्षा) के प्रति हमारी भेद्यता को कम करना है। इसमें जलवायु परिवर्तन से जुड़े किसी भी संभावित लाभकारी अवसर का अधिकतम लाभ उठाना शामिल है। इसमें जलवायु लोचदार कृषि, अवसंरचना और नगर नियोजन को विकसित करने की रणनीति शामिल है।
    • शमन उपाय वैश्विक हैं न की स्थानीयकृत। लेकिन अनुकूलन उपाय एक स्थान से दूसरे स्थान पर भिन्न होते हैं, भविष्यवाणी करना मुश्किल होता है और कई समझौते शामिल होते हैं।
    • शमन की रणनीतियाँ दीर्घकालिक होती हैं जबकि अनुकूलन की रणनीतियाँ अल्पकालिक होती हैं।

    कई अनुकूलन और शमन विकल्प जलवायु परिवर्तन को संबोधित करने में मदद कर सकते हैं, लेकिन कोई भी विकल्प अपने आप में पर्याप्त नहीं है। प्रभावी क्रियान्वयन नीतियों और सभी पैमानों पर सहयोग पर निर्भर करता है तथा इसे एकीकृत प्रतिक्रियाओं के माध्यम से बढ़ाया जा सकता है जो शमन और अनुकूलन को जोड़ती हैं।

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