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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    वाटरशेड प्रबंधन का तात्पर्य एक वाटरशेड के भीतर जल और अन्य प्राकृतिक संसाधनों की गुणवत्ता की रक्षा तथा सुधार के लिये भूमि उपयोग प्रथाओं एवं जल प्रबंधन प्रथाओं को लागू करने से है। स्पष्ट कीजिये कि वाटरशेड प्रबंधन किस प्रकार सतत् और समावेशी विकास के लिये महत्त्वपूर्ण है।

    20 Oct, 2021 सामान्य अध्ययन पेपर 3 पर्यावरण

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण

    • वाटरशेड प्रबंधन की अवधारणा का परिचय दीजिये।
    • चर्चा कीजिये कि वाटरशेड प्रबंधन किस प्रकार संतुलन की ओर ले जा सकता है।
    • वाटरशेड प्रबंधन और समावेशिता से संबंधित मुद्दों पर चर्चा कीजिये।
    • जलसंभर प्रबंधन में सहभागी योजना की भूमिका की चर्चा कीजिये।
    • मनुष्य और पर्यावरण के बीच संबंध तथा मानव विकास में इसकी भूमिका बताते हुए उत्तर को समाप्त कीजिये।

    परिचय

    जल संभरण (Watershed) भूमि का वह क्षेत्र होता है जिसका समस्त अपवाहित जल एक ही बिंदु से होकर गुज़रता है।

    वाटरशेड प्रबंधन से तात्पर्य संरक्षण, पुनरुद्धार और सभी प्राकृतिक संसाधनों विशेष रूप से भूमि, जल एवं वनस्पति का विवेकपूर्ण उपयोग तथा मानव विकास से है।

    प्रारूप

    • वाटरशेड प्रबंधन और स्थिरता: वाटरशेड प्रबंधन उपलब्ध जल और अन्य संसाधनों का उपयोग करने के लिये एक व्यापक कार्यक्रम है:
      • यह जल संसाधनों की रक्षा और उनमें वृद्धि करता है, बाढ़ की घटनाओं में कमी, तालाबों/नदियों की गाद को कम करने के साथ ही फसलों के लिये वर्षा जल का संरक्षण करता है और इस प्रकार सूखे की स्थिति से बचाता है।
      • यह भूजल स्तर को रिचार्ज करने में सहायता करता है।
      • मृदा की उर्वरता को बनाए रखने के साथ ही मृदा के संरक्षण में मदद करता है।
      • पीने और अन्य मानवीय उद्देश्यों के लिये जल की पुनर्प्राप्ति सुनिश्चित करता है।
      • यह जलवायु परिवर्तन से लड़ने में मदद करता है और स्थायी कृषि को बढ़ावा देता है।
      • इसके माध्यम से किसी क्षेत्र की जैव विविधता की रक्षा के साथ-साथ उचित प्रबंधन द्वारा उसे बनाए रखा जा सकता है।

    वाटरशेड प्रबंधन और समावेशिता:

    • आजीविका: भारत में अधिकांश आबादी अपनी आजीविका के लिये कृषि जैसे प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर है।
      • गुणवत्ता, उपलब्धता और प्राकृतिक संसाधनों तक पहुँच जैसे कारक परिवारों द्वारा अर्जित आय को प्रभावित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
    • महिलाएँ: महिलाएँ घरेलू और लघु स्तर पर कृषि करने के लिये जल का उपयोग करती हैं और संसाधनों तक उनकी सीमित पहुँच है।
      • जलग्रहण क्षेत्र में गिरावट आने से वे सबसे अधिक प्रभावित होती हैं।
    • गरीबी और हाशिये की स्थिति में जाना: वर्षा सिंचित ग्रामीण क्षेत्रों में नागरिकों का गरीबी और हाशिये की स्थिति में जाने का प्राथमिक कारण कम फसल तथा पशुधन उत्पादकता के साथ-साथ भूमि और अन्य प्राकृतिक संसाधनों की गुणवत्ता में गिरावट है।
    • सहभागी दृष्टिकोण: वाटरशेड प्रबंधन दृष्टिकोण सहभागी योजना पर आधारित है, जो एक बॉटम-अप दृष्टिकोण है:
      • निष्पादन के लिये एक उपयुक्त योजना विकसित करना।
      • स्थानीय स्तर की संस्थाओं के गठन और सुदृढ़ीकरण के माध्यम से लोगों का सशक्तीकरण और रोज़गार प्रदान करना।
      • वाटरशेड के समग्र विकास के माध्यम से वाटरशेड के प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण और उचित प्रबंधन।

    निष्कर्ष

    मनुष्य और पर्यावरण के बीच घनिष्ठ संबंध है और पर्यावरण में कोई भी परिवर्तन लोगों के जीवन को सीधे प्रभावित करता है।

    इसलिये मानव विकास के मुद्दों को संबोधित करने के लिये वाटरशेड के समग्र विकास हेतु पर्यावरणीय गिरावट से प्रभावी ढंग से निपटना अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।

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