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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    राष्ट्रीय न्यायाधिकरण आयोग की स्थापना निश्चित रूप से वर्तमान ट्रिब्यूनल सिस्टम के एक मौलिक पुनर्गठन को लागू करेगी। चर्चा कीजिये।

    10 Jun, 2021 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    उत्तर :

    दृष्टिकोण

    • राष्ट्रीय न्यायाधिकरण आयोग के बारे में संक्षेप में उल्लेख करते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये ।
    • भारत में न्यायाधिकरणों की वर्तमान स्थिति और राष्ट्रीय न्यायाधिकरण आयोग की स्थापना कैसे मदद कर सकती है, पर चर्चा कीजिये ।
    • उपयुक्त निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय

    राष्ट्रीय न्यायाधिकरण आयोग (NTC) का विचार सबसे पहले एल. चंद्र कुमार बनाम भारत संघ मामले (1997) में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रस्तुत किया गया था।

    NTC की कल्पना अधिकरणों के कामकाज, सदस्यों की नियुक्ति और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही की निगरानी तथा ट्रिब्यूनल की प्रशासनिक एवं ढाँचागत जरूरतों का ध्यान रखने के लिये एक स्वतंत्र निकाय के रूप में की गई है।

    NTC सभी न्यायाधिकरणों में समान प्रशासन का समर्थन करेगा। यह ट्रिब्यूनल की दक्षता और उनकी अपनी प्रशासनिक प्रक्रियाओं के लिये प्रदर्शन मानक निर्धारित कर सकता है।

    भारत में अधिकरणों की वर्तमान स्थिति

    • स्वतंत्रता का अभाव: विधि सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी रिपोर्ट (रिफॉर्मिंग द ट्रिब्यूनल फ्रेमवर्क इन इंडिया) के अनुसार स्वतंत्रता की कमी भारत में अधिकरणों को प्रभावित करने वाले प्रमुख मुद्दों में से एक है।
      • प्रारंभ में चयन समितियों के माध्यम से नियुक्ति की व्यवस्था अधिकरणों की स्वतंत्रता को गंभीर रूप से प्रभावित करती है।
      • इसके अलावा पुनर्नियुक्ति के मुद्दे और सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रवृत्ति भी अधिकरणों की स्वतंत्रता को प्रभावित करती है।
    • गैर-एकरूपता की समस्या: अधिकरणों में सेवा शर्तों, सदस्यों के कार्यकाल, विभिन्न न्यायाधिकरणों के प्रभारी नोडल मंत्रालयों के संबंध में गैर-एकरूपता की समस्या है।
      • ये कारक अधिकरणों के प्रबंधन और प्रशासन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
    • संस्थागत मुद्दे: अधिकरण के कामकाज में कार्यकारी हस्तक्षेप प्रायः इसके दिन-प्रतिदिन के कामकाज के लिये आवश्यक वित्त, बुनियादी ढाँचे, कर्मियों और अन्य संसाधनों के प्रावधान के रूप में देखा जाता है।

    एनटीसी का सकारात्मक प्रभाव

    • एकरूपता: NTC सभी न्यायाधिकरणों में समान प्रशासन का समर्थन करेगा। यह ट्रिब्यूनल की दक्षता और उनकी अपनी प्रशासनिक प्रक्रियाओं के लिये प्रदर्शन मानक निर्धारित कर सकता है।
    • शक्तियों का पृथक्करण सुनिश्चित करना: NTC को नियमों के अधीन सदस्यों के वेतन, भत्ते और अन्य सेवा शर्तों को निर्धारित करने का अधिकार देने से न्यायाधिकरणों की स्वतंत्रता बनाए रखने में मदद मिलेगी।
      • NTC विभिन्न न्यायाधिकरणों द्वारा किये गए प्रशासनिक और न्यायिक कार्यों को अलग करने का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।
    • सेवाओं का विस्तार: एक बोर्ड, एक मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) और एक सचिवालय से युक्त NTC की एक 'निगमीकृत' संरचना इसे अपनी सेवाओं को बढ़ाने और देश भर के सभी न्यायाधिकरणों को आवश्यक प्रशासनिक सहायता प्रदान करने की अनुमति देगी।
    • स्वायत्त निरीक्षण: NTC अनुशासनात्मक कार्यवाही और अधिकरण के सदस्यों की नियुक्ति से संबंधित प्रक्रिया को विकसित और संचालित करने के लिये एक स्वतंत्र भर्ती निकाय के रूप में कार्य कर सकता है।
      • एक NTC प्रभावी रूप से नियुक्ति प्रणाली में एकरूपता लाने में सक्षम होगा और यह सुनिश्चित करेगा कि यह स्वतंत्र तथा पारदर्शी हो।

    निष्कर्ष

    यह समझना महत्त्वपूर्ण है कि न्यायालयों से बढ़ते मामलों के बोझ को कम करने के लिये ट्रिब्यूनल की स्थापना की गई थी। भारत में न्यायाधिकरण प्रणाली में सुधार भी सदियों पुरानी समस्या का समाधान करने की कुंजी हो सकती है जो अभी भी भारतीय न्यायिक प्रणाली को न्यायिक देरी और बैकलॉग जैसी समस्याओं द्वारा पंगु बना देती है ।

    इस संदर्भ में NTC की स्थापना निश्चित रूप से वर्तमान ट्रिब्यूनल सिस्टम के एक मौलिक पुनर्गठन को लागू करेगी।

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