इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    भारत में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के क्रम में आदर्श आचार संहिता एक उल्लेखनीय कदम रहा है। हालाँकि वर्तमान डिजिटल युग में इसे चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। टिप्पणी कीजिये।

    04 Mar, 2021 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • आदर्श आचार संहिता के बारे में संक्षेप में चर्चा करते हुए उत्तर की शुरुआत करें।
    • डिजिटल युग में आदर्श आचार संहिता की सीमाओं पर चर्चा करें।
    • उचित निष्कर्ष दें।

    आदर्श आचार संहिता (मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट- एमसीसी) भारत के चुनाव आयोग द्वारा जारी किया जाने वाला एक दस्तावेज़ है जो राजनीतिक दलों और उनके उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने हेतु न्यूनतम मानकों के बारे में बताता है, साथ ही यह भी सूचित करता है कि उन्हें क्या करना चाहिये और क्या नहीं।

    आदर्श आचार संहिता यह सुनिश्चित करती है कि सत्ता में रहने वाली पार्टी को चुनाव का अनुचित लाभ न मिले एवं चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष हो सकें। हालाँकि सोशल मीडिया और अन्य ऑनलाइन प्लेटफॉर्मों के उद्भव के कारण आदर्श आचार संहिता के प्रभावी कार्यान्वयन में कई चुनौतियाँ सामने आई हैं।

    डिजिटल युग में आदर्श आचार संहिता की सीमाएँ

    क्षेत्राधिकार के मुद्दा: फेसबुक जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म विदेशों में स्थित कंपनियों द्वारा चलाए जाते हैं। उन्हें ज़िम्मेदार ठहराना भारतीय एजेंसियों के लिये मुश्किल रहा है। इन डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म के प्रयोग से एमसीसी के उल्लंघन को रोकना चुनाव आयोग के लिये चुनौती है।

    फेक न्यूज़: डिजिटल मीडिया असत्यापित और जान-बूझकर फैलाए जा रहे गलत समाचारों का एक बड़ा स्रोत बन गया है। चुनाव आयोग के पास एमसीसी को लागू करने एवं इसके उल्लंघन पर दंडित करने के लिये संसाधनों के साथ-साथ निगरानी क्षमता का भी अभाव है।

    अपराधी की पहचान करना मुश्किल: चुनावों के दौरान अधिकांश जानकारी को राजनीतिक लाभ के लिये इस्तेमाल करने हेतु ऑनलाइन प्लेटफॉर्मों को एल्गोरिदम के माध्यम से लक्षित किया जाता है।

    डिजिटल मीडिया की अनियमित प्रकृति: ऑनलाइन चुनावों को विनियमित करने के लिये सभी मौजूदा उपायों को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म द्वारा की गई स्वैच्छिक प्रतिबद्धताओं के आधार पर लागू किया जा रहा है।

    इसलिये कानूनी रूप से यह उनके लिये बाध्यकारी नहीं है। उदाहरण के लिये किसी कार्रवाई को करने में विफल रहने पर फेसबुक या ट्विटर जैसी कंपनियों के लिये कोई दंड निर्धारित नहीं है।

    निष्कर्ष

    चुनाव आयोग ने हाल ही में चुनाव हेतु डिजिटल प्लेटफॉर्म के प्रयोग को विनियमित करने के लिये कदम उठाए हैं। एमसीसी के प्रभावी कार्यान्वयन के लिये डिजिटल माध्यमों की जवाबदेही पर ध्यान देने के साथ पूरी तरह से नए दृष्टिकोण की आवश्यकता है।

    To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

    Print
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow