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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    'भारत में मीडिया को मानवतावादी मूल्यों से अनुप्राणित होने के साथ ही स्पष्ट तथा निष्पक्ष होना चाहिये।' कथन की विवेचना करें।

    23 Sep, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण-

    • भूमिका

    • मीडिया के विविध पक्ष-विपक्ष के बिंदु

    • विश्लेषणात्मक निष्कर्ष।

    लोकतांत्रिक देशों में विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के क्रियाकलापों पर नजर रखने के लिये मीडिया को ‘‘चौथे स्तंभ’’ के रूप में जाना जाता है। माना जाता है कि मीडिया अगर सकारात्मक भूमिका अदा करें तो किसी भी व्यक्ति, संस्था, समूह और देश को आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनीतिक रूप से समृद्ध बनाया जा सकता है।

    वर्तमान समय में मीडिया की उपयोगिता, महत्त्व एवं भूमिका निरंतर बढ़ती जा रही है। कोई भी समाज, सरकार, वर्ग, संस्था, समूह व्यक्ति मीडिया की उपेक्षा कर आगे नहीं बढ़ सकता। मीडिया एक समग्र तंत्र है जिसमें प्रिंटिंग प्रेस, पत्रकार, इलेक्ट्रॉनिक माध्यम, रेडियों, सिनेमा, इंटरनेट आदि सूचना के माध्यम सम्मिलित होते हैं। किंतु यदि मीडिया के योगदान की बात करें तो हम देखते हैं कि मीडिया ने जहाँ जनता को निर्भीकता पूर्वक जागरूक करने, भ्रष्टाचार को उजागर करने, सत्ता पर तार्किक नियंत्रण एवं जनहित कार्यों की अभिवृद्धि में योगदान दिया है, वहीं लालच, भय, द्वेष, स्पर्द्धा, दुर्भावना एवं राजनैतिक कुचक्र के जाल में फंसकर अपनी भूमिका को कलंकित भी किया है।

    इस संदर्भ में यह भी उल्लेखनीय है कि पुरानी पत्रकारिता में सीधा-सपाट तथ्यों का प्रस्तुतीकरण कर निष्पक्षता को बनाए रखने का प्रयास होता था। जबकि वर्तमान पत्रकारिता में एक नई शैली का विकास हुआ है जिसके अंतर्गत पारदर्शिता, मज़बूत विश्लेषण, व्यक्तिपरक दृष्टिकोण, राय और कभी-कभी बहस (वाद-विवाद) के मुद्दे में एक पक्ष का समर्थन कर निष्पक्षता को प्राप्त करने का प्रयास किया जाता है। इसी परिप्रेक्ष्य में कहा जाता है नवीन पद्धति समाज को सोचने, नये विचार बनाने व तार्किक विश्लेषण का आधार प्रदान करती है। जो स्वतंत्र विचारों के विश्व को अनुप्राणित करती है।

    ऐसी स्थिति में, अधिक सतर्क, शिक्षित समाज में नवीन शैली अधिक प्रासंगिक है जबकि भारत जैसे बहुसांस्कृतिक देश में जहाँ सतर्कता का स्तर कम है, वहाँ पत्रकारों द्वारा निष्पक्षता को न अपनाना प्रायः उचित प्रतीत नहीं होता है। अतः भारत में मीडिया द्वारा अतिसनसनीखेज व टीआरपी प्रेरित पत्रकारिता दंगो, सामाजिक अंसतुलन को बढ़ावा दे सकती है।

    निष्कर्षतः मीडिया की भूमिका यथार्थ सूचना प्रदायक एजेंसी के रूप में होनी चाहिये तथा भारत में मीडिया को मानवतावादी मूल्यों से अनुप्राणित होना चाहिये साथ ही वह स्पष्ट तथा निष्पक्ष होनी चाहिये। मीडिया (सोशल-मीडिया, पत्रकारिता) का अनुचित उपयोग अव्यवस्था फैला सकती है। अतः पत्रकारिता को वस्तुनिष्ठ, निष्पक्ष, संवेदनशीलता व जिम्मेदारी जैसे मूल्यों से सज्जित होना चाहिये।

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