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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    'स्वतंत्रता केवल एक प्राकृतिक अधिकार नहीं बल्कि एक प्रकार के गम्भीर नैतिक उत्तरदायित्व का भी बोध कराती है।' कानून/विधि पालन के संदर्भ में कथन का विश्लेषण करें।

    16 Sep, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • भूमिका

    • स्वतंत्रता और दायित्व का संबन्ध

    • निष्कर्ष

    कानून पूरे समुदाय की सामान्य इच्छा की अभिव्यक्ति है। हर व्यक्ति कानून का पालन कर अपनी इच्छा का ही पालन करता है। यहीं से स्वतंत्रता के साथ नैतिक दायित्व का जुड़ाव प्रारंभ होता है। यह एक अधिकार ही नहीं बल्कि उत्तरदायित्व भी है। यह एक भावना, प्रत्यक्ष ज्ञान, गरिमा तथा विकल्प के साथ-साथ एक नैतिक दायित्व भी है। जैसे-; यदि मैं कहूँ कि ‘मुझे सड़क पर घूमने की स्वतंत्रता है’ या ‘मैं रात को सड़कों पर घूमकर खुद को स्वतंत्र महसूस करता हूँ।’ इसमें स्वयं को स्वतंत्र महसूस करना एक भावना है’ वहीं सड़क पर घूमने की स्वतंत्रता परिस्थितियों पर तथा विकल्पों पर आधारित है। सड़क पर घूमने की पहली शर्त है कि व्यक्ति कैद में न हो। शारीरिक या अन्य बाह्य बाधाओं से मुक्त हो तथा सभी स्तरों पर परिस्थितियाँ अनुकूल हों।

    स्वतंत्रता की यह प्राकृतिक अवस्था सरल एवं सहज लगती है लेकिन बिना विनियमन तथा नैतिक उत्तरदायित्व के यह अराजकता तथा असमानता की स्थिति भी उत्पन्न कर सकती है। अर्थात् जिसके पास सुविधाएँ तथा साधन हैं वह दूसरे के जीवन, स्वास्थ्य तथा गरिमा का ध्यान रखे बगैर अपनी स्वतंत्रता का गलत इस्तेमाल कर सकता है। इसलिए कोई भी नागरिक स्वतंत्रता के कारण अराजकता की स्थिति न उत्पन्न करे, इसके लिये राज्य द्वारा व्यक्ति की स्वतंत्रता के नियम को बनाया जाता है तथा इसे नागरिक तथा राजनीतिक अधिकार के रूप में अभिव्यक्त किया जाता है।

    राज्य द्वारा व्यक्ति की स्वतंत्रता के नियमों को लागू करना कोई प्रतिबंध नहीं है बल्कि उसे समानता, प्रतिबद्धता, सहिष्णुता तथा सद्गुण जैसे मूल्यों से युक्त करना है। रूसो के अनुसार ‘कानून पूरे समुदाय की सामान्य इच्छा की अभिव्यक्ति है। हर व्यक्ति कानून का पालन कर अपनी इच्छा का ही पालन करता है।’

    निष्कर्षतः स्वतंत्रता तथा नैतिक दायित्व एक साथ जुड़ी हुई भावनाएं हैं। सभी का यह नैतिक कर्त्तव्य है कि जो भी स्वतन्त्रता उन्हें मिली है उसका उपयोग इस प्रकार करें कि उससे किसी दूसरे के जीवन, स्वास्थ्य, स्वतंत्रता या सम्पत्ति को नुकसान न पहुँचे। अतः स्पष्ट है कि प्रत्येक व्यक्ति स्वतंत्र है किंतु नियमों, नैतिकताओं एवं समानताओं की उपेक्षा की शर्त पर नहीं।

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