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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    ‘वर्तमान वैश्वीकरण के युग में संयुक्त परिवार का जीवन चक्र सामाजिक मूल्यों के बजाए आर्थिक कारकों पर निर्भर करता है।’ चर्चा करें।

    26 Jun, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भारतीय समाज

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • भूमिका।

    • संयुक्त परिवार का जीवन चक्र सामाजिक मूल्यों के बाजाए आर्थिक कारकों पर निर्भरता। 

    • निष्कर्ष।

    संयुक्त परिवार से आशय ऐसे परिवार से है जिसमें एक से अधिक युगल (दंपत्ति) होते हैं और अक्सर दो से अधिक पीढ़ियों के लोग एक साथ रहते हैं।

    आमतौर पर ऐसा माना जाता रहा है संयुक्त परिवार का जीवन चक्र (अर्थात परिवार के विभिन्न चरण अथवा अवस्थाएं) सामाजिक मूल्यों पर आधारित होती है। सामाजिक मूल्यों, संस्कारों तथा नैतिक कर्तव्यों के कारण लोग संयुक्त परिवार में रहते हैं, जिसके परिणामस्वरूप परिवार के कमज़ोर व्यक्ति को भी वही सुविधाएं प्राप्त हो जाती हैं जो परिवार के अन्य सदस्यों को प्राप्त होती है। किंतु अब ऐसा महसूस किया जाने लगा कि संयुक्त परिवार का जीवन चक्र सामाजिक मूल्यों के बजाए आर्थिक कारकों पर अधिक निर्भर करता है।

    संयुक्त परिवार के बनने में आर्थिक कारकों की मुख्य भूमिका है। संयुक्त परिवार में लोग संसाधनों का साझा उपयोग करते हैं, जैसे- साझा घर, साथ-साथ खाना बनाना, घरेलू वस्तुओं आदि का प्रयोग आदि। निश्चित रूप से इससे खर्च में कमी आती है। जिसके फलस्वरूप लोग संयुक्त परिवार में साथ-साथ रहते हैं ऐसा देखा गया है कि जैसे ही परिवार के किसी सदस्य की आय बहुत अधिक हो जाती है और यदि वह अकेले सारे संसाधनों को जुटाने में सक्षम हो जाता है, तो उसमें संयुक्त परिवार से अलग होकर, एकाकी परिवार बनाने की प्रवृत्ति बढ़ जाती है। यही नहीं औद्योगीकरण तथा भूमंडलीकरण के परिणामस्वरूप बेहतर रोज़गार तथा बेहतर जीवन स्तर की तलाश में युवा अपने परिवार से दूर जाकर बस रहे हैं। इसके परिणामस्वरूप एकाकी अथवा एक परिवारों का चलन बढ़ रहा है, जिससे संयुक्त परिवार टूट रहे हैं।

    उपरोक्त से स्पष्ट है कि संयुक्त परिवार के जीवन चक्र को मुख्य रूप से आर्थिक कारक प्रभावित करते हैं। हालांकि भारत जैसे देशों में संयुक्त परिवार के बने रहने में सामाजिक मूल्यों का महत्त्वपूर्ण योगदान है। यह मूल्य कम मात्रा में ही सही, लेकिन भारतीय समाज में आज भी किसी न किसी रूप में विद्यमान हैं।

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