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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    गैर-कानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) एक्ट, 1967 में हुए संशोधन के प्रमुख बिंदु क्या हैं? इस संशोधन के महत्त्व को रेखांकित करें।

    30 May, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • भूमिका

    • गैर-कानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) एक्ट, 1967 में हुए संशोधन के प्रमुख बिंदु

    • महत्त्व

    • निष्कर्ष

    2 अगस्त, 2019 को गैर-कानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) संशोधन विधेयक, 2019 को संसद के उच्च सदन द्वारा पारित कर दिया गया। यह UAPA के नाम से भी जाना जाता है। इसका उद्देश्य भारत में गैर-कानूनी गतिविधियों को प्रभावी रूप से रोकना है। यह मूल रूप से भारत की संप्रभुता तथा अखंडता के खिलाफ निर्देशित गतिविधियों से अधिक प्रभावी ढंग से निपटने के लिये सरकार को सशक्त बनाने का प्रयास करता है।

    संशोधन के प्रमुख बिंदु

    • यह संशोधन सरकार को किसी व्यक्ति को आतंकवादी के रूप में नामित करने तथा जब्त हथियार या संपत्ति को प्रतिबंधित करने की अनुमति प्रदान करता है।
    • इस कानून के तहत आतंकवादी के रूप में नामित किसी व्यक्ति की व्यक्तिगत या वित्तीय जानकारी को विभिन्न एजेंसियों के साथ साझा किा जा सकेगा।
    • इसके अंतर्गत अध्याय-IV तथा अध्याय-VI के तहत अपराधों की जाँच करने की शक्ति राष्ट्रीय जाँच एजेंसियों के इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारियों को प्रदान की गई है।
    • यह विधेयक संबंधित राज्य सरकार की पूर्व अनुमति के बिना कहीं भी छापेमारी करने के लिये NIA को सशक्त करने का प्रयास करता है।
    • एक व्यक्ति को आतंकवादी के रूप में नामित करने के अलावा यह विधेयक NIA को यह अधिकार देता है कि जब मामले की जाँच की जा रही हो तब संपत्ति को जब्त/संलग्न करने के लिये अनुमोदन प्रदान कर सके।

    संशोधन का महत्त्व

    • वर्तमान में किसी भी कानून में किसी व्यक्तिगत आतंकवादी के रूप में नामित करने का कोई प्रावधान नहीं है। इसलिये जब किसी आतंकवादी संगठन पर प्रतिबंध लगाया जाता है तो उसके सदस्य एक नया संगठन बना लेते हैं।
    • यह कानून पिछले संगठन के अवैध घोषित होने के बाद पुन: नए संगठन की स्थापना से आतंक के मास्टरमाइंड को रोकने में सक्षम होगा।
    • NIA के निरीक्षक आतंकी अपराधों की जाँच करने में दक्ष हैं और उपरोक्त संशोधन UAPA के अध्याय-IV और अध्याय- VI के तहत दंडनीय अपराधों की जाँच के लिये उन्हें और सक्षम बनाने हेतु किये जा रहे हैं।
    • इस कानून के प्रावधान सुरक्षा परिषद द्वारा उपयोग की जाने वाली संयुक्त राष्ट्र की नीति के समान है ताकि बल प्रयोग का सहारा लिये बिना संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित उद्देश्यों के पालन हेतु राज्य तथा अन्य इकाई पर दबाव बनाया जा सके।
    • इस प्रकार आतंकवाद विरोधी कानून अमेरिका, चीन तथा इजराइल तथा ईयू जैसे देशों में पहले से ही मौजूद हैं। ऐसे में यह कानून भारत को भी इसी स्लब में शामिल करता है।

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