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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    रोज़गार तथा कौशल-निर्माण संबंधी पहलों में व्यापक पैमाने पर निवेश के बावजूद भारत में श्रमबल में महिलाओं की निम्न भागीदारी के कारणों की चर्चा करते हुए, उन उपायों को रेखांकित करें जिससे महिला भागीदारी में वृद्धि की जा सके।

    09 May, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 2 सामाजिक न्याय

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • भूमिका

    • श्रमबल में महिलाओं की निम्न भागीदारी के कारण

    • उपाय

    • निष्कर्ष

    संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा प्रस्तुत ‘फीमेल वर्क एंड लेबर कोर्स पार्टिसिपेशन इन इंडिया’ में कहा गया कि कौशल विकास संबंधी विभिन्न पहलों के बावजूद भारत में श्रमबल में महिलाओं की भागीदारी की समस्या यथावत विद्यमान हैं विश्व बैंक का अनुमान है कि वर्ष 2017-18 में भारत की महिला श्रम बल भागीदारी में 23.3% की गिरावट आयी हैं शहरी श्रम बल भागीदारी की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में यह भागीदारी अधिक है।

    अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुसार यदि महिला श्रमिकों की संख्या बढ़ाकर पुरुषों के बराबर कर की जाए तो भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 27% तक की वृद्धि हो सकती है।

    महिलाओं की निम्न भागीदारी के कारण

    • व्यापक नीतिगत समर्थन तथा प्रभावी क्रियान्वयन का अभाव।
    • शिक्षा-रोज़गार के मध्य अंतराल।
    • श्रम बाज़ार छोड़ने वाली अधिकांश महिलाएँ विवाहित होती है। इसके अतिरिक्त घरेलू आय पर पड़ने वाले पति की आय के प्रभाव के कारण भी महिलाएँ श्रमबल से बाहर हो जाती है।
    • मातृत्व संबंधी कारक: श्रम बल में शामिल होने वाली अधिकतर महिलाओं द्वारा एक संतान को जन्म देने के प्श्चात् नौकरी छोड़ दी जाती है और वे पुन: नौकरी करने में असमर्थ होती है।
    • गुणवत्तापूर्ण डे-केयर की अनुपलब्धता एक अन्य प्रमुख कारक है जो महिलाओं को उनके मातृत्व अवकाश के पश्चात पुन: कार्यरत होने से प्रतिबंधित करती है।
    • पुरुषों एवं महिलाओं के मध्य रोजगार तथा वेतन को लेकर होने वाला भेद-भाव।
    • कार्यस्थल पर होने वाला यौन उत्पीड़न।

    सुझाव: मांग और आपूर्ति दोनों पक्षों के संदर्भ में श्रम बाज़ार में महिलाओं के प्रवेश को प्रोत्साहित करने हेतु कर नीतियों का प्रयोग करके नवाचारी कार्यक्रम को अपनाना चाहिये।

    • सामाजिक मानदंडों को परिवर्तित करने के लिये वृहद स्तर पर ऐसे सामाजिक अभियानों में निवेश किया जाना चाहिये जो लैगिक रूढ़िवादिता को समाप्त कर सके तथा महिलाओं को शामिल करते हुए परिवार में पुरुषों की भूमिका को पुनर्परिभाषित कर सके।
    • उन महिलाओं को सहायता प्रदान करना जो कार्य तथा नौकरियों की तलाश में प्रवास करती है।
    • अनौपचारिक तथा औपचारिक मेंटरशिप के लिये मंचों

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