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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    स्वतंत्र भारत में भाषा संबंधी एक ऐसे प्रारूप को तैयार किया गया जिसमें अनेक भाषाओं को एक भाषा में मिलाकर अन्य भाषाओं को दबाने की कोशिश नहीं की गई। चर्चा कीजिये।

    29 Apr, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहास

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • भूमिका

    • भाषा संबंधी प्रारूप का वर्णन

    • निष्कर्ष

    स्वतंत्रता के पहले से ही कांग्रेस ने स्थानीय भाषाओं के महत्त्व को स्वीकार किया था लेकिन जिन परिस्थितियों में देश को स्वतंत्रता प्राप्त हुई उसने कांग्रेस तथा राष्ट्र के प्रमुख नेताओं की सिर्फ भाषा के आधार पर प्रांतों के निर्माण की अपेक्षा एक समग्र दृष्टिकोण विकसित करने की ओर प्रेरित किया। स्वतंत्रता के बाद एक लोकतांत्रिक देश के रूप में भारत ने सभी भाषाओं को उचित सम्मान प्रदान करने का प्रयास किया है।

    स्वतंत्रता के बाद भारत में भाषा संबंधी मामलों में राज्यों को भी व्यापक अधिकार दिये गए तथा संघ राज्य संबंधों में हिंदी के साथ-साथ अंग्रेजी को भी विशेष कालबोध के लिये मान्यता प्रदान की गई। राज्य पुनर्गठन आयोग ने भी राज्यों के पुनर्गठन में भाषा को आधार माना जिसके परिणामस्वरूप विभिन्न राज्यों का गठन हुआ साथ ही विभिन्न भाषाओं को प्रोत्साहन मिला। विभिन्न राज्य अपने स्तर पर भाषा का चयन करने में सक्षम हैं जिसके परिणामस्वरूप विभिन्न प्रादेशिक भाषाओं को भी उचित प्रोत्साहन मिला।

    एक राष्ट्र एक भाषा का सिद्धांत किसी भी राष्ट्र की एकता तथा अखंडता को मज़बूती प्रदान करता है। संविधान भी सरकारों से इस दिशा में प्रयास करने की उम्मीद करता है, लेकिन किसी भाषा को दबाकर कोई नई भाषा थोपा जाना लोकतांत्रिक भावना के विपरीत है। एक लोकतांत्रिक देश में विभिन्न भाषाओं के सम्मान के साथ-साथ एक राष्ट्र एक भाषा का दिशा में प्रयास किया जाना चािहये।

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