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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    हाल ही में सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2019 को लोकसभा में पुर:स्थापित किया गया। इस संहिता के प्रावधान तथा उनके महत्त्व को रेखांकित करें।

    21 Feb, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • संक्षिप्त भूमिका।

    • इस संहिता के प्रावधान तथा उनका महत्त्व।

    • इस संहिता से संबद्ध सीमाएं।

    हाल ही में सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2019 को लोकसभा में पुर:स्थापित किया गया। इस संहिता को स्थायी समिति (Standing Committe) के पास भेजा गया है।

    इस संहिता के प्रावधान तथा उनका महत्त्व

    • सामाजिक सुरक्षा योजनाएँ: इस संहिता में सामाजिक सुरक्षा लाभों के सार्वभौमिकरण का प्रस्ताव रखा गया है। इस संहिता के अंतर्गत-
      • केंद्र सरकार कामगारों के लाभ के लिये विभिन्न सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को अधिसूचित कर सकती है। इसमें अग्रलिखित सम्मिलित हैं- कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) योजना, कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) तथा कर्मचारी जमा सहबद्ध बीमा (EDLI) योजना।
    • सरकार निम्नलिखित को भी अधिसूचित कर सकती है:
      • पाँच वर्ष की रोज़गार अवधि पूर्ण करने पर (या मृत्यु जैसे कुछ मामलों में पाँच वर्ष से कम की अवधि) कामगारों को ग्रेच्युटी प्रदान करना।
      • महिला कामगारों को मातृत्व अवकाश संबंधी लाभ प्रदान करना।
      • कार्य के दौरान चोट या रोग की स्थिति में कर्मचारी तथा उनके आश्रितों को मुआवज़ा प्रदान करना।
    • इसके अतिरिक्त, केंद्र या राज्य सरकार गिग कर्मियों, प्लेटफॉर्म कर्मचारियों तथा असंगठित कामगारों के जीवन या उनकी नि:शक्तता की स्थिति में सुरक्षा जैसे विविध लाभ प्रदान करने हेतु विशिष्ट योजनाओं के संबंध में अधिसूचना ज़ारी कर सकती है।
      • गिग कर्मी नियोक्ता-कर्मचारी संबंध वाली पारंपरिक व्यवस्था से बाहर के कर्मचारी होते हैं, जैसे- फ्रीलांसर।
      • प्लेटफॉर्म कर्मचारी ऐसे कर्मचारी होते हैं जो ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का प्रयोग करते हुए अन्य संगठनों या व्यक्तियों तक अपनी पहुँच स्थापित करते हैं तथा उन्हें विशिष्ट सेवाएँ प्रदान करके आय अर्जित करते हैं।
    • इस संहिता में असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों हेतु योजनाओं के कार्यान्वयन के लिये विशेष प्रयोजन वाहन (SPV) के गठन संबंधी पर्याप्त प्रावधान किये गए हैं। इसका उद्देश्य कॉर्पोरेट-सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) से प्राप्त निधियों को सम्मिलित करने हेतु इस संहिता के तहत विविध योजनाओं के लिये निधियों के स्रोतों का विस्तार किया गया है।
    • सामाजिक सुरक्षा संगठन: इस संहिता के तहत सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को प्रबंधित करने वाले कई निकायों के गठन का प्रावधान किया गया है। इनमें निम्नलिखित सम्मिलित हैं:
      • EPF, EPS तथा EDLI योजनाओं के प्रबंधन के लिये केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त के नेतृत्व में केंद्रीय न्यासी बोर्ड का गठन।
      • ESI योजना को प्रबंधित करने के लिये कर्मचारी राज्य बीमा निगम (इसके अध्यक्ष की नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाएगी) गठन; तथा
      • असंगठित श्रमिकों हेतु निर्मित योजनाओं के प्रबंधन के लिये केंद्रीय तथा राज्य के श्रम एवं रोज़गार मंत्रालयों के मंत्रियों के अधीन राष्ट्रीय तथा राज्य-स्तरीय सामाजिक सुरक्षा बोर्ड का गठन।
    • निरीक्षण तथा अपील संबंधी प्रावधान:
      • सरकार इस संहिता के अंतर्गत शामिल प्रतिष्ठानों के निरीक्षण के लिये निरीक्षक-सह-सुविधा प्रदाता नियुक्त कर सकती है तथा इस संहिता के अनुपालन के संबंध में नियोक्ता एवं कर्मचारियों को परामर्श प्रदान कर सकती है।
      • इस संहिता के अंतर्गत अपीलों की सुनवाई करने हेतु विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत प्रशासनिक प्रधिकारियों की नियुक्ति की जा सकती है। उदाहरण के लिये, सरकार मातृत्व लाभ संबंधी भुगतान न किये जाने की स्थिति में निरीक्षक-सह-सुविधा प्रदाता के निर्णय के विरूद्ध किसी अपीलीय प्राधिकारी को सुनवाई करने हेतु अधिसूचित कर सकती है।
      • अपराध एवं दंड संबंधी प्रवधान: इस संहिता के अंतर्गत निम्नलिखित कई अपराधों के लिये दंड निर्धारित किया गया है।
      • इस संहिता के अंतर्गत यह प्रावधान किया गया है कि यदि नियोक्ता कर्मचारी के अंश की कटौती करने के पश्चात अंशदान करने में विफल रहता है तो उस स्थिति में उसे 1 से 3 वर्ष के कारावास की सज़ा दी जा सकती है और उस पर एक लाख रुपए का जुर्माना आरोपित किया जा सकता है।
      • रिपोर्टों में यदि झूठी जानकारी मिलती है तो ऐसी स्थिति में छ: माह तक की सज़ा हो सकती है।

    उपरोक्त के बावजूद इस संहिता की कुछ सीमायें निम्नलिखितहैं :

    • सार्वभौमिक विशेषताओं का अभाव है क्योंकि भविष्य निधि, कर्मचारी राज्य बीमा, ग्रेच्युटी, मातृत्व लाभ आदि की प्रयोज्यता के लिये मौजूदा सीमा को समाप्त नहीं किया गया है।
    • संहिता के कई मूलभूत प्रावधानों में संसद एवं अन्य हितधारकों की उपेक्षा करते हुए कार्यकारी निर्णयों के द्वारा परिवर्तन करने संबंधी व्यापक प्रावधान किये गए हैं। ज्ञातव्य है कि संहिता में ऐसे 128 उदाहरण मौजूद हैं।
    • इस संहिता के अंतर्गत लाभ प्राप्त करने हेतु अपने आधार कार्ड को प्रदर्शित करने संबंधी प्रावधान को कर्मचारियों द्वारा चुनौती दी जा सकती है।

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