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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    गिग अर्थव्यवस्था से आप क्या समझते हैं ? गिग अर्थव्यवस्था से होने वाले लाभों की चर्चा करते हुए इससे संबंधित चुनौतियों पर प्रकाश डालें।

    16 Jan, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • गिग अर्थव्यवस्था क्या है?

    • इससे होने वाले लाभ।

    • इससे संबंधित चुनौतियों क्या हैं ।

    गिग अर्थव्यवस्था एक ऐसी मुक्त बाजार व्यवस्था है जहाँ पारंपरिक पूर्णकालिक रोज़गार की बजाए अस्थायी रोज़गार या पद का प्रचलन होता है। इसके तहत कंपनियाँ (संगठन) अपनी अल्पकालिक या विशेष आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये स्वतंत्र (Freelance) श्रमिकों के साथ अनुबंध करती हैं। ऐसे श्रमिक एक बार कार्य या प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद अपनी रूचि के अनुसार दूसरे कार्य या प्रोजेक्ट को चुनने हेतु स्वतंत्र होते हैं।

    इससे होने वाले लाभों को दो परिप्रेक्ष्यों में समझा जा सकता है; एक कंपनी या संगठन के परिप्रेक्ष्य में और दूसरा गिग कर्मियों के। कंपनियों के परिप्रेक्ष्य में देखें तो उनके लिये गिग अर्थव्यवस्था का सबसे बड़ा लाभ उच्च कौशलयुक्त मानव संसाधन की आवश्यकतानुरूप उपलब्धता है। इसके अलावा कंपनियों को दूसरा बड़ा लाभ कम लागत के रूप में श्रम मिलता है। यह कमी दो तरीके से आती है; एक तो उन्हें गिग प्रणाली के परिणामस्वरूप प्रशिक्षण खर्च तथा ऑफिस व्यय में बचत होती है, दूसरे उन्हें कार्मिकों की सामाजिक सुरक्षा उपायों के अंतर्गत नियोक्ता द्वारा किये जाने वाले अंशदान संबंधी व्यय से मुक्ति मिल जाती है। ऐसी अर्थव्यवस्था में मानव संसाधनों तक कंपनियों की पहुँच आसान हो जाती है। इससे नवाचार में भी तेजी आती है।

    गिग कार्मिकों के परिप्रेक्ष्य में देखें तो इसका सबसे बड़ा लाभ यह है कि वे एक से अधिक स्रोतों से आय अर्जित कर सकते हैं। दूसरा बड़ा लाभ विविध तरीके के ज्ञानार्जन तथा अनुभव हासिल करने से संबंधित है। किसी संस्था में पूर्णकालिक सदस्य न होने के कारण गिग कार्मिकों को यह अवसर मिल जाता है कि वे अपनी रूचि के अलग-अलग क्षेत्रों तथा विषयों से संबंधित ज्ञान, कौशल तथा अनुभव प्राप्त करें।

    गिग अर्थव्यवस्था ऐसी महिलाओं को भी बेहतर भविष्य प्रदान करती है जो सामाजिक तथा पारिवारिक भूमिका निभाने के कारण पूर्णकालिक सदस्य के तौर पर किसी संस्था या कंपनी से नहीं जुड़ सकती।

    गिग अर्थव्यवस्था की लोकप्रियता के साथ ही उसके समक्ष चुनौतियाँ कम नहीं हैं। इसकी चुनौतियों को भी कंपनी तथा कार्मिकों के परिप्रेक्ष्यों में समझा जा सकता है।

    कार्मिकों के संदर्भ में देखें तो उनके समक्ष सबसे बड़ी चुनौती यह है कि उन्हें इस अर्थव्यवस्था में सामाजिक सुरक्षा के उपायों तथा श्रमिक अधिकारों के लाभ से वंचित रहना पड़ता है। इन कर्मिकों को कभी भी काम से हटाया भी जा सकता है। ऐसी अर्थव्यवस्था को संचालित करने में प्रौद्योगिकी की अहम भूमिका है। भारत जैसे विकासशील देश में प्रौद्योगिकी का उन्नत ढाँचा केवल कुछ शहरों तक ही सीमित है। ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी बिजली और इंटरनेट कनेक्टिविटी की स्थिति उन्नत नहीं है। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के लिये गिग अर्थव्यवस्था का लाभ पाना संभव नहीं है।

    कंपनियों के परिप्रेक्ष्य में सबसे बड़ी चुनौती कंपनियों की कार्य-संस्कृति को प्रभावित होने से बचाना है। कंपनियाँ अपने पूर्णकालिक कार्मिकों से काम कराने की परंपरागत शैली को त्यागकर जब गिग कार्मिकों से काम लेती हैं तो उन्हें भविष्य की रणनीतिक दृष्टि की अस्पष्टता का भय बना रहता है।

    इसके अलावा महत्त्वपूर्ण डेटा व भविष्य की योजनाओं की गोपनीयता की समस्या भी देखी जाती है। यदि कोई गिग कर्मी एक साथ दो प्रतिद्वंद्वी कंपनियों के लिये कार्य कर रहा हो तो कंपनी को डेटा साझा करते समय सावधान रहना होगा।

    उपरोक्त के अतिरिक्त कंपनियों के समक्ष एक बड़ी चुनौती गिग कार्मिकों के कार्य निष्पादन की गुणवत्ता तथा आउटपुट से संबंधित है। चूंकि गिग कार्मिकों की गुणवत्ता व क्षमता को जाँचने के मानक तय नहीं है, अत: कंपनियाँ मात्र बेहतर आउटपुट की संभावना के आधार पर ही कार्मिकों को कार्य या प्रोजेक्ट सौंपने का जोखिम लेती है। जिसमें परिणाम अच्छे तथा बुरे दोनों होने की संभावना रहती है।

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