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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    कृषि व्यवसाय अब युवाओं आकर्षक नहीं लगता क्योंकि इसमें आय तथा उत्पादकता कम है। सरकार द्वारा तीव्र, समावेशी और सतत् विकासात्मक रणनीतियों के माध्यम से क्या इस समस्या का समाधान किया जा सकता है? तर्क दीजिये।

    24 Sep, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण

    • प्रभावी भूमिका लिखिये।

    • कृषि की कम उत्पादकता के कारणों का वर्णन कीजिये।

    • कृषि उत्पादन में वृद्धि हेतु सरकार के द्वारा अपनाए जाने वाले उपायों को सुझाइये।

    • अंततः सारगर्भित निष्कर्ष लिखिये।

    भारत एक कृषि प्रधान देश है जहाँ कृषि मात्र एक आर्थिक व्यवसाय व रोज़गार का प्रश्न न होकर यह लोगों की संस्कृति, सामाजिक व्यवस्था तथा आस्था से जुड़ा मामला है, जहाँ कृषकों की फसलों के हिसाब से त्योहारों का निर्धारण होता है किंतु हाल ही में प्रकशित कुछ रिपोर्टों में पाया गया है कि 40% किसान अपने बच्चों को किसानी के कार्य को नहीं अपनाने देना चाहते तथा युवा भी अब कृषि कार्य को घाटे का सौदा मानते हैं।

    वर्तमान में कृषि के जीवन-निर्वाह के बेहतर स्रोत न रह जाने के कारणों पर चर्चा करें तो स्पष्ट होगा कि इसके लिये कोई एक प्रमुख कारण ज़िम्मेवार न होकर एक पूरी श्रृंखला ही दोषी है। जिसमें शामिल हैं-

    • सिंचाई के लिये मानसून पर निर्भरता
    • सार्वजनिक निवेश की गुणवत्ता का कमज़ोर होना
    • ऊर्जा, परिवहन, भंडारण व वितरण के क्षेत्र में आधारभूत ढाँचे का पिछड़ापन
    • कृषि साख की समस्या, दोषपूर्ण न्यूनतम समर्थन प्रणाली
    • भूमि सुधार की समस्या
    • तकनीक कौशल का अभाव आदि

    सरकार द्वारा यदि निम्नलिखित रणनीतियों को अपनाया जाए तो कृषि फायदे का सौदा साबित हो सकती है-

    • कृषि के साथ-साथ पशुपालन, मधुमक्खी पालन, मत्स्यपालन जैसे आजीविका के वैकल्पिक स्रोतों को अपनाने हेतु कृषकों को प्रोत्साहित करना।
    • कृषि वानिकी, जैविक कृषि, मिश्रित कृषि, ज़ीरो बजट कृषि जैसे संधारणीय कृषि उपायों को अपनाना।
    • एकीकृत मूल्य श्रृंखला, भंडारण की समुचित व्यवस्था आदि सुनिश्चित करना।
    • कृषि हेतु सूक्ष्म सिंचाई जैसे- ड्रिप प्रणाली, स्प्रिंकलर प्रणाली आदि को अपनाना।
    • कृषकों को मृदा की गुणवत्ता और जलवायु के अनुसार फसलों के चयन हेतु प्रशिक्षित करना।
    • कृषि की वैज्ञानिक पद्धतियों को बढ़ावा दिया जाए तथा कृषकों को जीएम फसलों, जलीय कृषि आदि के ओर उन्मुख किया जाए।

    निष्कर्षतः उपरोक्त सुझाए गए उपाय न केवल कृषकों की आय बढ़ाएंगे बल्कि पर्यावरण संरक्षण हेतु भी अत्यंत प्रासंगिक हैं। इसके अतिरिक्त सरकार द्वारा आरंभ की गई प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, ई-नाम और मृदा स्वास्थ्य कार्ड जैसी सरकारी पहलें भी कृषि उत्पादकता में सुधार करने हेतु अत्यंत उपयोगी हैं किंतु सरकार को इनके क्रियान्वयन पर और अधिक ध्यान देने की ज़रूरत है।

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