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मध्य प्रदेश

तानसेन का मकबरा

  • 27 Jun 2025
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने ग्वालियर स्थित हज़रत शेख मोहम्मद गौस की मज़ार पर धार्मिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियाँ संचालित करने की अनुमति देने संबंधी याचिका को खारिज कर दिया तथा स्मारक के संरक्षण की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।

  • सम्राट अकबर के दरबार के महान संगीतकार तानसेन की कब्र इसी स्मारक परिसर में स्थित है।

मुख्य बिंदु

  • इस मकबरे का निर्माण सूफी संत शेख मोहम्मद गौस की मृत्यु के बाद किया गया था तथा यह सम्राट अकबर के शासनकाल (1556–1605) के सबसे उल्लेखनीय स्मारकों में से एक है।
  • इस मकबरे में कई ऐसी विशेषताएँ समाहित हैं, जो बाद की मुगल वास्तुकला, विशेषकर पूर्वी भारत में, सामान्य रूप से अपनाई गईं।
    • इसका ढाँचा वर्गाकार है, जिसमें एक बड़ा और चपटा गुंबद तथा दोनों ओर छतरियाँ हैं, जो इसे बहुस्तरीय रूप प्रदान करती हैं
    • केंद्रीय कक्ष के चारों ओर एक बरामदा है, जो बारीक नक्काशीदार पत्थर की जालियों से सुसज्जित है, जो गुजरात की स्थापत्य शैली से प्रभावित है।
  • इस मकबरे की रूपरेखा ने बाद की मुगलकालीन संरचनाओं को भी प्रभावित किया, जिनमें फतेहपुर सीकरी स्थित प्रसिद्ध शेख सलीम चिश्ती का मकबरा भी शामिल है।
  • तानसेन के बारे में:
    • तानसेन का जन्म लगभग 1500 ई. में ग्वालियर, मध्य प्रदेश में हुआ था। बाद में वे उत्तर भारतीय शास्त्रीय संगीत के सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों में से एक बन गए।
    • सूफी परंपरा के अनुसार, तानसेन शेख मोहम्मद गौस के शिष्य थे।
    • उन्हें उनकी ध्रुपद रचनाओं और रागों पर अद्वितीय अधिकार के लिये ख्याति प्राप्त हुई, जो ऐसे संगीतात्मक ढाँचे होते हैं जिन्हें विशिष्ट भावनाओं या प्रकृति के तत्त्वों को उद्बोधित करने हेतु रचा गया है।
      • किंवदंतियों के अनुसार, उनकी गायन-शैली में चमत्कारी प्रभाव था, जैसे जंगली जानवरों को शांत करना, पक्षियों और शेरों जैसी ध्वनियों की नकल करना, यहाँ तक कि दिन के समय को बदल देना
    • तानसेन ने मुगल सम्राट अकबर के दरबार में स्थान प्राप्त किया, जिन्होंने कलात्मक प्रतिभा को अत्यंत महत्त्व दिया और उस युग के कई प्रख्यात विद्वानों तथा कलाकारों को संरक्षण प्रदान किया।
      • वे अकबर के दरबार के नवरत्नों अर्थात् “नौ रत्नों” में से एक थे।
      • उनकी असाधारण संगीत प्रतिभा की सराहना करते हुए, अकबर ने उन्हें "मियाँ" की उपाधि प्रदान की, जिसका अर्थ होता है—"गुरु" या "श्रेष्ठ पुरुष"
    • तानसेन की मृत्यु वर्ष 1586 या 1589 के आसपास हुई तथा उन्हें ग्वालियर में दफनाया गया

पुरातत्त्व स्थल और अवशेष (AMASR) अधिनियम, 1958 

  • इस अधिनियम का उद्देश्य आगामी पीढ़ियों के लिये प्राचीन संस्मारकों की सुरक्षा और संरक्षण करना है।
    • यह अधिनियम सार्वजनिक अथवा निजी स्वामित्व वाली 100 वर्ष से अधिक पुराने संस्मारकों पर लागू होता है।
  • इस अधिनियम के तहत राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण (NMA) की मंज़ूरी के बिना प्राचीन स्मारकों के समीप निर्माण अथवा कोई परिवर्तन करना प्रतिबंधित है।
    • AMASR अधिनियम के तहत स्थापित NMA संस्मारकों और स्थलों (केंद्रीय रूप से नामित संस्मारकों के समीप प्रतिबंधित/प्रतिबंधित क्षेत्रों) के रखरखाव तथा संरक्षण के लिये ज़िम्मेदार है।
    • NMA, AMASR अधिनियम को कार्यान्वित करने और संरक्षित तथा विनियमित क्षेत्रों के भीतर निर्माण अथवा विकासात्मक गतिविधि के लिये अनुमति देने के लिये ज़िम्मेदार है।
  • संरक्षित क्षेत्र स्मारक के चारों ओर 100 मीटर की परिधि है, जिसके बाहर 200 मीटर तक एक विनियमित क्षेत्र है।
    • वर्तमान प्रतिबंध संरक्षित स्मारकों के 100 मीटर की परिधि में निर्माण पर रोक लगाते हैं और साथ ही अतिरिक्त 200 मीटर के दायरे में परमिट हेतु कठोर नियम हैं।

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