इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    छायावाद में नवजागरण के स्वर। (2013, प्रथम प्रश्न-पत्र, 5 ङ)

    20 Nov, 2017 रिवीज़न टेस्ट्स हिंदी साहित्य

    उत्तर :

    कई समीक्षकों ने छायावादी संवेदना और साहित्यिक चेतना पर यह आरोप लगाया कि यह तत्कालीन राष्ट्रीय आंदोलन व नवजागरण की प्रक्रिया से कटा हुआ है, किंतु यह विश्लेषण वस्तुतः अधूरा है। सूक्ष्म स्तर पर यदि हम छायावादी काव्य का अंकन करें तो नवजागरण यहाँ कई स्तरों पर दिखाई देता है।

    नवजागरण का अर्थ है नए तरीके से जागना। छायावाद ने राष्ट्रीय जागरण हेतु एक मौलिक व नया तरीका अपनाया, राष्ट्र के स्वाभिमान व गौरव का ज्ञान कराने हेतु कवियों ने अतीत की महानता का वर्णन किया-

    "पश्चिम की उक्ति नहीं, गीता है, गीता है"

    नवजागरण का एक आयाम होता है, समस्याओं के समाधान हेतु जुझारू मानसिकता का परिचय देना। छायावादी कवि अपनी लेखनी के माध्यम से जनसामान्य में जोश और उमंग इस प्रकार पैदा करते हैं-

    "हिमाद्रि तुंग शृंग से, प्रबुद्ध शुद्ध भारती
    स्वयंप्रभा समुज्ज्वला, स्वतंत्रता पुकारती"

    छायावादी काव्य की संवेदना कई स्तरों पर नवजागरण को छूती है, इसी संदर्भ में यह कहा जा सकता है कि इस काव्य में तत्कालीन राष्ट्रीय समस्याओं के समाधान हेतु कुछ नए और मौलिक तरीके प्रस्तुत किये गए-

    "शक्ति की करो मौलिक कल्पना करो पूजन
    छोड़ दो समर जब तक न सिद्धि हो रघुनंदन"

    छायावादी कवियों ने आमजन को राष्ट्रीय आंदोलन से जोड़ने हेतु अपने काव्य में कई प्रतीकों के माध्यम से जागृत करने के भाव को पैदा किया। छायावाद में जागरण शब्द का प्रयोग सभी कवियों ने अनेक संदर्भों में किया है-

    प्रसाद- "बीती विभावरी जाग री"
    निराला- "जागो फिर एक बार"
    महादेवी- "जाग तुझको दूर जाना है"

    उल्लेखनीय है कि छायावाद में जो नवजागरण के संकेत दिखाई देते हैं या जो स्वर उभरा है वह केवल भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि उसमें पूरा विश्व समाहित है। यह विश्व कल्याण और ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के अनुरूप है-

    "औरों को हँसते देखो मनु, हँसो और सुख पाओ
    अपने सुख को विस्तृत कर लो, सबको सुखी बनाओ"

    निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि छायावाद में जागरण के जो स्वर दिखाई देते हैं वे ‘नव’ इस अर्थ में हैं कि उनमें समस्या, समस्या-समाधान व वैश्विक कल्याण के तत्त्व मौजूद हैं।

    To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

    Print
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2