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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    सतत् ऊर्जा के लिये नियामक संकेतक (RISE) 2018 के अनुसार, सतत् ऊर्जा हेतु मज़बूत नीतिगत ढाँचा अपनाने वाले देशों और अक्षय ऊर्जा तथा ऊर्जा दक्षता लक्ष्यों की प्रभावशीलता की विवेचना करें।

    02 Jan, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 3 पर्यावरण

    उत्तर :

    भूमिका:


    RISE का परिचय देते हुए उत्तर आरंभ करें-

    RISE संकेतकों का एक समूह है जो देशों को सतत् ऊर्जा के लिये राष्ट्रीय नीति और विनियामक ढाँचे की तुलना करने में मदद करता है। यह सतत् ऊर्जा के तीन स्तंभों, यथा- आधुनिक ऊर्जा तक पहुँच, ऊर्जा दक्षता एवं नवीकरणीय ऊर्जा के लिये देशों की नीति एवं उनके विनियामक समर्थन का आकलन करता है।

    विषय-वस्तु


    विषय-वस्तु के पहले भाग में सतत् ऊर्जा के लिये नियामक संकेतक, 2018 के बारे में विस्तारपूर्वक चर्चा करेंगे-

    RISE 2018, RISE का दूसरा संस्करण है और इसका पहला संस्करण वर्ष 2016 में प्रकाशित हुआ था। इस संस्करण में भी देशों को वर्गीकृत करने के लिये पिछली कार्यप्रणाली का ही अनुसरण किया गया है तथा देशों को उनके प्रदर्शन के आधार पर तीन वर्गों- ग्रीन ज़ोन, येलो ज़ोन तथा रेड ज़ोन में रखा गया है। सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले देशों को ग्रीन ज़ोन में, मध्यम प्रदर्शन करने वाले देशों को येलो ज़ोन तथा सबसे कमज़ोर प्रदर्शन करने वालों को रेड ज़ोन में रखा गया है।

    RISE 2018 में 2010 से पॉलिसी टाइम ट्रेंड समेत कई नीतियों को भी शामिल किया गया है जो इस प्रकार हैं-

    • प्रवर्तन का समर्थन करने वाली नीतियों को लागू करने पर अधिक ज़ोर देना।
    • हीटिंग और परिवहन क्षेत्रों का व्यापक कवरेज।
    • क्लीन कुकिंग के लिये नीतियों का प्रारंभिक मूल्यांकन।

    RISE 2018 के मुख्य निष्कर्ष

    • 2010-2017 के बीच सतत् ऊर्जा के लिये मज़बूत ढाँचा अपनाने वाले देशों की संख्या 17 से बढ़कर 59 तक पहुँच गई जो कि तीन गुना से अधिक है।
    • पेरिस समझौता, 2015 के बाद अक्षय ऊर्जा और ऊर्जा दक्षता दोनों के स्पष्ट लक्ष्य निर्धारित करते हुए दुनिया में ऊर्जा का सबसे अधिक उपभोग करने वाले देशों में से कई ने अपने अक्षय ऊर्जा नियमों में काफी सुधार किया है।
    • यह प्रगति केवल विकसित देशों में नहीं हुई है बल्कि विकासशील देशों ने भी इस क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन किया है।
    • 2017 में 50 देशों (2010 से लगभग दोगुना) ने नवीकरणीय ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये महत्त्वपूर्ण नीति ढाँचे का विकास किया।
    • RISE के द्वारा कवर किये गए देशों में से लगभग 93 प्रतिशत देशों ने आधिकारिक नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य को अपनाया। गौरतलब है कि वर्ष 2010 में केवल 37 प्रतिशत देशों ने आधिकारिक नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य को अपनाया था।
    • ऊर्जा दक्षता पर उन्नत नीतिगत ढाँचा अपनाने वाले देशों का प्रतिशत 2010 के 2 प्रतिशत से बढ़कर 2017 में 25 प्रतिशत हो गया। उल्लेखनीय है कि विश्व की कुल ऊर्जा खपत में इन देशों का योगदान 66 प्रतिशत है।
    • हालाँकि ऊर्जा दक्षता को लेकर वैश्विक औसत स्कोर कम बना हुआ है जो अब भी सुधार की तरफ इशारा करता है।
    • SDG-7 के अंतर्गत लक्षित चार क्षेत्रों में से एक क्लीन कुकिंग की तरफ नीति निर्माताओं का सबसे कम ध्यान जाता है। 2010 से 2017 तक नीतिगत ढाँचे में विकास के बावजूद कुकस्टोव संबंधी मानक निर्धारण और उत्पादक एवं उपभोक्ता द्वारा स्वच्छ प्रौद्योगिकियों को अपनाने पर प्रोत्साहनों में बहुत कम प्रगति हुई है।

    विषय-वस्तु के दूसरे भाग में हम RISE 2018 का आलोचनात्मक विश्लेषण करेंगे-

    • RISE 2018 के परिणाम उत्साहजनक माने जा सकते हैं परंतु देशों द्वारा इस मामले में काफी रास्ता तय किया जाना बाकी है।
    • टिकाऊ ऊर्जा के लिये उन्नत नीति ढाँचे को अपनाने की दिशा में दुनिया ने केवल आधा रास्ता तय किया है। इससे 2030 तक SDG-7 की प्राप्ति में विलंब हो सकता है और वैश्विक तापमान में वृद्धि को 2 डिग्री से कम रखने के लक्ष्य में बाधा आ सकती है।
    • ऊर्जा तक पहुँच वाले देशों में बुनियादी क्रेडिट योग्यता मानदंडों को पूरा करने वाली उपयोगिताओं की संख्या 2012 के 63 प्रतिशत से घटकर 2016 में 37 प्रतिशत रह गई है।
    • भारतीय परिदृश्य में देखने पर पता चला है कि भारत को नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में बहुत सफलता मिली है जिसके फलस्वरूप सौर ऊर्जा के मूल्य में कमी आई है।
    • हालाँकि भारत को क्लीन कुकिंग, परिवहन आदि क्षेत्रों में बहुत अधिक कार्य करने की आवश्यकता है।

    निष्कर्ष


    अंत में संतुलित, संक्षिप्त एवं सारगर्भित निष्कर्ष लिखें-

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