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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    सरकार द्वारा अनेक सरकारी सेवाओं का लाभ लेने के लिये आधार (Aadhar) को अनिवार्य किया जा रहा है। सरकार के इस कदम के फायदों एवं इसमें अंतर्निहित चिंताओं का विश्लेषण करें।

    25 May, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    उत्तर :

    सरकार ने आयकर रिटर्न दाखिल करने के साथ-साथ पैन (PAN) प्राप्त करने, मध्याह्न भोजन योजना (Mid-Day-Meal) के अंतर्गत लाभ प्राप्त करने, मोबाइल फोन कनेक्शन के सत्यापन, बीड़ी, लौह-अयस्क एवं चूना-पत्थर श्रमिकों को सब्सिडी प्राप्त करने, फसल बीमा लाभ सब्सिडी प्राप्त करने आदि के लिये भी आधार संख्या को अनिवार्य कर दिया है। उच्चतम न्यायालय ने अपने एक निर्णय में आदेश दिया कि गैर-कल्याणकारी योजनाओं (जैसे-बैंक में खाता खोलना, आयकर रिटर्न दाखिल करना आदि) के लिये आधार कार्ड को अनिवार्य करने से सरकार को रोका नहीं जा सकता। किंतु, उच्चतम न्यायालय ने कहा कि सरकार कल्याणकारी योजनाओं के लिये आधार केा अनिवार्य नहीं बना सकती। यद्यपि कुछ योजनाओं के लिये आधार के उपयोग की अनुमति दी जा सकती है लेकिन इसे अनिवार्य आवश्यकता के रूप में इस्तेमाल की अनुमति नहीं दी जा सकती।

    सरकार द्वारा ‘आधार’ अपनाने के फायदे-

    • आधार बायोमीट्रिक आधारित विशिष्ट पहचान प्रणाली है अतः सरकारी योजनाओं में नकली एवं छद्म लाभार्थियों की पहचान कर इन योजनाओं में होने वाले भारी लीकेज को रोकने में सहायक है।
    • आधार के प्रयोग द्वारा इलेक्ट्रोनिक लाभ अंतरण की दक्षता में वृद्धि हुई है एवं इसने लक्षित लाभार्थियों तक सीधे लाभ प्रेषित करने के लिये एक सुरक्षित मंच प्रदान किया है।
    • आधार के प्रयोग से प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) से सरकार को सब्सिडी में व्यय होने वाली 49,000 करोड़ रुपए से अधिक राशि की बचत हुई क्योंकि सब्सिडी अंतरण के दौरान होने वाले लीकेज एवं दोहराव से बचाव हुआ है।
    • स्पष्ट उत्तरदायित्व एवं पारदर्शी निगरानी व्यवस्था लाभार्थियों की आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं तक पहुँच और उनकी गुणवत्ता सुनिश्चित करने में सहायक सिद्ध होगी।
    • ‘आधार’ का एकल पहचान पत्र के रूप में प्रयोग किया जा सकता है एवं अब विभिन्न पहचान पत्रों की आवश्यकता समाप्त हो गई है।

    ‘आधार’ से संबंधित चिंताएँ-

    • भारत में एक व्यापक गोपनीयता कानून की अनुपस्थिति में आधार अनिवार्य बनाने से राज्य द्वारा व्यक्तिगत जानकारी का दुरूपयोग किया जा सकता है। इससे व्यक्ति का गोपनीयता अथवा निजता का अधिकार संकट में पड़ सकता है।
    • आधार अधिनियम में ‘बिग डेटा एनालिसिस’ के उपयोग द्वारा व्यक्ति के व्यवहार और प्रोफाइल के निर्धारण के खिलाफ सुरक्षा का प्रावधान नहीं है।
    • आधार डेटा के दुरूपयोग से संबंधित शिकायत के निपटान का कोई तंत्र विकसित नहीं किया गया। 
    • आधार अधिनियम के माध्यम से UIDAI (Unique Identification Authority of India) को संसद के पूर्व अनुमोदन के बिना जानकारियाँ एकत्रित करने संबंधी निर्देश देने की शक्ति प्रदान की गई है।

    निष्कर्षः आधार सामाजिक और वित्तीय समावेशन, सार्वजनिक क्षेत्र में वितरण सुधारों, जन-केंद्रित शासन आदि के माध्यम से प्रशासनिक प्रक्रियाओं में सुधार का अनूठा अवसर प्रदान करता है। यह समाज के वंचित और कमजोर वर्गों के समावेशन का साधन है और वितरण मूलक न्याय और समानता स्थापित करने का औजार है। फिर भी, इसे अनिवार्य बनाने से पूर्व इससे संबंधित सुरक्षा चिंताओं का समाधान करना आवश्यक है।

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