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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    सरकार ने निर्धनता से प्रभावी रूप से निपटने के लिये सामाजिक-आर्थिक कल्याण कार्यक्रमों को लागू करने के हेतु निर्धनता रेखा विधि के स्थान पर सामाजिक-आर्थिक जनगणना (Socio Economic Cast Census) का उपयोग करने का निर्णय लिया। स्पष्ट कीजिये कि यह विधि (SECC) पूर्ववर्ती निर्धनता रेखा विधि से किस प्रकार बेहतर है।

    26 Jul, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    उत्तर :

    किसी भी कल्याणकारी कार्यक्रम की रूपरेखा बनाने में निर्धनों की पहचान करना पहला एवं सबसे महत्त्वूपर्ण कदम होता है। स्वतंत्रता के बाद से भारत में निर्धनों की संख्या की गणना के लिये निर्धनता रेखा विधि का प्रयोग किया जाता रहा है। वर्तमान में भारत में निर्धनता रेखा से नीचे जीवनयापन करने वालों (BPL) का निर्धारण सुरेश तेंदुलकर समिति के अनुसार किया जाता है जो खाद्य-सामग्रियों और गैर-खाद्य सामग्रियों के बास्केट पर आधारित है। अब सरकार ने इस विधि के स्थान पर सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना के आँकड़ों के प्रयोग का फैसला किया है। यह विधि पूर्ववर्ती विधि से बेहतर है, ऐसा निम्नलिखित बिंदुओं से स्पष्ट होता है-

    • निर्धनता रेखा विधि निर्धनता रेखा से नीचे सभी निर्धनों को एक ही श्रेणी में रखती थी, जबकि SECC के माध्यम से उनका आगे भी वर्गीकरण किया जा सकता है।
    • SECC अयोग्य उम्मीदवारों, विशेष रूप से संपन्न लोगों को अलग कर लाभार्थियों की सूची को अधिक स्पष्ट करने में सहायक है। इस प्रकार यह सरकार द्वारा वंचितों को प्रदत्त लाभ तक संपन्न वर्ग के पहुँच को नियंत्रित करता है।
    • SECC के अंतर्गत प्रत्येक परिवार को विभिन्न वंचन कारकों के आधार पर सूचीबद्ध किया जाएगा एवं अभावग्रस्त पाए जाने पर वे उस विशिष्ट योजना के पात्र होंगे, जैसे- कुछ परिवार खाद्य सब्सिडी के पात्र होंगे तो कुछ LPG सब्सिडी के पात्र हो सकते हैं और कुछ दोनों के। निर्धनता रेखा विधि में इस प्रकार का वर्गीकरण संभव नहीं था।

    हालाँकि इसे अपनाने पर सरकार को कुछ चुनौतियों का सामना भी करना पड़ सकता है-

    • सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना के आँकड़ों के अनुसार लाभार्थियों का चयन करने पर इन आँकड़ों को नियमित अद्यतन (Update) करने की आवश्यकता होगी जो एक श्रमसाध्य एवं लागत साध्य कार्य है।
    • शहरी जातिगत आँकड़े अभी तक जारी नहीं किये गए हैं। अतः वर्तमान में यह केवल ग्रामीण क्षेत्रों की योजनाओं तक ही सीमित रहेगी। 

    अतः यह कहा जा सकता है कि सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना सरकार को वास्तविक वंचित लोगों को पृथक् करने में सहायक सिद्ध होगी एवं निर्धनता उन्मूलन में सहायक होगी।

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