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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    हाल ही में एक रिपोर्ट के आँकड़ों से यह उजागर हुआ है कि कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (Corporate Social Responsibility: CSR) के प्रावधान अपने उद्देश्यों की पूर्ति में असफल रहे हैं। चर्चा करें। साथ ही यह भी बताएँ कि इसकी सफलता सुनिश्चित करने के लिये क्या प्रयास किये जाने चाहियें?

    08 Aug, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    उत्तर :

    कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत CSR प्रावधानों को वैधानिक दर्जा प्रदान किया गया। ऐसी कंपनियाँ जिनका सालाना टर्न-ओवर 1,000 करोड़ से अधिक है या नेटवर्थ 500 करोड़ से अधिक है अथवा निवल लाभ 5 करोड़ से अधिक है तो इन कंपनियों को प्रतिवर्ष अपने तीन साल के औसत वार्षिक लाभ का 2 प्रतिशत CSR गतिविधियों में खर्च करना होगा।

    हाल ही में प्राइम डाटाबेस द्वारा CSR पर जारी रिपोर्ट में इससे संबंधित कई समस्याओं को उजागर किया गया है जिससे यह उजागर होता है कि CSR प्रावधान अपने उद्देश्यों की पूर्ति में पूर्णतः सफल नहीं हुए हैं-

    • कंपनियों द्वारा अधिकांश व्यय अपनी पसंद के क्षेत्रों में किया गया, जैसे-शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में कुल CSR का 44 प्रतिशत खर्च किया गया। इससे अन्य क्षेत्रों की उपेक्षा हुई।
    • कुल CSR व्यय का 25 प्रतिशत से अधिक हिस्सा महाराष्ट्र, गुजरात, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और राजस्थान जैसे 5 राज्यों में ही खर्च किया गया। इसमें पूर्वोतर के राज्य उपेक्षित ही रहे हैं।
    • दूरदराज के इलाकों और ग्रामीण क्षेत्रों में CSR गतिविधियों का लाभ नहीं पहुँच पाता है। इससे वास्तविक जरूरतमंद इनके लाभों से वंचित रह जाते हैं।
    • CSR परियोजनाओं के संबंध में विभिन्न स्थानीय एजेंसियों के बीच आम सहमति की कमी है। अतः कंपनियों द्वारा किये गए प्रयासों का दोहराव होता है।
    • CSR गैर-अनुपालन के मामले में दंड या प्रवर्तन तंत्र के बारे में बात नहीं करता है। अतः इसका प्रभावी कार्यान्वयन नहीं हो पाया।

    CSR प्रावधानों के सफल कार्यान्वयन के लिये निम्नलिखित प्रयास किये जाने चाहियें-

    • आम जनता में CSR के बारे में जागरूकता पैदा करनी चाहिये। इसके लिये विभिन्न हितधारकों, जैसे- सरकार, कंपनियों, NGOs, सिविल सोसाइटी, मीडिया आदि को शामिल किया जाना चाहिये।
    • कंपनियों को CSR प्रावधानों के अनुरूप खर्च करने के लिये प्रतिबद्धता दिखानी चाहिये तथा गरीबों और वंचितों को लक्षित करना चाहिये।
    • कंपनियों को CSR या एक राष्ट्रीय गठबंधन का निर्माण करना चाहिये ताकि उनके कार्यों का दोहराव न हो।
    • सरकार द्वारा ऐसी कंपनियों को पुरस्कृत करना चाहिये जो गरीबों और वंचितों को प्रभावी रूप से CSR परियोजनाओं का लाभ पहुँचाती हैं।

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