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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    प्रतिबद्धता से क्या अभिप्राय है? क्या लोक सेवकों को प्रतिबद्ध होना चाहिये ? चर्चा करें।

    29 Aug, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा-

    • प्रतिबद्धता को परिभाषित करें।
    • लोक सेवक को प्रतिबद्ध होना चाहिये या नहीं , तर्क के साथ लिखें।
    • लोक सेवक को किसके प्रति प्रतिबद्ध होना चाहिये, बिंदुवार लिखें।
    • निष्कर्ष

    प्रतिबद्धता एक आतंरिक गुण है। प्रतिबद्धता व्यक्ति,विचारधारा या मूल्यों के प्रति हो सकती है। प्रतिबद्धता में संज्ञानात्मक व भावनात्मक पक्ष तो होता ही है, प्रायः व्यवहारात्मक पक्ष भी होता है। 1968 में इंदिरा गांधी ने एक प्रतिबद्ध नौकरशाही की मांग की थी। इस पर उनकी यह कहकर आलोचना की गई कि वे एक कठपुतली जैसी नौकरशाही चाहती हैं। लेकिन प्रश्न अवश्य खड़ा हो गया कि क्या नौकरशाही को प्रतिबद्ध होना चाहिये? यदि हाँ तो यह प्रतिबद्धता किसके प्रति होनी चाहिये? 

    किसी कल्याणकारी राज्य की लोक-प्रक्रियाओं में सिविल सेवक महत्त्वपूर्ण एजेंट होते हैं। यदि इन सिविल सेवकों का रवैया लोक कल्याण के प्रति उदासीन रहेगा तो हमारे संवैधानिक उद्देश्यों की पूर्ति नहीं हो सकेगी। इसलिये लोक सेवकों को प्रतिबद्ध तो अवश्य होना चाहिये परंतु उनकी प्रतिबद्धता किसके प्रति होनी चाहिये, इसके लिये निम्नलिखित निष्कर्ष महत्त्वपूर्ण हैं –

    • लोक सेवकों की प्रतिबद्धता मूलतः संविधान के प्रति होनी चाहिये एवं इसे निरपेक्ष रूप में होना चाहिये। अर्थात् अगर व्यक्ति की विचारधारा और संवैधानिक विचारधारा में टकराव हो तो भी प्राथमिकता संविधान को दी जानी चाहिये।
    • सामाजिक न्याय व कल्याणकारी उद्देश्यों के प्रति प्रतिबद्धता होनी चाहिये। इसके लिये लोक सेवक को वंचित वर्गों के प्रति करुणावान और संवेदनशील होना चाहिये। 
    • संसद द्वारा पारित विधानों और कानूनों के प्रति भी सामान्यतः उसे प्रतिबद्ध होना चाहिये। यदि किसी संसदीय नीति की नैतिकता पर गहरा विवाद है और वह सर्वोच्च न्यायलय में प्रश्नगत है, तो कुछ समय के लिये उस नीति के प्रति तटस्थ रहा जा सकता है। 
    • लोक सेवक को अपनी आचरण संहिता (code of conduct) और नीति संहिता (code of ethics) के प्रति प्रतिबद्ध होना चाहिये। 
    • किसी लोक सेवक को किसी राजनीतिक दल, उसकी विचारधारा या उसके किसी नेता के प्रति प्रतिबद्ध नहीं होना चाहिये। 

    अतः स्पष्ट है कि लोक सेवक को प्रतिबद्ध होना चाहिये, परंतु उसकी प्रतिबद्धता जनकल्याण और संवैधानिक मूल्यों के प्रति होनी चाहिये।

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