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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    भावनात्मक बुद्धिमत्ता से संबंधित डेनियल गोलमेन के मॉडल पर टिप्पणी करें।

    08 Sep, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा-

    • डेविड गोलमेन के अनुसार भावनात्मक बुद्धिमत्ता की परिभाषा।
    • गोलमेन के भावनात्मक बुद्धिमत्ता के मॉडल को बिंदुवार लिखें।

    डेनियल गोलमेन एक लोकप्रिय मनोवैज्ञानिक हैं। गोलमेन का ज़्यादा बल भावनात्मक बुद्धिमत्ता के व्यावहारिक पक्ष पर है। उन्होंने स्पष्ट रूप से भावनात्मक बुद्धिमत्ता को योग्यता या गुण के रूप में परिभाषित नहीं किया है। उनका मानना है कि भावनात्मक बुद्धिमत्ता एक अर्जित की जाने वाली योग्यता या क्षमता है, किंतु उसकी परिधि हमारी जैविक संरचनाओं से भी प्रभावित होती है। 

    गोलमेन ने भावनात्मक बुद्धिमत्ता को 5 योग्यताओं या क्षमताओं का समूह माना है-

    • स्व-जागरूकता (Self Awareness) – इसका अर्थ है अपनी भावनाओं, अनुभूतियों, स्वभाव, मूल्यों, उद्देश्यों, क्षमताओं व कमज़ोरियों का स्पष्ट ज्ञान। व्यक्ति के निर्णय तभी सही होंगे जब वह अपने मूल व्यक्तित्व से परिचित होगा। खुद को ठीक से न समझने वाले व्यक्ति के निर्णय बाहरी दबावों या तात्कालिक प्रलोभनों पर आधारित होंगे और ऐसा हर निर्णय बाद में गलत साबित होता है। 
    • आत्मनियमन (Self Regulation)- इसका अर्थ है अपनी भावनाओं का स्वभाव, उनकी तीव्रता और उनकी अभिव्यक्ति को प्रबंधित करना। इसके तीन पक्ष हैं-

    1. यदि भावना की प्रकृति उचित नहीं है तो उसे अभिव्यक्त होने से रोक देना। जैसे- क्रोध के फलस्वरूप मन में आए हिंसा के भाव को रोक देना।
    2. यदि भावना सही है, किंतु उसकी तीव्रता गलत है तो उस तीव्रता को संतुलन के स्तर पर ले जाना।
    3. भावनाओं को अभिव्यक्त करते समय ध्यान रखना कि अभिव्यक्ति की अधिकता स्वयं एक समस्या बन सकती है। 

    • आत्म अभिप्रेरण (Self Motivation)- इसका अर्थ है कि जब व्यक्ति का उद्देश्य काफी दूर हो और बाहरी अभिप्रेरणाएँ उपलब्ध न हो पा रही हों तो उसमें यह क्षमता होनी चाहिये कि वह स्वयं को प्रेरित कर सके। 
    • समानुभूति (Empathy)- इसका अर्थ है दूसरों की भावनाओं और अनुभूतियों को सटीक रूप से पढ़ने की क्षमता, चाहे वह व्यक्ति अपनी भावना को छिपाना चाहता हो।
    • सामाजिक दक्षता (Social Skill)- इसे अंतर्वैयक्तिक दक्षता भी कहा जाता है। इसका अर्थ है कि व्यक्ति को अन्य व्यक्तियों के साथ संबंध इस तरह से बनाकर रखना चाहिये कि उन संबंधों से उसे तथा सभी को लाभ हो।

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