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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    हाल ही में दो राज्यों के मध्य जल विवाद के मुद्दे ने एक विकृत रूप धारण कर लिया। इससे न केवल दोनों राज्यों के मध्य संबंध कमज़ोर हुए बल्कि दोनों राज्यों में आगजनी, एक-दूसरे राज्य के निवासियों के साथ अभद्र व्यवहार और सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान होने जैसी घटनाएँ भी हुईं। एक राज्य के मुख्य सचिव के रूप में इस मुद्दे के समाधान, कानून व्यवस्था के निर्माण तथा आपसी भ्रातृत्व एवं सौहार्द्र को पुनः स्थापित करने के लिये आपके पास कौन-कौन से विकल्प मौजूद हैं? अपने विकल्पों के गुण-दोषों का विवेचन करते हुए सर्वश्रेष्ठ विकल्प बताइये।

    15 Nov, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    नदियाँ प्राकृतिक रूप से जल जैसी अमूल्य संपत्ति को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाती हैं। जल की मात्रा, समय और दिशा प्रकृति स्वयं निर्धारित करती है। वर्तमान समय में क्षेत्रीय बँटवारे के कारण ऐसे कई राज्य हैं, जो उन नदियों पर आश्रित हैं जिनका उद्गम किसी दूसरे प्रदेश या देश में स्थित है। कृषि क्षेत्र के दबाव एवं आधुनिक उद्योगों में पानी की बढ़ती ज़रूरत के कारण पानी की मांग बढ़ी है। ऐसे में पानी को लेकर खींचतान स्वाभाविक है।

    हाल ही कावेरी जल मुद्दे पर हुई आगजनी, हिंसा एवं अभद्र व्यवहार से इस मुद्दे की गंभीरता का पता चलता है। सरकार का दायित्व क्षेत्रीय आकांक्षाओं एवं सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को संतुलित तरीके से क्रियान्वित करना है। मेरा स्पष्ट मानना है कि इस मुद्दे पर राज्य सरकारें या तो क्षेत्रीय आकांक्षाओं को समझ नहीं पाईं या विपक्ष इसे मुद्दा बनाकर अपनी राजनीतिक पकड़ मज़बूत करना चाह रहा है। 

    इस मामले की शुरुआत नदियों के जल बँटवारे को लेकर ही शुरू हुई, किंतु बाद में इसने भाषा, संस्कृति एवं क्षेत्रीयता को भी नहीं बख्शा। इसका अर्थ यह है कि ‘जल की समस्या’ वाकई इतनी विकराल है कि लोगों का गुस्सा इस स्तर पर पहुँच चुका है। दूसरा, राजनीतिक एवं असामाजिक तत्त्वों का हाथ होने से भी इनकार नहीं किया जा सकता। 

    राज्य का मुख्य सचिव होने के नाते, यह मेरा दायित्व है कि इसका समाधान जल्द से जल्द करूँ। मेरे पास निम्नलिखित विकल्प हैं-

    • पुलिस बल का प्रयोग करते हुए सभी प्रकार के विरोधों को नियंत्रित करूँ।
    • अपने राज्य के लोगों की मांगों को सही मानकर प्रदर्शन में उनका सहयोग दूँ।
    • दूसरे राज्य के समकक्ष अधिकारी से विमर्श कर स्थिति को सुलझाने की कोशिश करूँ।

    विकल्पों की समीक्षाः

    पुलिस बल का प्रयोग करते हुए स्थिति पर तत्काल नियंत्रण तो पाया जा सकता है, परंतु भविष्य में स्थिति और भयावह हो सकती है। ऐसे में नदियों के जल का बँटवारा, एक-दो दिन के लिये नहीं वरन नदी के अस्तित्व तक बना रहेगा। वैसे भी लोकतान्त्रिक मूल्य इस विकल्प की इज़ाज़त नहीं देते।

    अपने राज्य के लोगों की मांग, सिर्फ उस राज्य के फायदे तक ही सीमित है। ऐसे में यदि उनकी मांग को मान लिया जाए तो संभव है कि दूसरे राज्य में भी इसी तरह का आंदोलन / हिंसा सिर उठा सकती है।

    चूँकि यह मामला दो राज्यों के बीच का है और प्रत्येक राज्य में लोकतांत्रिक नेतृत्व मौजूद है। ऐसे में, मैं इस प्रकार के हल को वरीयता दूँगा जिस पर दोनों राज्यों का शीर्ष नेतृत्व सहमत हो। मैं मीडिया के माध्यम से शांति की अपील करूँगा, अपराधिक तत्त्वों के खिलाफ पुलिस को सख्ती से पेश आने के निर्देश दूँगा, दूसरे राज्य के निवासियों की सुरक्षा सुनिश्चित करूंगा तथा राजनीतिक प्रमुखों से भी निवेदन करूँगा कि वे जनता में आपसी भाईचारा बनाए रखने की अपील करें।

    स्पष्ट रूप से, यही विकल्प मेरा समाधान होगा।

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