इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    भारत में यद्यपि रोज़गार प्रदाता के क्षेत्र में ‘कृषि’ अग्रणी है परंतु कृषकों की वित्तीय स्थिति बेहतर नहीं है। कारणों पर चर्चा करते हुए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का परीक्षण करें।

    07 Sep, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा

    • प्रभावी भूमिका में प्रश्नगत कथन को स्पष्ट करते हुए कृषकों की खराब हालत की पृष्ठभूमि को लिखें।
    • तार्किक तथा संतुलित विषय-वस्तु में विविध कारणों की चर्चा करते हुए सरकार के कदमों का परीक्षण करें।
    • प्रश्नानुसार संक्षिप्त एवं सारगर्भित निष्कर्ष लिखें।

    कृषि तथा संबंधित क्षेत्रों का भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 13.7% हिस्सा है, परंतु ये देश की कुल कार्यशक्ति के लगभग 50% को रोज़गार प्रदान करते हैं। कम आय तथा अधिक लोगों की उपस्थिति के कारण किसानों की दशा अच्छी नहीं है, भारत में किसानों की खराब स्थिति के अन्य कारण निम्नलिखित हैं :

    • भारत में जोत के आकार छोटे हैं तथा 67% किसान सीमांत किसान की श्रेणी में आते हैं। छोटे किसान अपने खेतों में पर्याप्त निवेश नहीं कर पाते हैं तथा उनकी आय कम होती है।
    • भारत में अधिक लोगों के कृषि कार्य में लगे होने के कारण गहन कृषि की अधिकता है तथा इस क्षेत्र का पर्याप्त मशीनीकरण नहीं हुआ है।
    • हरित क्रांति जैसे अभियानों से कुछ ही क्षेत्र लाभान्वित हुए हैं तथा उच्च उत्पादन वाली किस्मों का विकास भौगोलिक दशा एवं जलवायु को ध्यान में रखते हुए नहीं किया गया।
    • कृषि निविष्टियाँ, जैसे- बीज, उर्वरक, सिंचाई इत्यादि के मूल्य अधिक होने के कारण किसान अधिक उत्पादन नहीं कर पाता है।
    • संस्थागत ऋण की अनुपलब्धता की स्थिति में वे साहूकारों से ऋण लेते हैं, जिनकी ब्याज दर अत्यंत ऊँची होती है और इस प्रकार किसान ऋण के कुचक्र में फँस जाते हैं।
    • मानसून की अनिश्चितता तथा सिंचाई के वैकल्पिक साधनों की अनुपलब्धता के कारण फसल उत्पादन प्रभावित होता है। 
    • किसानों को अपने उत्पादों का पर्याप्त मूल्य न मिल पाना भी उनकी खराब स्थिति का एक प्रमुख कारण है।

    भारत सरकार ने 2022 तक किसानों की आय को दुगुना करने का लक्ष्य रखा है तथा किसानों की स्थिति में सुधार के लिये कई कदम उठाए गए हैं :

    • सूखा प्रभावित क्षेत्रों में मनरेगा के तहत प्रति व्यक्ति कार्यदिवसों की संख्या 150 कर दी गई है।
    • बीज तथा उर्वरक पर सब्सिडी बढ़ा दी गई है।
    • किसानों को ज़मीन की गुणवत्ता बताने के लिये मृदा स्वास्थ्य योजना शुरू की गई है, ताकि किसान ज़मीन की उत्पादन क्षमता के अनुसार फसल उगा सकें। 
    • सरकार ने द्वितीय हरित क्रांति को संचालित करने का निर्णय लिया है जो कि पूर्व की हरित क्रांति के लाभ से वंचित क्षेत्रों में लागू की जा रही है।
    • सरकार शोध कार्यों को बढ़ावा दे रही है तथा कृषि क्षेत्र में नवीन अनुसंधान किये जा रहे हैं।
    • यूरिया के दुरुपयोग को रोकने के लिये सरकार ने नीम लेपित यूरिया की ब्रिकी शुरू की है।
    • जैविक कृषि को बढ़ावा देने के लिये परंपरागत कृषि विकास योजना लागू की गई है।
    • फसल क्षेत्रों की सिंचाई सुनिश्चित करने के लिये प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना लागू की गई है।
    • कृषि विपणन में सुधार हेतु राष्ट्रीय कृषि बाज़ार योजना लागू की गई।
    • अनिश्चित मॉनसून तथा प्राकृतिक आपदाओं के परिणामस्वरूप फसलों के नष्ट होने की स्थिति में किसानों को सुरक्षा प्रदान करने के लिये प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना शुरू की गई है।

    भारत सरकार ने कृषि उत्पादों तथा पशुधन विपणन के नियंत्रण के लिये माडल कृषि उत्पाद एवं पशुधन विपणन (संवर्द्धन और सरलीकरण) अधिनियम, 2017 लागू किया है।

    To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

    Print
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2