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आप उत्तर भारत के एक प्रमुख तीर्थस्थल में ज़िला मजिस्ट्रेट के पद पर तैनात हैं, जहाँ प्रत्येक वर्ष एक प्रमुख त्यौहार के दौरान लाखों श्रद्धालु आते हैं। इस त्यौहार के मुख्य दिन, मंदिर परिसर के प्रवेश द्वार के समीप भगदड़ की एक दुखद घटना होती है, जिसमें 50 से अधिक श्रद्धालुओं की मृत्यु हो जाती है और सैकड़ों घायल हो जाते हैं। प्रारंभिक रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि भीड़ प्रबंधन में अकुशलता, अपर्याप्त बैरिकेडिंग और यातायात डायवर्जन में लापरवाही के कारण यह अफरा-तफरी मची।
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि स्थानीय विक्रेताओं ने प्रमुख मार्गों पर अवैध रूप से अतिक्रमण कर लिया था, जबकि प्रभावशाली धार्मिक संगठनों ने ‘भक्तों की असुविधा’ का हवाला देते हुए भीड़ नियंत्रण के सख्त उपायों का विरोध किया। राजनीतिक नेताओं ने भी प्रशासन पर अधिकतम प्रवेश की अनुमति देने का दबाव डाला था, क्योंकि चुनाव से पहले प्रतिबंध जनता की धार्मिक भावनाओं को आहत कर सकते थे।
आपकी आंतरिक जाँच से कई स्तरों पर खामियाँ सामने आती हैं, जिनमें: पुलिस एवं नगर निगम के अधिकारियों ने भीड़ नियंत्रण के लिये मानक संचालन प्रक्रियाओं की अनदेखी की, VIP के लिये विशेष प्रवेश पास जारी करने में भ्रष्टाचार हुआ तथा स्वास्थ्य विभाग और स्थानीय गैर-सरकारी संगठनों के बीच तालमेल न होने के कारण आपातकालीन चिकित्सा सहायता में विलंब हुआ।
मीडिया ने इस घटना को ‘मानव निर्मित त्रासदी’ बताया है, साथ ही पीड़ित परिवार जवाबदेही और न्याय की माँग कर रहे हैं। ऐसे में एक जाँच आयोग गठित किये जाने की आवश्कता है और आपको भविष्य में ऐसी त्रासदियों को रोकने हेतु एक व्यापक रिपोर्ट एवं कार्ययोजना तैयार करने का कार्यभार सौंपा गया है।
- इस मामले से जुड़े नैतिक मुद्दों का अभिनिर्धारण कीजिये तथा उनकी विवेचना कीजिये।
- धार्मिक भावनाओं, राजनीतिक दबाव और जन सुरक्षा सुनिश्चित करने के अपने उत्तरदायित्व के बीच आप किस प्रकार संतुलन स्थापित करेंगे?
- आप अधिकारियों में किस प्रकार जवाबदेही सुनिश्चित करेंगे तथा किस प्रकार पीड़ितों के साथ न्यायपूर्ण व्यवहार करेंगे?
- भगदड़ की दीर्घकालिक रोकथाम के लिये प्रमुख उपाय प्रस्तावित कीजिये तथा उन नैतिक मूल्यों का उल्लेख कीजिये जिनके आधार पर आप कार्यवाही करेंगे। (250 शब्द)