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पंडित छन्नूलाल मिश्र: ठुमरी के महान गायक का निधन

  • 06 Oct 2025
  • 15 min read

स्रोत: द हिंदू

पंडित छन्नूलाल मिश्र, हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के प्रतिष्ठित गायक और बनारस घराने के महामानवी का निधन हो गया। वह ठुमरी, दादरा, चैती और कजरी जैसी अर्द्ध-शास्त्रीय शैलियों में एक समृद्ध विरासत छोड़ गए हैं।

  • वह पूरब अंग ठुमरी की अपनी विशेष शैली के लिये प्रसिद्ध थे और उन्हें वर्ष 2010 में पद्म भूषण तथा 2020 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।

ठुमरी

  • परिचय: ठुमरी उत्तर भारत का एक अर्द्ध-शास्त्रीय संगीत रूप है, जिसका उद्भव उन्नीसवीं सदी में नवाब वाजिद अली शाह के संरक्षण में हुआ। यह अपनी भावनात्मक गहराई (Emotional Depth), माधुर्यपूर्ण सुंदरता (Melodic Beauty) और अभिव्यंजनात्मक कहन (Expressive Storytelling) के लिये जानी जाती है। 
    • 1856 में अवध के पतन के बाद, इसका केंद्र बनारस स्थानांतरित हो गया, जहाँ इसमें एक आध्यात्मिक और भक्तिपूर्ण स्वर (राधा-कृष्ण विषय-वस्तु/थीम) प्रबल हुआ।
  • विशिष्टता: यह रागदारी के सख्त नियमों के बजाय भाव (Emotion) पर ज़ोर देती है और ताने-बाने/आशु रचना में स्वतंत्रता (Freedom in Improvisation) की अनुमति देती है।
  • प्रभाव: इसमें होरी, कजरी, दादरा, झूला, चैती तथा अन्य लोक एवं अर्द्ध-शास्त्रीय रूपों के तत्त्व समाहित हैं।
  • ठुमरी के प्रकार:
    • पूरबी ठुमरी (धीमी लय): गीतात्मक और गहन भावनापूर्ण, मुख्यतः बनारस घराने से संबंधित।
    • पंजाबी ठुमरी (तेज़ लय): ऊर्जावान और जीवंत, पटियाला घराने से संबद्ध।
  • प्रमुख घराने: बनारस घराना, लखनऊ घराना और पटियाला घराना।

हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत

  • परिचय: हिंदुस्तानी संगीत, जिसका प्रचलन मुख्यतः उत्तर भारत में है, भारतीय शास्त्रीय संगीत की दो प्रमुख शाखाओं में से एक है। दूसरी दक्षिण भारत की कर्नाटक संगीत शैली है।
  • मुख्य विशेषताएँ एवं शैलियाँ: यह काफी हद तक केंद्रीय रूप से मुखर-केंद्रित है, जहाँ ध्रुपद और खय्याल शास्त्रीय हिंदुस्तानी संगीत का प्रतिनिधित्व करते हैं, जबकि ठुमरी, धमार, तराना, टप्पा, कव्वाली और गज़ल अर्द्ध-शास्त्रीय हिंदुस्तानी शैलियाँ हैं।

और पढ़ें: हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत

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