रैपिड फायर
केंदू पत्ता
- 14 May 2025
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स्रोत: डाउन टू अर्थ
ओडिशा के गाँव वन अधिकार अधिनियम (FRA), 2006 के तहत केंदू पत्तों के व्यापार को स्वतंत्र रूप से संचालित करने के लिये सरकार द्वारा विनियमन हटाए जाने की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
- ओडिशा, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के बाद भारत का तीसरा सबसे बड़ा केंदु पत्ता उत्पादक राज्य है, जो प्रतिवर्ष लगभग 4.5–5 लाख क्विंटल उत्पादन करता है, जो राष्ट्रीय उत्पादन का लगभग 20% है।
केंदू पत्ता
- वानस्पतिक नाम: डाइऑस्पिरॉस मेलानॉक्सिलॉन (Diospyros melanoxylon) (पत्ते)
- सामान्य उपयोग: बीड़ी (स्थानीय हाथ से बनी सिगरेट) के लिये आवरण
- आर्थिक महत्त्व: केंदू पत्ता, जो बाँस और साल बीज की तरह एक राष्ट्रीयकृत उत्पाद है, एक प्रमुख गैर-लकड़ी वन उत्पाद (NTFP) है, जिसे प्रायः "हरा सोना" कहा जाता है और यह आदिवासियों, महिलाओं और विधवाओं के लिये आय का एक प्रमुख स्रोत है
- कानूनी स्थिति: वन अधिकार अधिनियम (FRA), 2006 के अनुसार लघु वनोत्पाद (Minor Forest Produce - MFP) के अंतर्गत शामिल।
वन अधिकार अधिनियम (FRA), 2006
- वन अधिकार अधिनियम (FRA), 2006 वन क्षेत्रों में पीढ़ियों से निवास करने के बावजूद औपचारिक भूमि अधिकारों से वंचित वनवासी अनुसूचित जनजातियों और अन्य पारंपरिक वनवासियों को वन अधिकारों को मान्यता देता है और प्रदान करता है।
- यह अधिनियम व्यक्तिगत रूप से खेती योग्य भूमि पर अधिकार, लघु वनोपज एकत्र करने और बेचने के अधिकार, पारंपरिक वन उपयोग पर सामुदायिक अधिकार, विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों (PVTG) के लिये आवास अधिकार, तथा वनों के प्रबंधन और संरक्षण के लिये सामुदायिक वन संसाधन (CFR) अधिकार प्रदान करता है। वन भूमि के किसी भी प्रकार के अन्य उपयोग के लिये ग्राम सभा की स्वीकृति अनिवार्य है।
- वन अधिकार अधिनियम (FRA) ओडिशा केंदू पत्ता (व्यापार नियंत्रण) अधिनियम जैसे विरोधाभासी राज्य कानूनों को रद्द करता है।
और पढ़ें: वन अधिकार अधिनियम, 2006 पर जनजातीय मंत्रालय के निर्देश