प्रारंभिक परीक्षा
गूगल का क्वांटम इकोज़ एक्सपेरिमेंट
- 13 Dec 2025
- 33 min read
चर्चा में क्यों?
गूगल ने क्वांटम कंप्यूटिंग में एक महत्त्वपूर्ण सफलता हासिल की है, जिसे क्वांटम इकोज़ कहा जाता है, जो क्वांटम व्यवहार को समझने में एक महत्त्वपूर्ण प्रगति को दर्शाता है और इसने Q-डे, एन्क्रिप्शन सुरक्षा और क्वांटम-सुरक्षित सिस्टम के भविष्य पर वैश्विक चर्चाओं को पुन: सक्रिय कर दिया है।
सारांश:
- क्वांटम इकोज़ एक्सपेरिमेंट ने क्वांटम भौतिकी में प्रगति की, जिसमें जानकारी के स्क्रैम्बलिंग को मापा गया, जो क्रिप्टोग्राफिक कोड-ब्रेकिंग से अलग है।
- यह Q-डे के खतरे और वर्तमान एन्क्रिप्टेड डेटा के लिये 'अभी डिक्रिप्ट करें' के जोखिम की चेतावनी देता है।
- एक बड़ा प्रौद्योगिकी अंतर अभी भी मौजूद है, जो वैश्विक स्तर पर NIST के PQC मानक और RBI की क्वांटम-सुरक्षित प्रणालियों के लिये एडवाइज़री जैसी पहलों को प्रेरित कर रहा
गूगल का क्वांटम इकोज़ एक्सपेरिमेंट क्या है?
- परिचय: यह एक मौलिक भौतिकी प्रयोग है जो गूगल के 65-क्यूबिट विलो क्वांटम प्रोसेसर पर चलाया गया है, जिसका उद्देश्य यह देखना और मापना है कि क्वांटम जानकारी कैसे एक जटिल, उलझे हुए प्रणाली के भीतर वितरित और पुनः केंद्रित होती है, जिसे रूपक के तौर पर इको कहा जाता है।
- वैज्ञानिकों ने आउट-ऑफ-टाइम-ऑर्डर कोरिलेटर (OTOC) नामक उपकरण का उपयोग किया, जो क्वांटम सिस्टम को टाइनी पुश करने, इसके उद्भव को व्युत्क्रमित करने तथा रिटर्निंग इको का पता लगाने के रूप में कार्य करता है।
- Q-डे अवधारणा: यह उस समय को संदर्भित करता है जब क्वांटम कंप्यूटर इतने शक्तिशाली हो जाऍंगे कि वे पब्लिक-की एन्क्रिप्शन को तोड़ सकेंगे। इसका अर्थ यह नहीं है कि सभी रहस्य तुरंत उजागर हो जाऍंगे, लेकिन आज संग्रहीत कोई भी एन्क्रिप्टेड डेटा यदि अब इंटरसेप्ट किया जाए तो भविष्य में उसे डिक्रिप्ट किया जा सकता है। इस जोखिम को ‘अभी संग्रह करें, बाद में डिक्रिप्ट करें’ कहा जाता है।
- एन्क्रिप्शन की संवेदनशीलता: RSA-2048 (रिवेस्ट–शामीर–एडलमैन) एन्क्रिप्शन, जो लगभग सभी ऑनलाइन संचार को सुरक्षित करता है, बड़े प्राथमिक संख्याओं के गुणा पर आधारित है।
- क्वांटम कंप्यूटर जो शोर एल्गोरिदम का उपयोग करते हैं (एक क्वांटम विधि जो बड़े संख्याओं को कुशलता से गुणनखंडित करती है), संभावित रूप से इसे तोड़ सकते हैं क्योंकि यह प्राथमिक गुणनखंडों को पारंपरिक कंप्यूटरों की तुलना में तेज़ी से खोज सकते हैं।
- वर्तमान तकनीकी अंतराल: RSA-2048 एन्क्रिप्शन को ब्रेक करने के लिये लगभग 20 मिलियन भौतिक क्यूबिट और 8 घंटे की आवश्यकता होती है। गूगल के Willow और IBM के Condor जैसे वर्तमान प्रोसेसर में केवल सौ नाॅइज़ी क्यूबिट ही होते हैं।
- लाखों लॉजिकल क्यूबिट्स की आवश्यकता वाले फाॅल्ट-टाॅलरेंट क्वांटम कंप्यूटरों की प्राप्ति में अभी भी 5-8 साल हैं।
- वैश्विक स्तर पर तैयारी: US नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्टैंडर्ड्स एंड टेक्नोलॉजी (NIST) ने पोस्ट-क्वांटम क्रिप्टोग्राफी (PQC) एल्गोरिदम को मानकीकृत किया है- एन्क्रिप्शन के लिये CRYSTALS-Kyber और डिजिटल सिग्नेचर के लिये डिलिथियम।
- गूगल और क्लाउडफ्लेयर जैसी कंपनियाँ हाइब्रिड एन्क्रिप्शन को अपना रही हैं।
भारत की प्रतिक्रिया: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा संगठनों से इस दशक के अंत से पहले क्वांटम-सुरक्षित प्रणालियों में परिवर्तन करने का आग्रह किया गया है। हालाँकि अधिकांश नेटवर्क अभी भी असुरक्षित हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. गूगल का क्वांटम इको प्रयोग क्या है?
यह 65-क्यूबिट विलो प्रोसेसर पर किया गया एक भौतिकी प्रयोग है जिसके तहत OTOCs का उपयोग करके यह मापना शामिल है कि क्वांटम सूचना किस प्रकार प्रसारित और पुन: केंद्रित होती है।
2. साइबर सुरक्षा में क्यू-डे क्या है?
क्यू-डे वह बिंदु है जहाँ क्वांटम कंप्यूटर पब्लिक की एन्क्रिप्शन को तोड़ने के लिये पर्याप्त शक्तिशाली हो जाते हैं, जिससे ‘हार्वेस्ट नाउ, डिक्रिप्ट लेटर’ का खतरा बढ़ जाता है।
3. RSA-2048 क्वांटम कंप्यूटिंग के प्रति असुरक्षित क्यों है?
शोर का एल्गोरिदम क्वांटम सुपरपोजिशन और एंटैंगलमेंट का उपयोग करके बड़ी संख्याओं को घातीय रूप से तेजी से गुणनखंडित कर सकता है, जिससे RSA की प्राइम-फैक्टर सिक्योरिटी कम प्रभावी हो जाती है।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)
प्रश्न. निम्नलिखित में से किस संदर्भ में ‘क्यूबिट’ शब्द का उल्लेख होता है?
(a) क्लाउड सेवाएँ
(b) क्वांटम कंप्यूटिंग
(c) दृश्य प्रकाश संचार प्रौद्योगिकी
(d) वायरलेस संचार प्रौद्योगिकी
उत्तर: (b)
