शासन व्यवस्था
‘डिजिटल अरेस्ट’ स्कैम पर सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश
- 03 Dec 2025
- 72 min read
प्रिलिम्स के लिये: केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो, डिजिटल अरेस्ट, मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र
मेन्स के लिये: बढ़ते डिजिटल ट्रेडक्राफ्ट की चुनौतियाँ, संचार नेटवर्कों के माध्यम से आंतरिक सुरक्षा के समक्ष चुनौतियाँ, साइबर सुरक्षा
चर्चा में क्यों?
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को पूरे देश में 'डिजिटल अरेस्ट' स्कैम की जाँच के लिये स्वतंत्रता दे दी है, इसके बाद केंद्र सरकार ने बताया कि धोखेबाज़ों ने लगभग 3,000 करोड़ रुपये की ठगी की है, जो मुख्य रूप से वरिष्ठ नागरिकों से है।
डिजिटल अरेस्ट स्कैम पर सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश क्या हैं?
- डिजिटल अरेस्ट मामलों को तेज़ी से निपटाना: CBI को पहले डिजिटल अरेस्ट की जाँच करने के लिये अधिकृत किया गया, इसके बाद धोखाधड़ी निवेश और अंशकालिक नौकरी के धोखाधड़ी मामलों की जाँच की जाएगी।
- सर्वोच्च न्यायालय ने सभी संबंधित राज्यों को निर्देश दिया है कि वे दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना (DSPE) अधिनियम, 1946 के तहत सहमति प्रदान करें, ताकि CBI को उनके क्षेत्रों में जाँच का अधिकार मिल सके।
- न्यायालय ने CBI को यह भी निर्देश दिया है कि वह INTERPOL के साथ मिलकर विदेशों में सक्रिय साइबर अपराध नेटवर्कों की पहचान करे।
- वित्तीय निगरानी: सर्वोच्च न्यायालय ने भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) को नोटिस जारी किया है ताकि वह पैसे की ‘लेयरिंग’ का पता लगाने के लिये मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल्स के उपयोग की संभावना तलाशे, जो विभिन्न बैंक खातों में वितरित की गई हो।
- मध्यस्थ अनुपालन: आदेशित डिजिटल प्लेटफॉर्मों को सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम 2021 के तहत सहयोग करने और जाँचकर्त्ताओं को आवश्यक डेटा प्रदान करने के लिये कहा गया।
- संस्थागत सुदृढ़ता: राज्यों/संघ शासित प्रदेशों को निर्देश दिया गया कि वे क्षेत्रीय साइबर अपराध समन्वय केंद्रों को संचालन योग्य बनाएँ और उन्हें भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) के साथ एकीकृत करें।
- टेलीकॉम जवाबदेही: टेलीकॉम विभाग से कहा गया कि वह कड़े सिम निर्गमन संबंधी मानदंड और बेहतर नो योर कस्टमर (KYC) सत्यापन के उपाय प्रस्तावित करें।
डिजिटल अरेस्ट क्या है?
- परिचय: एक तरह का साइबर स्कैम है, जिसमें जालसाज़ कानून प्रवर्तन एजेंसियों (जैसे पुलिस या CBI) के रूप में स्वयं को प्रस्तुत कर पीड़ित को 'गिरफ्तारी' का डर दिखाकर और तत्काल कार्यवाही का दबाव बनाकर उनसे धन हस्तांतरण करवा लेते हैं।
- धोखेबाज़ (स्कैमर) पीड़ितों से संपर्क करते हैं, उन्हें झूठे तौर पर अपराध मामलों से जोड़ते हैं और नकली नंबर एवं दस्तावेज़ों का उपयोग करके गिरफ्तारी या बैंक खातों को फ्रीज़ करने की धमकी देते हैं।
- इस भय का इस्तेमाल करते हुए, वे पीड़ितों को फर्ज़ी जुर्माना या सुरक्षा जमा का भुगतान करने के लिये दबाव डालते हैं, ताकि काल्पनिक कानूनी प्रक्रिया से बचा जा सके।
- डिजिटल गिरफ्तारी की भयावहता: वर्ष 2024 तक I4C ने डिजिटल अरेस्ट से जुड़े 59,000 से अधिक WhatsApp अकाउंट ब्लॉक किये हैं।
डिजिटल अरेस्ट स्कैम को रोकने के लिये क्या चुनौतियाँ हैं?
- उन्नत डिजिटल तकनीक: धोखेबाज़ उन्नत डिजिटल ट्रेडक्राफ्ट (नकली नंबर, डीपफेक, नकली दस्तावेज़ और एंक्रिप्टेड ऐप्स) का उपयोग करते हैं, जिससे पहचान और ज़िम्मेदारी तय करना कठिन हो जाता है।
- सशक्त सोशल इंजीनियरिंग: धोखेबाज़ भय, तात्कालिकता और CBI या ED जैसी एजेंसियों का प्रतिरूपण कर पीड़ितों, विशेषकर वरिष्ठ नागरिकों तथा कम जागरूक उपयोगकर्त्ताओं को निशाना बनाते हैं।
- कमज़ोर साइबर सुरक्षा प्रथाएँ: खराब पासवर्ड प्रबंधन, पुराना सॉफ्टवेयर और असुरक्षित डिवाइस उपयोग धोखेबाज़ों के लिये व्यक्तिगत डेटा तक पहुँच तथा पीड़ितों का प्रतिरूपण करना आसान बनाते हैं।
- डिजिटल भुगतान का बढ़ता प्रयोग: एकीकृत भुगतान इंटरफेस (UPI), त्वरित प्रतिक्रिया (QR) कोड और ऑनलाइन बैंकिंग के व्यापक उपयोग ने धोखाधड़ी के अवसर बढ़ा दिये हैं, जैसे नकली पेमेंट अलर्ट, सिम स्वैप एवं निवेश स्कैम।
- डार्क वेब-संचालित अपराध नेटवर्क: संगठित समूह चोरी किये गए डेटा, मैलवेयर किट और रैनसमवेयर-एज-ए-सर्विस का उपयोग करके स्कैम को और अधिक परिष्कृत एवं समन्वित बनाते हैं।
- कमज़ोर कानून और प्रवर्तन की कमियाँ: धीमी जाँच, सीमित साइबर पुलिसिंग क्षमता और सीमा-पार अधिकार क्षेत्र की समस्याएँ धोखेबाज़ों को कम जोखिम तथा अधिक लाभ के साथ कार्य करने की अनुमति देती हैं।
- तेज़ी से विकसित होने वाले साइबर क्राइम तकनीकें: धोखेबाज़ निरंतर अपने उपकरणों को अपडेट करते रहते हैं जैसे नकली नंबर, डीपफेक और AI-जनित दस्तावेज़ ताकि सुरक्षा जाँचों को पार किया जा सके।
- रिपोर्टिंग और सामाजिक कलंक: शर्म, भय और बदनामी के डर से अनेक पीड़ित मामलों की सूचना देने से डरते हैं, जिसके कारण धोखेबाज़ लंबे समय तक बिना पकड़े सक्रिय बने रहते हैं।
डिजिटल अरेस्ट से निपटने हेतु भारत की क्या पहल है?
- भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C): यह केंद्र गृह मंत्रालय द्वारा स्थापित किया गया है, जो राष्ट्रीय साइबर क्राइम प्रतिक्रिया, क्षमता निर्माण, निगरानी और इंटेलिजेंस साझा करने का समन्वय करता है।
- राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल: नागरिकों को ऑनलाइन साइबर क्राइम की रिपोर्ट करने की सुविधा देता है और रिपोर्ट किये गए मामलों को संबंधित राज्य/संघ शासित प्रदेश पुलिस को कार्रवाई के लिये भेजा जाता है।
- नागरिक वित्तीय साइबर धोखाधड़ी रिपोर्टिंग प्रणाली (हेल्पलाइन 1930): वित्तीय धोखाधड़ी की तात्कालिक रिपोर्टिंग की सुविधा प्रदान करता है।
- एंटी-स्पूफिंग उपाय: दूरसंचार विभाग (DoT) और टेलीकॉम ऑपरेटर्स अब इंटरनेशनल स्पूफ कॉल्स की पहचान कर उन्हें ब्लॉक करते हैं, जो भारतीय नंबर के रूप में दिखाई देती हैं, जिनका प्राय: डिजिटल गिरफ्तारी, FedEx और प्रतिरूपण स्कैम में उपयोग होता है।
- डिजिटल सुरक्षा जागरूकता: सरकार SMS अलर्ट, साइबरदोस्त सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और हवाई अड्डों एवं रेलवे स्टेशनों पर डिजिटल डिस्प्ले के माध्यम से डिजिटल गिरफ्तारी के बारे में जागरूकता फैलाती है।
निष्कर्ष:
डिजिटल अरेस्ट स्कैम यह दर्शाते हैं कि साइबर अपराध कितनी तेज़ी से विकसित हो रहा है तथा क्यों सशक्त प्रवर्तन और जन जागरूकता आवश्यक है। CBI, राज्यों और I4C के समन्वित प्रयासों से भारत नागरिकों की बेहतर सुरक्षा कर सकता है तथा अपने डिजिटल सुरक्षा ढाँचे को मज़बूत बना सकता है।
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दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न: डिजिटल अरेस्ट क्या है? बताएँ कि यह कैसे कार्य करता है और भारत में यह क्यों बढ़ रहा है। |
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. ‘डिजिटल अरेस्ट’ स्कैम क्या है?
डिजिटल अरेस्ट एक साइबर धोखाधड़ी है जिसमें धोखेबाज़ कानून-व्यवस्था एजेंसियों का प्रतिरूपण करके पीड़ितों को ‘जुर्माना’ या ‘सुरक्षा जमा’ देने के लिये मज़बूर करते हैं। वे गिरफ्तारी, बैंक खाते फ्रीज़ करने या पासपोर्ट रद्द करने की धमकी देते हैं।
2. I4C क्या है और यह कैसे सहायता करता है?
भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) (गृह मंत्रालय) साइबर क्राइम इंटेलिजेंस का समन्वय करता है, खतरनाक ID/खातों को ब्लॉक करता है, राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल चलाता है और राज्य स्तर की कानून-व्यवस्था एजेंसियों के लिये क्षमता निर्माण का समर्थन करता है।
3. पीड़ित डिजिटल अरेस्ट की रिपोर्ट कैसे तेज़ी से कर सकते हैं?
राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (cybercrime.gov.in) का उपयोग कर सकते हैं या नागरिक वित्तीय साइबर धोखाधड़ी हेल्पलाइन 1930 पर कॉल कर सकते हैं, जिससे संदिग्ध ट्रांसफर को तुरंत ब्लॉक करने जैसी कार्रवाई की जा सके।
सारांश:
- सर्वोच्च न्यायालय ने CBI को डिजिटल अरेस्ट स्कैम की स्वतंत्र रूप से जाँच करने की अनुमति दी, जब धोखेबाज़ों ने नागरिकों, मुख्य रूप से वरिष्ठ नागरिकों से लगभग ₹3,000 करोड़ की ठगी की।
- राज्यों को निर्देश दिया गया कि वे DSPE एक्ट के तहत सहमति दें और CBI को INTERPOL के साथ समन्वय करने को कहा गया ताकि वैश्विक साइबर अपराध नेटवर्क का पता लगाया जा सके।
- डिजिटल तकनीक, सोशल इंजीनियरिंग, कमज़ोर साइबर सुरक्षा और बढ़ते डिजिटल भुगतान ऐसे स्कैम में वृद्धि के मुख्य कारण हैं।
- भारत की प्रतिक्रिया में I4C, साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल, हेल्पलाइन 1930, एंटी-स्पूफिंग सिस्टम और पूरे देश में डिजिटल सुरक्षा जागरूकता अभियान शामिल हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)
प्रिलिम्स
प्रश्न. भारत में किसी व्यक्ति के साइबर बीमा कराने पर निधि की हानि की भरपाई एवं अन्य लाभों के अतिरिक्त निम्नलिखित में से कौन-कौन से लाभ दिये जाते हैं? (2020)
- यदि कोई किसी मैलवेयर कंप्यूटर तक उसकी पहुँच को बाधित कर देता है तो कंप्यूटर प्रणाली को पुनः प्रचालित करने में लगने वाली लागत
- यदि यह प्रमाणित हो जाता है कि किसी शरारती तत्त्व द्वारा जानबूझ कर कंप्यूटर को नुकसान पहुँचाया गया है तो एक नए कंप्यूटर की लागत
- यदि साइबर बलात्-ग्रहण होता है तो इस हानि को न्यूनतम करने के लिये विशेष परामर्शदाता की सेवाओं पर लगने वाली लागत
- यदि कोई तीसरा पक्ष मुकदमा दायर करता है तो न्यायालय में बचाव करने में लगने वाली लागत
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:
(a) केवल 1, 2 और 4
(b) केवल 1, 3 और 4
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2, 3 और 4
उत्तर: (b)
प्रश्न. भारत में साइबर सुरक्षा घटनाओं पर रिपोर्ट करना निम्नलिखित में से किसके/किनके लिये विधितः अधिदेशात्मक है? (2017)
- सेवा प्रदाता
- डेटा सेंटर
- कॉर्पोरेट निकाय
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:
(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 2
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (d)
मेन्स
प्रश्न. साइबर सुरक्षा के विभिन्न तत्त्व क्या हैं? साइबर सुरक्षा की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए समीक्षा कीजिये कि भारत ने किस हद तक व्यापक राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति सफलतापूर्वक विकसित की है। (2022)