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भारत-जापान संबंधों का पुनर्मूल्यांकन

  • 08 Sep 2025
  • 75 min read

प्रिलिम्स के लिये: इंडो-पैसिफिक क्षेत्र, ASEAN, संयुक्त राष्ट्र चार्टर, वीर गार्जियन, धर्म गार्जियन, जिमेक्स, बौद्ध धर्म 

मेन्स के लिये: भारत-जापान संबंध, रणनीतिक साझेदारियाँ और क्षेत्रीय सुरक्षा, भारत-जापान संबंधों में प्रमुख चुनौतियाँ और आगे की राह

स्रोत: द हिंदू 

चर्चा में क्यों? 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जापान यात्रा ने भारत-जापान विशेष रणनीतिक एवं वैश्विक साझेदारी को मज़बूत किया, जिसके परिणामस्वरूप 13 प्रमुख समझौते हुए और अगले दशक में जापान से निजी निवेश में 10 ट्रिलियन येन (68 बिलियन अमेरिकी डॉलर) का निवेश करने का संकल्प लिया गया। 

भारत-जापान रणनीतिक साझेदारी प्रमुख क्षेत्रों में किस प्रकार विकसित हो रही है? 

प्रधानमंत्री की यात्रा के दौरान की गई प्रमुख घोषणाएँ और उपलब्धियाँ इस प्रकार हैं: 

  • जॉइंट विज़न रोडमैप: अगले दशक के लिये भारत-जापान जॉइंट विज़न की घोषणा, जिसमें 8 प्राथमिक क्षेत्रों को रेखांकित किया गया है - आर्थिक साझेदारी, सुरक्षा, गतिशीलता, पारिस्थितिक स्थिरता, प्रौद्योगिकी व नवाचार, स्वास्थ्य, लोगों के बीच संबंध और राज्य-प्रांत सहभागिता। 
  • रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग: भारत और जापान ने सुरक्षा सहयोग पर एक संयुक्त घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किये, जो उनके वर्ष 2008 के समझौते का एक महत्त्वपूर्ण अद्यतन एवं विस्तार है। 
    • संस्थागत NSA-स्तरीय वार्ता और विस्तारित त्रि-सेवा सैन्य अभ्यास (धर्म गार्जियन, वीर गार्जियन, मिलन)। 
    • रक्षा उपकरणों के सह-उत्पादन की दिशा में मिसाइल रक्षा और समुद्री निगरानी पर DRDO–ATLA सहयोग। 
  • प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष सहयोग: डिजिटल पार्टनरशिप 2.0 और लार्ज लैंग्वेज मॉडल (LLM) तथा अनुसंधान एवं विकास के लिये भारत–जापान AI पहल की शुरुआत की। 
    • चंद्रयान-5 जॉइंट लूनर पोलर मिशन हेतु ISRO–JAXA समझौते पर हस्ताक्षर किये। 
    • रोबोटिक्स, सेमीकंडक्टर, जहाज़ निर्माण, अंतरिक्ष जागरूकता और परमाणु ऊर्जा में सहयोग किया। 
  • बुनियादी अवसंरचना और कनेक्टिविटी: वर्ष 2030 तक दोनों देशों में भूकंपीय क्षेत्रों के लिये उपयुक्त अगली पीढ़ी की शिंकानसेन (360 किमी प्रति घंटे) के साथ बुलेट ट्रेन परियोजना पर प्रगति। 
    • सभी परिवहन क्षेत्रों में अगली पीढ़ी हेतु मोबिलिटी पार्टनरशिप की शुरुआत। 
    • दिल्ली मेट्रो (2.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश) जैसी परियोजनाओं के माध्यम से जापान का निरंतर समर्थन तथा वर्ष 2047 तक 7,000 किलोमीटर हाई-स्पीड रेल का विज़न। 
  • हरित ऊर्जा और जलवायु सहयोग: पेरिस समझौते के तहत जॉइंट क्रेडिटिंग मैकेनिज़्म (JCM) को क्रियान्वित किया गया। 
    • क्लीन हाइड्रोजन और अमोनिया पर घोषणाओं पर हस्ताक्षर किये गए तथा  सस्टेनेबल फ्यूल इनिशिएटिव की शुरुआत की गई। 
  • लोगों के बीच सहयोग: मानव संसाधन विनिमय पर कार्य योजना, जिसके तहत 5 लाख लोगों (जिनमें 50,000 भारतीय श्रमिक शामिल हैं) की गतिशीलता को सक्षम बनाया जाएगा। 
    • अगली पीढ़ी की राज्य प्रांत साझेदारी, सांस्कृतिक समझौता ज्ञापन और कूटनीति प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किये गए। 

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भारत–जापान ने अपने द्विपक्षीय रिश्तों को कैसे सुदृढ़ किया है? 

  • ऐतिहासिक संबंध: भारत और जापान बौद्ध धर्म के माध्यम से सभ्यतागत संबंध साझा करते हैं। 
  • रणनीतिक साझेदारी: वैश्विक साझेदारी (2000), रणनीतिक एवं वैश्विक साझेदारी (2006) और विशेष रणनीतिक एवं वैश्विक साझेदारी (2014) पर हस्ताक्षर के साथ समय के साथ यह संबंध और भी मज़बूत हुए। 
    • ‘भारत–जापान विज़न 2025’ को वर्ष 2015 में घोषित किया गया, जिसने सहयोग हेतु एक रूपरेखा प्रस्तुत की।
  • रक्षा एवं सुरक्षा: रक्षा उपकरण एवं प्रौद्योगिकी सहयोग तथा गोपनीय सैन्य सूचना की सुरक्षा पर समझौतों के साथ वर्ष 2015 से भारत-जापान रक्षा संबंध और भी मज़बूत हुए हैं। 
    • प्रमुख उपलब्धियों में 2+2 मंत्रिस्तरीय वार्ता (2019) और अधिग्रहण एवं क्रॉस-सर्विसिंग समझौता (ACSA) (2020) शामिल हैं। 
    • रक्षा उपकरण एवं प्रौद्योगिकी सहयोग पर संयुक्त कार्य समूह (JWG-DETC) की नियमित बैठकें। 
    • उपकरण एवं प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण हेतु तीन सिद्धांतों में संशोधन (2023) तथा पहली संयुक्त सेवा स्टाफ वार्ता (2023) ने त्रि-सेवा पारस्परिक संचालन क्षमता को और सुदृढ़ किया है। 
    • सैन्य अभ्यासों में मालाबार, मिलन, JIMEX, धर्म गार्जियन और तटरक्षक सहयोग शामिल हैं, जिनका ध्यान प्रौद्योगिकी हस्तांतरण पर केंद्रित है। 
  • इंडो-पैसिफिक एवं क्षेत्रीय सहयोग: भारत की एक्ट ईस्ट नीति और इंडो-पैसिफिक ओशन्स इनिशिएटिव (IPOI) जापान की फ्री एंड ओपन इंडो-पैसिफिक (FOIP) विज़न के अनुरूप हैं। 
    • एक्ट ईस्ट फोरम (2017) और ‘फ्री एंड ओपन इंडो-पैसिफिक’ पर ज़ोर देने वाले संयुक्त वक्तव्य रणनीतिक सहयोग का मार्गदर्शन करते हैं। 
    • जापान भारत का सबसे बड़ा आधिकारिक विकास सहायता (ODA) दाता है तथा दोनों देश क्वाड, ISA, CDRI और SCRI में सहयोग करते हैं। 
  • व्यापार और निवेश: चाइना+1 रणनीति के हिस्से के रूप में जापान, भारत को एक प्रमुख विनिर्माण केंद्र और बाज़ार के रूप में देखता है। 
    • CEPA की समीक्षा और गिफ्ट सिटी के प्रोत्साहन का उद्देश्य व्यापार तथा वित्तीय संबंधों को मज़बूत करना है, जबकि वर्ष 2035 तक जापान की 68 बिलियन डॉलर की निवेश प्रतिबद्धता भारत की विकास क्षमता में गहरे विश्वास को दर्शाती है। 
    • आर्थिक सुरक्षा पर संयुक्त कार्य योजना आपूर्ति शृंखला को और सुदृढ़ करती है, जो द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों में एक परिवर्तनकारी चरण को चिह्नित करती है। 

भारत-जापान संबंधों में प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं? 

  • व्यापार असंतुलन: CEPA के बावजूद, द्विपक्षीय व्यापार जापान के पक्ष में है। 
    • वित्त वर्ष 2023-24 (FY24) में जापान ने भारत को 17.69 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य का माल निर्यात किया, जबकि भारत का निर्यात केवल 5.15 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा। 
    • गैर-शुल्क बाधाएँ, कठोर आयात मानक (विशेषकर कृषि और वस्त्र पर) और CEPA सुधार में धीमी प्रगति इसके प्रमुख कारण हैं। 
  • विभिन्न रणनीतिक दृष्टिकोण: भारत की रणनीतिक स्वायत्तता जापान के अमेरिका के साथ औपचारिक गठबंधन से भिन्न है, जिसके कारण रूस पर प्रतिबंधों जैसे मुद्दों पर दोनों देशों की प्रतिक्रिया में अंतर दिखाई देता है। 
    • यह अंतर बहुपक्षीय मंचों पर समन्वय को प्रभावित करता है और रणनीतिक सामंजस्य को कमज़ोर बनाता है। 
  • क्षेत्रीय प्राथमिकताएँ: भारत का ध्यान दक्षिण एशिया और हिंद महासागर पर केंद्रित है, जबकि जापान की प्राथमिकताएँ पूर्वी एशिया की सुरक्षा, उत्तर कोरिया तथा अमेरिका के साथ गठबंधन दायित्वों से जुड़ी हुई हैं, जो पूर्ण सहभागिता को सीमित करती हैं। 
  • विकास में देरी: मुंबई–अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल (MAHSR) परियोजना को भूमि अधिग्रहण की बाधाओं और नियामकीय समस्याओं के कारण काफी देरी का सामना करना पड़ रहा है, जिससे इसके पूरा होने की तिथि वर्ष 2022 से बढ़कर वर्ष 2028 हो गई है। 
    • US-2 उभयचर विमान समझौता अभी भी लंबित है, क्योंकि प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और मूल्य निर्धारण से संबंधित मुद्दे अब तक सुलझ नहीं पाए हैं। 

भारत–जापान रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिये किन उपायों की आवश्यकता है? 

  • आर्थिक रूपांतरण: व्यापार क्षमता को खोलने के लिये CEPA में सुधार, अर्धचालकों, महत्त्वपूर्ण खनिजों और विनिर्माण में जापान की FDI को बढ़ावा देना तथा चीन के प्रभुत्व के एक विश्वसनीय विकल्प के रूप में आपूर्ति शृंखला अनुकूलन पहल (SCRI) का विस्तार करना। 
  • रक्षा एवं सुरक्षा: साझा सुरक्षा, संयुक्त अभ्यास, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और सह-विकास परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए रक्षा सहयोग को बढ़ाना। 
  • इंडो-पैसिफिक और क्षेत्रीय रणनीति: क्वाड जैसे मंचों पर दृष्टिकोण में सामंजस्य सुनिश्चित करना, नौवहन की स्वतंत्रता और नियम-आधारित व्यवस्था को बढ़ावा देना तथा यूक्रेन जैसे वैश्विक मुद्दों पर मतभेदों के बावजूद क्षेत्रीय शांति को बढ़ावा देने हेतु कूटनीतिक रूप से संलग्न होना। 
  • अवसंरचना एवं कनेक्टिविटी: भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र तथा भारत, जापान और इंडो-पैसिफिक साझेदारों को जोड़ने वाले बंदरगाहों सहित बुलेट ट्रेन, औद्योगिक गलियारों व कनेक्टिविटी परियोजनाओं में तेज़ी  लाना तथा बहुपक्षीय अवसंरचना सहयोग को बढ़ाना। 
  • लोगों के बीच आदान-प्रदान: शैक्षणिक आदान-प्रदान, भाषा कार्यक्रम, पर्यटन, प्रवासी भारतीय सहभागिता और व्यावसायिक मंचों को बढ़ावा देना, जिसमें कुशल श्रमिकों की गतिशीलता तथा भारतीय IT पेशेवरों द्वारा डिजिटलीकरण समर्थन शामिल है, ताकि सॉफ्ट पावर और बिज़नेस-टू-बिज़नेस सहयोग को मज़बूत किया जा सके। 

निष्कर्ष 

भारत-जापान विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी में रक्षा, प्रौद्योगिकी, व्यापार, बुनियादी अवसंरचना और लोगों के बीच आदान-प्रदान शामिल हैं। व्यापार घाटे और क्षेत्रीय रणनीतिक मतभेदों जैसी चुनौतियों के बावजूद, दोनों देश द्विपक्षीय सहयोग को सुदृढ़ कर रहे हैं। प्रौद्योगिकी, निवेश और मानव पूंजी में अपनी क्षमताओं का लाभ उठाते हुए, यह साझेदारी इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अनुकूल व पारस्परिक रूप से लाभकारी मॉडल के रूप में कार्य कर सकती है। 

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. भारत-जापान सहयोग के रणनीतिक, आर्थिक और तकनीकी आयामों पर चर्चा कीजिये। प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं और दोनों देश अपनी साझेदारी को कैसे बढ़ा सकते हैं?

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)

प्रश्न: निम्नलिखित में से किस एक समूह के चारों देश G20 के सदस्य हैं? (2020) 

(a) अर्जेंटीना, मेक्सिको, दक्षिण अफ्रीका और तुर्की 
(b) ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, मलेशिया और न्यूज़ीलैंड 
(c) ब्राज़ील, ईरान, सऊदी अरब और वियतनाम 
(d) इंडोनेशिया, जापान, सिंगापुर और दक्षिण कोरिया 

उत्तर: (a)


प्रश्न. ‘चतुर्भुज सुरक्षा संवाद’ (QUAD) वर्तमान समय में स्वयं को एक सैन्य गठबंधन से व्यापार गुट के रूप में परिवर्तित कर रहा है। चर्चा कीजिये।  (2020) 

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