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संयुक्त राष्ट्र चार्टर के तहत आत्मरक्षा खंड

  • 12 May 2025
  • 4 min read

स्रोत: पी.आर

चर्चा में क्यों ?

पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद भारत ने आत्मरक्षा में ऑपरेशन सिंदूर चलाया था, जिससे भारत की प्रतिक्रिया के औचित्य और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के तहत आत्मरक्षा के अधिकार के अनुच्छेद 51 के साथ इसके संरेखण पर सवाल उठ रहे हैं । 

संयुक्त राष्ट्र चार्टर में अनुच्छेद 51 क्या है?

  • संयुक्त राष्ट्र चार्टर आम तौर पर अनुच्छेद 2(4) के तहत बल के प्रयोग पर प्रतिबंध लगाता है, जो सदस्य राज्यों को किसी भी राज्य की क्षेत्रीय अखंडता या राजनीतिक स्वतंत्रता के खिलाफ बल का उपयोग करने से रोकता है, सिवाय अनुच्छेद 51 द्वारा अनुमत आत्मरक्षा के मामलों को छोड़कर।
  • इसके तहत, आत्मरक्षा की अनुमति केवल "सशस्त्र हमले" के बाद ही दी जाती है और इसके लिये दो सिद्धांतों का पालन करना होता है: आवश्यकता (हमले का जवाब देने के लिये बल का प्रयोग आवश्यक होना चाहिये) और आनुपातिकता (प्रतिक्रिया, हमले को रोकने के लिये आवश्यक बल से अधिक नहीं होनी चाहिये)।
  • चार्टर राज्य के आचरण और राज्य द्वारा प्रायोजित बल प्रयोग को नियंत्रित करता है। हालाँकि, निकारागुआ बनाम अमेरिका मामले (1986) में, ICJ ने माना कि अनुच्छेद 51 के तहत सशस्त्र हमले में अल-कायदा जैसे गैर-राज्य अभिकर्त्ताओं द्वारा किये गए कृत्य शामिल हैं, अगर वे "किसी राज्य द्वारा या उसकी ओर से" किये गए हों।
  • भारत ने इस हमले के लिये पाकिस्तान द्वारा प्रशिक्षित और समर्थित आतंकवादियों को ज़िम्मेदार ठहराया तथा आवश्यकतानुसार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अधिकांश सदस्यों को जानकारी देकर अनुच्छेद 51 के तहत अपने कर्तव्य को आंशिक रूप से पूरा किया।

Article_51_UN_Charter

अनविलिंग ऑर अनएबल डॉक्ट्रिन संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद 51 से कैसे संबंधित है?

  • यह सिद्धांत एक राज्य को तब आत्मरक्षा में बल प्रयोग की अनुमति देता है जब किसी अन्य राज्य की सीमा में सक्रिय गैर-राज्य अभिकर्त्ता (NSA) के विरुद्ध वह राज्य स्वयं कार्रवाई करने में असमर्थ या अनिच्छुक हो, और यह संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अंतर्गत एक अपवाद के रूप में लागू होता है।
    • अमेरिका ने इस सिद्धांत का प्रयोग वर्ष 2011 में पाकिस्तान में ओसामा बिन लादेन के विरुद्ध की गई सैन्य कार्रवाई में किया था, किंतु रूस और चीन ने इस पर आलोचना करते हुए कहा कि यह राज्य की संप्रभुता और संयुक्त राष्ट्र प्रणाली को कमज़ोर करता है।
  • भारत की स्थिति: फरवरी 2021 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की आरिया फॉर्मूला बैठक में, भारत ने इस सिद्धांत के उपयोग के लिये तीन शर्तें निर्धारित कीं:
    • गैर-राज्य अभिकर्त्ता ने बार-बार राज्य पर हमला किया हो।
    • मेज़बान राज्य उस खतरे को निष्क्रिय करने के लिये इच्छुक न हो।
    • मेज़बान राज्य सक्रिय रूप से उस गैर-राज्य अभिकर्त्ता का समर्थन या प्रायोजन करता हो।
  • पहलगाम हमले के बाद, भारत ने पाकिस्तान पर निष्क्रियता का आरोप लगाया और "अनविलिंग ऑर अनएबल" डॉक्ट्रिन के उपयोग का संकेत दिया।

और पढ़ें: पहलगाम आतंकवादी हमला और सिंधु जल संधि का निलंबन

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