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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत-वियतनाम आभासी शिखर सम्मेलन

  • 23 Dec 2020
  • 12 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत और वियतनाम ने अपने आभासी शिखर सम्मेलन के दौरान रक्षा, पेट्रोकेमिकल और परमाणु ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में सात समझौतों पर हस्ताक्षर किये तथा अपनी विकास साझेदारी को बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की। इससे दोनों देशों को सतत् विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goals- SDGs) को प्राप्त करने में मदद मिलेगी, साथ ही जलवायु परिवर्तन (Climate Change) से निपटने की क्षमता विकसित होगी।

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प्रमुख बिंदु

मुख्य समझौते:

  • इन समझौतों में विभिन्न क्षेत्र जैसे- IT, संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना (PeaceKeeping) और कैंसर अनुसंधान शामिल हैं।
  • दोनों पक्षों के बीच नेशनल टेलिकॉम इंडस्ट्री, न्हा ट्रांग (वियतनाम) में आर्मी सॉफ्टवेयर पार्क के लिये 5 मिलियन अमेरिकी डॉलर की भारतीय अनुदान सहायता हेतु समझौता हुआ। 
  • दोनों देशों ने विकिरण और परमाणु सुरक्षा के क्षेत्र में अपने नियामक निकायों के बीच द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देने पर प्रतिबद्धता जाहिर की।

रक्षा और सुरक्षा:

  • भारत-वियतनाम के बीच रक्षा और सुरक्षा साझेदारी भारत-प्रशांत क्षेत्र (Indo-Pacific Region) में स्थिरता लाने में एक महत्त्वपूर्ण कारक साबित होगा।
  • दोनों देश अपने तीनों सैन्य सेवाओं और तटरक्षक बलों के लिये सैन्य स्तर पर आदान-प्रदान, प्रशिक्षण तथा क्षमता निर्माण कार्यक्रमों को आगे बढ़ाएंगे तथा वियतनाम तक विस्तारित भारत की डिफेंस क्रेडिट लाइन को मज़बूत बनाएंगे।
    • VINBAX, भारत और वियतनाम की सेनाओं के बीच होने वाला एक सैन्य अभ्यास है।
  • दोनों पक्ष पारंपरिक और गैर-पारंपरिक सुरक्षा खतरों (साइबर, आतंकवाद, प्राकृतिक आपदा आदि) के समाधान के साथ ही ज़रूरत पड़ने पर कानून तथा न्यायिक सहयोग से अंतर-देशीय अपराधों से निपटने हेतु संस्थागत संवाद व्यवस्था के माध्यम से जुड़ेंगे।
    • इसका एक सफल उदाहरण भारत द्वारा वियतनाम के लिये डिफेंस लाइन ऑफ क्रेडिट (100 मिलियन डॉलर) के तहत हाई स्पीड गार्ड बोट विनिर्माण परियोजना का सफल कार्यान्वयन किये जाने के रूप में देखा जा सकता है।

पर्यटन: 

  • दोनों पक्ष अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक सम्मेलन (Comprehensive Convention on International Terrorism) को जल्द अपनाने हेतु सहमति बनाने के संयुक्त प्रयासों को आगे बढ़ाएंगे।

दक्षिणी चीन सागर:

  • दोनों पक्षों ने अंतर्राष्ट्रीय कानून, खासतौर पर संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि (United Nations Convention on the Law of the Sea),1982  के अनुसार विवादों के शांतिपूर्ण समाधान का समर्थन करते हुए दक्षिण चीन सागर में शांति, स्थिरता, सुरक्षा और समुद्री व हवाई परिवहन की आज़ादी को बनाए रखने के महत्त्व को दोहराया।
  • दोनों नेताओं ने डिक्लरेशन ऑन कंडक्ट ऑफ पार्टीज़ इन साउथ चाइना सी (Declaration on the Conduct of Parties in the South China Sea) को पूर्ण और प्रभावी ढंग से लागू करने की अपील की।

विभिन्न मंचों पर सहयोग:

  • दोनों पक्ष बहुपक्षीय और क्षेत्रीय सहयोग को मज़बूत करेंगे, जिसमें संयुक्त राष्ट्र, आसियान की अगुवाई वाली व्यवस्थाएँ तथा मेकांग उप-क्षेत्रीय साझेदारी शामिल है। 
  • दक्षिण-पूर्वी एशियाई राष्ट्रों का संगठन:
    • हिंद-प्रशांत क्षेत्र में साझेदारी को प्रोत्साहित करने के लिये प्रमुख क्षेत्रों और आसियान आउटलुक ऑन इंडो-पैसफिक (ASEAN Outlook on Indo-Pacific) तथा इंडियाज़ इंडो-पैसफिक ओसियंस इनिशिएटिव (India’s Indo-Pacific Oceans Initiative) में व्यक्त किये गए उद्देश्यों एवं सिद्धांतों के अनुसार आसियान व भारत के बीच व्यावहारिक सहयोग को बढ़ाने वाले अवसरों का स्वागत किया गया। 
  • दोनों पक्ष संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UN Security Council) सहित अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को अधिक प्रतिनिधित्व वाली, समकालीन और मौजूदा चुनौतियों से निपटने में सक्षम बनाने के लिये बहुपक्षवाद (Multilateralism) को सक्रियता के साथ प्रोत्साहित करेंगे। 

कोविड-19 महामारी का प्रबंधन:

  • वे कोविड-19 महामारी का प्रबंधन करने में अपने अनुभव साझा करेंगे और साझेदारी को बढ़ावा देंगे, स्वास्थ्य पेशेवरों की ऑनलाइन ट्रेनिंग का समर्थन करेंगे, टीके के विकास में संस्थागत सहयोग प्रदान करेंगे, खुली आपूर्ति शृंखलाओं को बढ़ावा देंगे, सीमा पार आवाजाही को सुविधाजनक बनाएंगे तथा WHO (World Health Organization) जैसी बहुपक्षीय संस्थाओं में घनिष्ठ संपर्क व तालमेल बनाए रखेंगे।
  • महामारी के बाद सहयोग:
    • दोनों पक्ष कोविड-19 महामारी से जन्मी नई चुनौतियों के साथ-साथ नए अवसरों को स्वीकार करते हुए विश्वसनीय, कुशल और अनुकूल आपूर्ति शृंखला के निर्माण की दिशा में काम करेंगे तथा मानव-केंद्रित वैश्वीकरण को बढ़ावा देंगे।

आर्थिक सहयोग:

  • वर्ष 2024 तक भारत के 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य और वर्ष 2045 तक उच्च आय वाली अर्थव्यवस्था बनने की वियतनाम की महत्त्वाकांक्षा की प्राप्त के लिये MSMES तथा कृषि समेत अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों का अच्छी तरह से दोहन किया जाएगा।
  • भारत और वियतनाम दोनों एक व्यापक रणनीतिक साझेदार हैं। इस आर्थिक सहयोग का एक बड़ा उदाहरण वियतनाम के निन्ह थुआन (Ninh Thuan) प्रांत में स्थानीय समुदाय के लाभ के लिये भारत की ओर से 15 लाख डॉलर के ‘सहायता अनुदान’ (Grant-in-Aid) से सात विकास परियोजनाओं को पूरा किया गया।

जलवायु परिवर्तन पर सहयोग:

  • दोनों पक्ष नई और नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों, ऊर्जा संरक्षण तथा अन्य जलवायु-अनुकूल प्रौद्योगिकियों में भागीदारी करेंगे।
  • भारत ने कहा कि भविष्य में अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन में वियतनाम की संभावित भागीदारी, सौर ऊर्जा को बड़े पैमाने पर विकसित करने में सहयोग के नए अवसर प्रदान करेगी।
  • भारत को उम्मीद है कि निकट भविष्य में आपदारोधी अवसंरचना गठबंधन (Coalition for Disaster Resilient Infrastructure) में वियतनाम शामिल होगा।
  • दोनों मेकांग - गंगा त्वरित प्रभाव परियोजनाओं (Mekong - Ganga Quick Impact Projects) के विस्तार पर सहमत हुए।

सांस्कृतिक सहयोग और जुड़ाव:

  • दोनों पक्ष वर्ष’ 2022 में भारत-वियतनाम राजनयिक संबंधों की 50वीं वर्षगाँठ को यादगार बनाने के लिये भारत-वियतनाम सांस्कृतिक और सभ्यता पर एक विश्वकोश को प्रकाशित करने के लिये सक्रिय रूप से सहयोग करेंगे।
  • दोनों पक्ष अपने साझा संस्कृति और सभ्यता (बौद्ध, चाम संस्कृति, परंपरा, प्राचीन शास्त्र) की विरासत को संजोएंगे तथा इसमें शोध कार्यों को बढ़ावा देंगे।
    • दोनों देशों में चिकित्सा की पारंपरिक प्रणालियाँ (आयुर्वेद और वियतनाम- पारंपरिक चिकित्सा) स्वास्थ्य संबंधी समृद्ध ज्ञान के कई सामान्य सूत्र साझा करते हैं।
  • वियतनाम में विरासत के संरक्षण में तीन विकास भागीदारी परियोजनाओं (माई सन मंदिर के एफ-ब्लॉक, क्वांग नाम में डोंग डुओंग बौद्ध मठ और फु येन में न्हान चाम टॉवर) पर अमल किया जाएगा जाएगा।

लोगों के बीच संपर्क:

  • दोनों पक्ष सीधी उड़ानों को बढ़ाकर, सरल वीज़ा प्रक्रियाओं द्वारा यात्राओं को आसान बनाकर और पर्यटन की सुविधाएँ बढ़ाकर लोगों के बीच घनिष्ठ आदान-प्रदान में वृद्धि के प्रयासों को तेज़ करेंगे।

शिक्षा और संस्थागत सहयोग:

  • वे अपने रिश्तों को संसदीय आदान-प्रदान, भारतीय प्रदेशों और वियतनामी प्रांतों के बीच संबंधों, शैक्षिक तथा अकादमिक संस्थानों के बीच सहयोग, संयुक्त शोध कार्यक्रम, फिल्म, खेल आदि के माध्यम से मज़बूत बनाएंगे। 
  • वे भारत-वियतनाम संबंधों और उनके ऐतिहासिक रिश्तों से जुड़ी सामग्री को एक-दूसरे के स्कूलों की पाठ्यपुस्तकों में बढ़ावा देने के लिये दोनों पक्षों की संबंधित एजेंसियों के बीच सहयोग को सुविधाजनक बनाएंगे।

आगे की राह

  • वियतनाम भारत की एक्ट ईस्ट नीति का एक प्रमुख स्तंभ है और दोनों देशों के बीच सहयोग की अभी काफी गुंजाइश है।
  • भारत और वियतनाम के बीच निकट संबंध दक्षिण-पूर्व एशिया (जहाँ चीन लगातार आक्रामक रुख अपना रहा है) में रणनीतिक संतुलन बनाए रखने के लिये काफी महत्त्वपूर्ण हैं।
  • वैश्विक स्तर पर चीन विरोधी भावनाओं के बीच कई कंपनियों ने चीन से हटने का निर्णय लिया है, जिससे भारत और वियतनाम के लिये कई आर्थिक अवसर उत्पन्न हुए हैं, आवश्यक है कि दोनों देश एक साथ मिलकर इन अवसरों का लाभ प्राप्त करें।
  • इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में मौजूद रणनीतिक चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए भारत और वियतनाम को बहुपक्षीय संस्थानों जैसे- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) आदि में निकटता के साथ कार्य करना चाहिये। ज्ञात हो कि भारत और वियतनाम को आगामी दो वर्षों के लिये संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अस्थायी सदस्यों के तौर पर चुना गया है।

स्रोत: पीआईबी

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