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शासन व्यवस्था

विद्युत (उपभोक्ताओं के अधिकार) नियम, 2020

  • 23 Dec 2020
  • 7 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा ‘विद्युत (उपभोक्ताओं के अधिकार) नियम, 2020’ को अधिसूचित किया गया है, जो देश में उपभोक्ताओं को विद्युत की विश्वसनीय एवं निरंतर आपूर्ति तक पहुँच की सुविधा प्रदान करेगा। 

  • गौरतलब है कि ‘विद्युत’ संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत समवर्ती सूची का विषय है और केंद्र सरकार के पास इस पर कानून बनाने की शक्ति तथा अधिकार है। 

प्रमुख बिंदु:

कवरेज:  

  • इन नियमों के तहत  देश में उपभोक्ताओं के लिये विद्युत आपूर्ति के विभिन्न पहलुओं को कवर किया गया है, जिनमें वितरण लाइसेंसधारियों के दायित्व, मीटरिंग की व्यवस्था, नए कनेक्शन जारी करना, मौजूदा कनेक्शनों में संशोधन, शिकायत निवारण और मुआवज़ा तंत्र शामिल हैं।

महत्त्व: 

  • यह वितरण कंपनियों को उपभोक्ताओं के प्रति अधिक जवाबदेह बनाएगा, इस प्रकार यह वितरण कंपनियों के एकाधिकार को कम करेगा और उपभोक्ताओं को अधिक विकल्प प्रदान करेगा।
  • इसके तहत अनुपालन सुनिश्चित करने के लिये सरकार द्वारा वितरण कंपनियों पर दंड लागू  करने का प्रावधान किया गया है तथा इससे प्राप्त राशि को उपभोक्ताओं के खाते में जमा किया जाएगा।
  • ये नियम देश भर में ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस (Ease of Doing Business) को आगे बढ़ाने की दिशा में भी एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
  • इन नियमों के कार्यान्वयन से नए बिजली कनेक्शन, रिफंड और ऐसी ही अन्य महत्त्वपूर्ण सेवाओं की आपूर्ति समयबद्ध तरीके से सुनिश्चित की जा सकेगी।

नियम में शामिल क्षेत्र: 

अधिकार और दायित्त्व:

  • अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, किसी परिसर के मालिक या पट्टेदार द्वारा किये गए अनुरोध पर विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करना प्रत्येक वितरण लाइसेंसधारी का उत्तरदायित्त्व होगा।
  • इसके तहत वितरण लाइसेंसधारी से विद्युत की आपूर्ति के लिये सेवा के न्यूनतम मानकों के संदर्भ में उपभोक्ताओं के अधिकारों को भी शामिल किया गया है।

नए कनेक्शन जारी करना और मौजूदा कनेक्शन में संशोधन:

  • पारदर्शी, सरल और समयबद्ध प्रक्रियाएँ।
  • आवेदक के लिये ऑनलाइन आवेदन का विकल्प।
  • चिह्नित क्षेत्रों में नए कनेक्शन प्रदान करने और मौजूदा कनेक्शन को संशोधित करने हेतु मेट्रो शहरों में 7 दिन और अन्य नगरपालिका क्षेत्रों में 15 दिन तथा’ ग्रामीण क्षेत्रों में 30 दिनों की अधिकतम अवधि।
  • कनेक्शन काटने और पुनः जोड़ने का प्रावधान। 

विद्युत मीटर से जुड़े प्रावधान: 

  • कोई कनेक्शन बगैर मीटर के नहीं दिया जाएगा।
  • सभी मीटर स्मार्ट प्रीपेमेंट मीटर या प्रीपेमेंट मीटर होंगे।
  • मीटरों के परीक्षण का प्रावधान। 
  • दोषपूर्ण/ जले हुए या चोरी हो गए मीटरों के प्रतिस्थापन के लिये प्रावधान।

बिलिंग और भुगतान: 

  • उपभोक्ता टैरिफ और बिलों में पारदर्शिता।
  • एक उपभोक्ता के पास बिल का भुगतान करने के लिये ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यम का विकल्प होगा।
  • बिलों के अग्रिम भुगतान का प्रावधान।

आपूर्ति की विश्वसनीयता:

  • वितरण लाइसेंसधारी को सभी उपभोक्ताओं को 24x7 बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित करनी होगी। हालाँकि कृषि जैसे उपभोक्ताओं की कुछ श्रेणियों के लिये आपूर्ति के कम घंटे निर्दिष्ट किये जा सकते हैं।
  •  वितरण लाइसेंसधारी को विद्युत कटौती की निगरानी और पुनर्बहाली के लिये एक तंत्र (जहाँ तक संभव हो स्वाचलित) की स्थापना करनी होगी।   

प्रोज़्यूमर (Prosumer) के रूप में उपभोक्ता:

  • इस स्थिति में एक प्रोज़्यूमर अपने उपभोक्ता होने के दर्जे को बनाए रखेंगे और उनके पास एक सामान्य उपभोक्ता के बराबर अधिकार होंगे परंतु उन्हें छत पर सौर ऊर्जा उपकरण के साथ नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन इकाइयों को स्थापित करने का भी अधिकार होगा।
    • एक प्रोज़्यूमर (Prosumer) वह व्यक्ति है जो  उपभोग के साथ-साथ  उत्पादन भी करता है।

लाइसेंस के प्रदर्शन मानक:

  • वितरण लाइसेंसधारियों के लिये प्रदर्शन के मानकों को अधिसूचित किया जाएगा।
  • प्रदर्शन के मानकों के उल्लंघन की स्थिति में वितरण लाइसेंसियों द्वारा उपभोक्ताओं को मुआवज़ा राशि देने का प्रावधान किया जाएगा।

मुआवज़ा तंत्र:

  • उपभोक्ताओं को स्वचालित मुआवज़े का भुगतान किया जाएगा, जिसके लिये मानकों के प्रदर्शन की निगरानी दूरस्थ रूप (Remotely) से की जा सकती है।

उपभोक्ता सेवाओं के लिये कॉल सेंटर:

  • वितरण लाइसेंसधारी को एक केंद्रीकृत 24x7 टोल-फ्री कॉल सेंटर स्थापित करना होगा।
  • लाइसेंसधारी एक एकीकृत दृष्टिकोण प्राप्त करने के लिये सभी सेवाओं को एक सार्वजनिक ‘ग्राहक संबंध प्रबंधन’ (Customer Relation Manager- CRM) प्रणाली के माध्यम से प्रदान करने का प्रयास करेंगे।

शिकायत निवारण तंत्र: 

  • उपभोक्ता शिकायत निवारण फोरम (CGRF) में उपभोक्ता और प्रोज़्यूमर के प्रतिनिधि शामिल होंगे।
  • इसे बहु स्तरीय बनाकर आसान कर दिया गया है और उपभोक्ता के प्रतिनिधियों की संख्या एक से चार कर दी गई है।
  • लाइसेंसधारक उस समय को निर्दिष्ट करेगा जिसके भीतर विभिन्न स्तरों पर फोरम द्वारा अलग-अलग प्रकार की शिकायतों का समाधान किया जाना है। शिकायत निवारण के लिये अधिकतम 45 दिनों की समयावधि निर्दिष्ट की गई है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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