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भारतीय अर्थव्यवस्था

क्लस्टर डेवलपमेंट प्रोग्राम-सुरक्षा

  • 19 Apr 2024
  • 15 min read

प्रिलिम्स के लिये:

CDP-सुरक्षा का परिचय, भारत में बागवानी की स्थिति, कृषि प्रौद्योगिकी।

मेन्स के लिये:

किसानों की आय दोगुनी करने में प्रौद्योगिकी की भूमिका, कृषि सब्सिडी से संबंधित मुद्दे और आगे की राह, कृषि में निवेश, कृषि सुधार।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्र सरकार ने क्लस्टर विकास कार्यक्रम (CDP) के तहत बागवानी क्षेत्र के किसानों को सब्सिडी देने के लिये CDP-सुरक्षा नामक एक नया प्लेटफॉर्म लॉन्च किया है।

  • इससे भारत के बागवानी क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा, जो कृषि सकल मूल्यवर्द्धन (GVA) में लगभग एक- तिहाई का योगदान देता है।

क्लस्टर डेवलपमेंट प्रोग्राम-सुरक्षा क्या है?

  • परिचय:
    • यहाँ सुरक्षा का अर्थ है “एकीकृत संसाधन आवंटन, ज्ञान एवं सुरक्षित बागवानी सहायता हेतु प्रणाली”
    • यह प्लेटफॉर्म नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) से ई-रुपी (E-RUPI) वाउचर का उपयोग करके किसानों के बैंक खातों में शीघ्र सब्सिडी प्रदान करने की अनुमति देगा।
    • इसमें पीएम-किसान के साथ डेटाबेस एकीकरण, NIC के माध्यम से क्लाउड-आधारित सर्वर स्पेस, UIDAI सत्यापन, eRUPI एकीकरण, स्थानीय सरकार निर्देशिका (LGD), सामग्री प्रबंधन प्रणाली, जियोटैगिंग और जियो-फेंसिंग जैसी विशेषताएँ शामिल हैं।
  • कार्यान्वयन:
    • यह प्लेटफॉर्म किसानों, विक्रेताओं, कार्यान्वयन एजेंसियों (IA), क्लस्टर विकास एजेंसियों (CDA), और राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड (NHB) के अधिकारियों तक पहुँच की अनुमति देता है।
    • इसमें किसान अपने मोबाइल नंबर का उपयोग करके लॉगिन कर सकता है, ऑर्डर दे सकता है और रोपण सामग्री की लागत में अपने हिस्से का योगदान कर सकता है।
    • भुगतान के बाद एक ई-रुपी वाउचर जेनरेट होगा। यह वाउचर एक विक्रेता को प्राप्त होगा, जो किसान को आवश्यक रोपण सामग्री प्रदान करेगा।
    • सामग्री की डिलीवरी के बाद किसानों को अपने खेत की जियो-टैगिंग तस्वीरों और वीडियो के माध्यम से डिलीवरी को सत्यापित करना होगा।
    • सत्यापन के पश्चात् कार्यान्वयन एजेंसियाँ (IA) ई-रुपी वाउचर हेतु विक्रेता को पैसा जारी करेंगी। विक्रेता को भुगतान का चालान पोर्टल पर अपलोड करना होगा।
    • IA सभी दस्तावेज़ एकत्र करेगा और सब्सिडी जारी करने के लिये उन्हें CDA के साथ साझा करेगा, इस प्रक्रिया के बाद ही IA को सब्सिडी जारी की जाएगी।
    • हालाँकि जिस किसान ने प्लेटफॉर्म का उपयोग करके पौध सामग्री की मांग की है, वह केवल पहले चरण में ही सब्सिडी का लाभ उठा सकता है।

ई-रुपी क्या है?

  • यह एकमुश्त भुगतान व्यवस्था (One-time Payment Mechanism) है जो उपयोगकर्त्ताओं को यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) ई-प्रीपेड वाउचर स्वीकार करने वाले व्यापारियों को कार्ड, डिजिटल भुगतान एप या इंटरनेट बैंकिंग एक्सेस के बिना वाउचर को भुनाने में सक्षम बनाता है।
  • e-RUPI को किसी विशिष्ट उद्देश्य या गतिविधि के लिये संगठनों द्वारा SMS या क्यूआर कोड के माध्यम से लाभार्थियों के साथ साझा किया जाएगा।

e-RUPI

भारत में बागवानी क्षेत्र की स्थिति क्या है?

  • भारत फलों और सब्ज़ियों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है।
  • देश में कुल बागवानी उत्पादन का लगभग 90% हिस्सा फलों और सब्जियों का है।
  • भारतीय बागवानी क्षेत्र कृषि सकल मूल्यवर्द्धित (Gross Value Added- GVA) में लगभग 33% योगदान देता है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिये अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
  • भारत वर्तमान में खाद्यान्नों की तुलना में अधिक बागवानी उत्पादों का उत्पादन कर रहा है, जिसमें 25.66 मिलियन हेक्टेयर बागवानी से 320.48 मिलियन टन और बहुत छोटे क्षेत्रों से 127.6 मिलियन हेक्टेयर खाद्यान्न का उत्पादन होता है।
    • बागवानी फसलों की उत्पादकता खाद्यान्न उत्पादकता (2.23 टन/हेक्टेयर के मुकाबले 12.49 टन/हेक्टेयर) की तुलना में बहुत अधिक है।
  • खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) के अनुसार, भारत कुछ सब्ज़ियों (अदरक तथा भिंडी) के साथ-साथ फलों (केला, आम तथा पपीता) के उत्पादन में अग्रणी है।
    • निर्यात के मामले में भारत सब्ज़ियों में 14वें और फलों में 23वें स्थान पर है तथा वैश्विक बागवानी बाज़ार में इसकी हिस्सेदारी मात्र 1% है।
    • बांग्लादेश, संयुक्त अरब अमीरात, नेपाल, नीदरलैंड, मलेशिया, श्रीलंका, यूके, ओमान और कतर ताज़े फल और सब्जियों के प्रमुख निर्यातक हैं।
  • भारत में लगभग 15-20% फल और सब्ज़ियाँ आपूर्ति शृंखला या उपभोक्ता स्तर पर बर्बाद हो जाती हैं, जो ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन (GHG) में योगदान करती हैं।

क्लस्टर विकास कार्यक्रम (CDP) क्या है?

  • परिचय :
    • यह एक केंद्र प्रायोजित कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य पहचान किये गए बागवानी क्लस्टर को विकसित करना है ताकि उन्हें वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्द्धी बनाया जा सके।
    • बागवानी क्लस्टर लक्षित बागवानी फसलों का क्षेत्रीय/भौगोलिक संकेंद्रण है।
  • कार्यान्वयन:
    • इसे कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड (NHB) द्वारा कार्यान्वित किया जाएगा।
    • इस प्रायोगिक (Pilot) परियोजना कार्यक्रम के लिये चुने गए कुल 55 बागवानी क्लस्टरों में से 12 बागवानी क्लस्टरों में लागू किया जाएगा।
      • इन क्लस्टरों को क्लस्टर विकास एजेंसियों (CDA) के माध्यम से कार्यान्वित किया जाएगा जिन्हें संबंधित राज्य/केंद्रशासित प्रदेश सरकार की सिफारिशों के आधार पर नियुक्त किया जाता है।
  • उद्देश्य:
    • भारतीय बागवानी क्षेत्र से संबंधित सभी प्रमुख मुद्दों (उत्पादन, कटाई/हार्वेस्टिंग प्रबंधन, लॉजिस्टिक, विपणन और ब्रांडिंग सहित) का समाधान करना।
    • CDP का लक्ष्य लक्षित फसलों के निर्यात में लगभग 20% सुधार करना और क्लस्टर फसलों की प्रतिस्पर्द्धात्मकता बढ़ाने के लिये क्लस्टर-विशिष्ट ब्रांड बनाना है।
    • भौगोलिक विशेषज्ञता (Geographical Specialisation) का लाभ उठाकर बागवानी क्लस्टरों के एकीकृत तथा बाज़ार आधारित विकास को बढ़ावा देना।
    • सरकार की अन्य पहलों जैसे कि कृषि अवसंरचना कोष (AIF) के साथ अभिसरण।
  • उदाहरण: 
    CDP के कार्यान्वयन के लिये पहचाने गए कुछ क्लस्टर हैं:
    • अनानास के लिये सिपाहीजला (त्रिपुरा)।
    • अनार के लिये सोलापुर (महाराष्ट्र) और चित्रदुर्ग (कर्नाटक)।
    • हल्दी के लिये पश्चिम जैंतिया हिल्स (मेघालय)।

बागवानी क्षेत्र के समक्ष क्या चुनौतियाँ हैं?

  • उत्पादन चुनौतियाँ: जैसे- छोटी परिचालन भूमि, सिंचाई सुविधाओं की कमी और खराब मृदा प्रबंधन, कीटों का खतरा आदि।
  • संस्थागत चुनौतियाँ: कृषि बीमा और कृषि मशीनीकरण की सीमित पहुँच, छोटे एवं सीमांत किसानों के लिये संस्थागत ऋण तक पहुँच की कमी इस क्षेत्र में कम निवेश का कारण है।
  • जलवायु परिवर्तन: जलवायु परिवर्तन से संबंधित घटनाएँ जैसे कि मौसम के बदलते पैटर्न, सूखा, बाढ़ और अन्य प्राकृतिक आपदाएँ, एक और गंभीर चुनौती है जो फसल की विफलता तथा नुकसान का कारण बन सकती है।
  • किसान उत्पादक संगठन (FPO): कमज़ोर FPO भी इस क्षेत्र के लिये चुनौतियाँ हैं, जो किसानों को उपलब्ध अवसरों का पूरा लाभ उठाने की क्षमता को सीमित करते हैं।
  • बुनियादी ढाँचे के मुद्दे: अन्य चुनौतियाँ जैसे फलों और सब्ज़ियों की खराब होने वाली प्रकृति, खराब रसद और समान कोल्ड स्टोरेज एवं गोदाम सुविधाओं की कमी, साथ ही किसानों के मार्गदर्शन की कमी कि कौन-सी फसलें बोई जाएँ, जिसके परिणामस्वरूप कुछ वस्तुओं का अधिक उत्पादन और अन्य की कमी होती है।

बागवानी क्षेत्र के विकास के लिये क्या पहलें की गई हैं?

  • राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड (NHB): 
    • इसकी स्थापना वर्ष 1984 में भारत सरकार द्वारा कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत एक स्वायत्त संगठन के रूप में की गई थी।
    • इसका उद्देश्य बागवानी उद्योग के एकीकृत विकास में सुधार करना और फलों तथा सब्ज़ियों के उत्पादन और प्रसंस्करण के समन्वय एवं रखरखाव में सहायता करना है।
  • क्लस्टर विकास कार्यक्रम: 
    • इसका उद्देश्य बागवानी समूहों की भौगोलिक विशेषज्ञता का लाभ उठाकर पूर्व-उत्पादन, उत्पादन, कटाई के बाद, रसद, ब्रांडिंग और विपणन गतिविधियों के एकीकृत और बाज़ार-आधारित विकास को बढ़ावा देना है।
  • CHAMAN (कोआर्डिनेटड हॉर्टिकल्चर एसेसमेंट एंड मैनेजमेंट):
  • एकीकृत बागवानी विकास मिशन (MIDH): 
  • बागवानी क्षेत्र उत्पादन सूचना प्रणाली (HAPIS): 
    • यह बागवानी फसलों के क्षेत्र तथा उत्पादन से संबंधित ज़िला-स्तरीय डेटा ऑनलाइन जमा करने हेतु एक वेब पोर्टल है।
  • प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY):
    • यह सिंचाई की समस्या का समाधान कर रही है जिसका उद्देश्य सिंचाई के बुनियादी ढाँचे के विकास को बढ़ावा देना, खेती योग्य क्षेत्रों का विस्तार करना और साथ ही खेत की जल दक्षता में वृद्धि करना है।

आगे की राह

  • इस क्षेत्र की उत्पादकता बढ़ाने एवं किसानों की आजीविका में सुधार हेतु सब्सिडी का प्रभावी एवं समय पर वितरण आवश्यक है।
  • भारतीय बागवानी क्षेत्र की उत्पादकता बढ़ाने की अत्यधिक संभावनाएँ है जो वर्ष 2050 तक देश की 650 मिलियन मीट्रिक टन फलों एवं सब्ज़ियों की अनुमानित मांग को पूरा करने के लिये अनिवार्य है।

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न:

प्रश्न. भारत में विभिन्न समस्याओं के समाधान हेतु सब्सिडी का उपयोग करने की व्यवहार्यता की चर्चा कीजिये तथा विश्लेषण कीजिये कि क्या यह राजकोषीय वित्त पर बोझ डालती है। प्रासंगिक उदाहरणों के साथ अपने तर्क का समर्थन कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न: किसान क्रेडिट कार्ड योजना के अंतर्गत किसानों को निम्नलिखित में से किस उद्देश्य के लिये अल्पकालिक ऋण सुविधा प्रदान की जाती है? (2020)

  1. कृषि संपत्तियों के रखरखाव के लिये कार्यशील पूंजी 
  2. कंबाइन हार्वेस्टर, ट्रैक्टर और मिनी ट्रक की खरीद 
  3. खेतिहर परिवारों की उपभोग आवश्यकता 
  4. फसल के बाद का खर्च 
  5. पारिवारिक आवास का निर्माण एवं ग्राम कोल्ड स्टोरेज सुविधा की स्थापना

निम्नलिखित कूट की सहायता से सही उत्तर का चयन कीजिये:

(a) केवल 1, 2 और 5
(b) केवल 1, 3 और 4
(c) केवल 2, 3, 4 और 5
(d) 1, 2, 3, 4 और 5

उत्तर: (b)


मेन्स:

प्रश्न. बागवानी फार्मों के उत्पादन, उत्पादकता एवं आय में वृद्धि करने में राष्ट्रीय बागवानी मिशन (एन.एच.एम.) की भूमिका का आकलन कीजिये। यह किसानों की आय बढ़ाने में कहाँ तक सफल हुआ है? (2018)

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