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डेली न्यूज़

कृषि

बागवानी कलस्‍टर विकास कार्यक्रम

  • 01 Dec 2022
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

बागवानी, क्लस्टर विकास कार्यक्रम, संबंधित पहल

मेन्स के लिये:

भारत का बागवानी क्षेत्र, क्लस्टर विकास कार्यक्रम और इसका महत्त्व, बागवानी के लिये सरकार की पहल

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा बागवानी क्लस्टर विकास कार्यक्रम (Horticulture Cluster Development Programme- CDP) के लिये एक बैठक आयोजित की गई थी।

  • CDP के कार्यान्वयन की मदद से देश में बागवानी के समग्र विकास पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
  • बागवानी पौधे कृषि की वह शाखा है जो बगीचे की फसलों, सामान्यतः फलों, सब्जियों और सजावटी पौधों से संबंधित है।

बागवानी क्लस्टर विकास कार्यक्रम:

  • परिचय:
    • यह एक केंद्र प्रायोजित कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य पहचान किये गए बागवानी क्लस्टर को विकसित करना है ताकि उन्हें वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्द्धी बनाया जा सके।
    • बागवानी क्लस्टर लक्षित बागवानी फसलों का क्षेत्रीय/भौगोलिक संकेंद्रण है।
  • कार्यान्वयन:
    • इसे कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड (NHB) द्वारा कार्यान्वित किया जाएगा।
    • अरुणाचल प्रदेश, असम, पश्चिम बंगाल, मणिपुर, मिज़ोरम, झारखंड, उत्तराखंड आदि राज्यों को भी 55 क्लस्टरों की सूची में शामिल किया जाएगा, जिनकी पहचान उनके फोकस/मुख्य फसलों के साथ की जाएगी।
      • इससे पहले पायलट चरण में इसे 11 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को कवर करने वाले 12 क्लस्टरों में लागू किया गया था।
  • उद्देश्य:
    • CDP का उद्देश्य लक्षित फसलों के निर्यात में लगभग 20% की वृद्धि करना और क्लस्टर फसलों की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने के लिये क्लस्टर-विशिष्ट ब्रांड बनाना है।
    • भारतीय बागवानी क्षेत्र से संबंधित सभी प्रमुख मुद्दों को संबोधित करना जिसमें पूर्व-उत्पादन, उत्पादन, कटाई के बाद प्रबंधन, रसद, विपणन और ब्रांडिंग शामिल हैं।
    • भौगोलिक विशेषज्ञता (Geographical Specialisation) का लाभ उठाकर बागवानी क्लस्टरों के एकीकृत तथा बाज़ार आधारित विकास को बढ़ावा देना।
    • सरकार की अन्य पहलों जैसे कि कृषि अवसंरचना कोष (AIF) के साथ अभिसरण करना।
    • CDP के माध्यम से बागवानी क्षेत्र में निवेश बढ़ाना।
  • महत्त्व:
    • क्लस्टर विकास कार्यक्रम में बागवानी उपज के कुशल और समय पर निकासी तथा परिवहन के लिये मल्टीमॉडल परिवहन के उपयोग के साथ अंतिम-मील कनेक्टिविटी (last-mile connectivity) बनाकर संपूर्ण बागवानी पारिस्थितिकी तंत्र को बदलने की एक बड़ी क्षमता है।

भारत में बागवानी की स्थिति:

  • स्थिति:
    • बागवानी फसलों के उत्पादन में भारत विश्व स्तर पर दूसरे स्थान पर है।
      • भारत आम, केला, अनार, चीकू, एसिड लाइम और आँवला जैसे फलों के उत्पादन में अग्रणी है।
    • वर्ष 2021-22 में, उत्तर प्रदेश के बाद मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल बागवानी उत्पादन में शीर्ष राज्य थे।
      • सब्जी उत्पादन में शीर्ष राज्य क्रमशः पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश थे।
      • फल उत्पादन में शीर्ष राज्य क्रमशः महाराष्ट्र आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश थे।
    • वर्ष 2021-22 में बागवानी फसलों का क्षेत्रफल बढ़कर 27.74 मिलियन हेक्टेयर हो गया और इससे लगभग 341.63 मिलियन टन उत्पादन हुआ।
  • बागवानी से संबंधित पहल:
    • एकीकृत बागवानी विकास मिशन (Mission for Integrated Development of Horticulture- MIDH)
      • MIDH फलों, सब्जियों और अन्य क्षेत्रों समेत बागवानी क्षेत्र के समग्र विकास के लिये एक केंद्र प्रायोजित योजना है।
      • MIDH के तहत, भारत सरकार सभी राज्यों में विकास कार्यक्रमों के लिये कुल परिव्यय का 60% योगदान करती है (पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों को छोड़कर जहाँ भारत सरकार 90% योगदान करती है) और 40% योगदान राज्य सरकारों द्वारा दिया जाता है।
      • बागवानी पर इसकी 5 प्रमुख योजनाएँ हैं:
        • राष्ट्रीय बागवानी मिशन (NHM)
        • पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों के लिये बागवानी मिशन (HMNEH)
        • राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड (NHB))
        • नारियल विकास बोर्ड (CBD) और
        • केंद्रीय बागवानी संस्थान (CIH), नागालैंड

  UPSC  सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. बागवानी फार्मों के उत्पादन, उत्पादकता और आय को बढ़ावा देने में राष्ट्रीय बागवानी मिशन (NHM) की भूमिका का आकलन कीजिये। यह किसानों की आय बढ़ाने में कहाँ तक सफल रही है? (2018)

स्रोत: पी.आई.बी



डेली न्यूज़

कृषि

बागवानी क्लस्टर विकास कार्यक्रम

  • 02 Jun 2021
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये 

बागवानी क्लस्टर विकास कार्यक्रम, बागवानी कृषि, कृषि अवसंरचना कोष , राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड, भारत में बागवानी फसलों के उत्पादन में अग्रणी राज्य, किसान उत्पादक संगठन 

मेन्स के लिये 

बागवानी कृषि की भूमिका, क्लस्टर विकास कार्यक्रम (CDP) संबंधी विभिन्न मुद्दे ( भूमिका, कार्यान्वयन, उद्देश्य, अपेक्षित लाभ), भारत में बागवानी क्षेत्र, बागवानी क्षेत्र संबंधी हालिया कदम

चर्चा में क्यों?

बागवानी उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिये कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने बागवानी क्लस्टर विकास कार्यक्रम (CDP) शुरू किया है।

  • बागवानी कृषि (Horticulture) सामान्यतः फलों, सब्जियों और सजावटी पौधों से संबंधित है। 

प्रमुख बिंदु 

क्लस्टर विकास कार्यक्रम (CDP) :

  • परिचय :
    • यह एक केंद्र प्रायोजित कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य पहचान किये गए बागवानी क्लस्टर को विकसित करना है ताकि उन्हें वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्द्धा बनाया जा सके।
      • बागवानी क्लस्टर लक्षित बागवानी फसलों का क्षेत्रीय/भौगोलिक संकेंद्रण है।
  • कार्यान्वयन:
    • इसे कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड (NHB) द्वारा कार्यान्वित किया जाएगा।
    • इस प्रायोगिक (Pilot) परियोजना कार्यक्रम के लिये चुने गए कुल 53  बागवानी क्लस्टरों में से 12 बागवानी क्लस्टरों में इसे लागू किया जाएगा।
      • इन क्लस्टरों को क्लस्टर विकास एजेंसियों (CDA) के माध्यम से कार्यान्वित किया जाएगा जिन्हें संबंधित राज्य/केंद्रशासित प्रदेश सरकार की सिफारिशों पर नियुक्त किया जाता है।
  • उद्देश्य:
    • भारतीय बागवानी क्षेत्र से संबंधित सभी प्रमुख मुद्दों (उत्पादन, कटाई/हार्वेस्टिंग प्रबंधन, लॉजिस्टिक, विपणन और ब्रांडिंग सहित) का समाधान करना।
    • भौगोलिक विशेषज्ञता (Geographical Specialisation) का लाभ उठाकर बागवानी क्लस्टरों के एकीकृत तथा बाज़ार आधारित विकास को बढ़ावा देना।
    • सरकार की अन्य पहलों जैसे कि कृषि अवसंरचना कोष (AIF) के साथ अभिसरण करना।
  • अपेक्षित लाभ:
    • इस कार्यक्रम से लगभग 10 लाख किसानों को मदद मिलेगी और सभी 53 क्लस्टरों का कार्यान्वयन होने पर इसमें 10,000 करोड़ रुपए का निवेश आकर्षित होने की अपेक्षा की गई है । 

भारत में बागवानी क्षेत्र:

Horticulture

  •  भारत बागवानी फसलों का विश्व में दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है, जो दुनिया के फलों और सब्जियों के उत्पादन का लगभग 12% है।
    • भारत केला, आम, अनार, चीकू (Sapota), निम्बू, आँवला जैसे फलों का सबसे बड़ा उत्पादक है।
  • वित्तीय वर्ष 2018-19 में फल उत्पादन में शीर्ष राज्यों में क्रमशः आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश थे।
    • सब्जी उत्पादन में शीर्ष राज्य क्रमशः पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश थे।
  • बागवानी फसलों के अंतर्गत विस्तारित क्षेत्र वित्तीय वर्ष 2018-19 में बढ़कर 25.5 मिलियन हेक्टेयर हो गया, जिसके कुल क्षेत्रफल का लगभग 20% खाद्यान्न के अंतर्गत शामिल था  तथा  इसमें 314 मिलियन टन का उत्पादन हुआ।
  • बागवानी क्षेत्र संबंधी हालिया कदम:
    • कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय (Ministry of Agriculture and Farmers Welfare) ने वर्ष 2021-22 के लिये 'एकीकृत बागवानी विकास मिशन' (MIDH) हेतु 2250 करोड़ रुपए आवंटित किये हैं।
    • MIDH फल, सब्जी, जड़ व कंद फसलों, मशरूम, मसालों, फूल, सुगंधित पौधों, नारियल, काजू, कोको, बाँस आदि बागवानी क्षेत्र की फसलों के समग्र विकास हेतु एक केंद्र प्रायोजित योजना है।

आगे की राह 

  • भारतीय बागवानी क्षेत्र में उत्पादकता बढ़ाने की संभावनाएँ काफी ज़्यादा हैं, जो वर्ष 2050 तक देश के 650 मिलियन मीट्रिक टन फलों और सब्जियों की अनुमानित मांग को पूरा करने के लिये ज़रूरी है।
  • इस दिशा में किये जाने वाले प्रयासों में खाद्यान्न उत्पादन हेतु रोपाई पर ध्यान केंद्रित करना, क्लस्टर विकास कार्यक्रम, कृषि अवसंरचना कोष (Agri Infra Fund) के माध्यम से ऋण मुहैया कराना, किसान उत्पादक संगठन (Farmers Producer Organisation) के गठन और विकास आदि शामिल हैं।

स्रोत : पी.आई.बी.

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