लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली न्यूज़

जैव विविधता और पर्यावरण

विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट- 2020

  • 19 Mar 2021
  • 11 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में स्विस संगठन IQAir द्वारा तैयार की गई विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट (World Air Quality Report) में उल्लेख किया गया है कि विश्व के शीर्ष 30 सबसे प्रदूषित शहरों में से 22 भारत में हैं।

  • इस रिपोर्ट को तैयार करने के लिये 106 देशों से PM2.5 डेटा एकत्र किया।

PM2.5

  • PM2.5, 2.5 माइक्रोमीटर से कम व्यास का एक वायुमंडलीय कण होता है, जो कि मानव बाल के व्यास का लगभग 3% होता है।
  • यह श्वसन संबंधी समस्याओं का कारण बन सकता है और हमारे देखने की क्षमता को भी प्रभावित करता है। साथ ही यह डायबिटीज़ का भी एक कारण होता है।
  • यह इतना छोटा होता है कि इसे केवल इलेक्ट्रॉन को माइक्रोस्कोप की मदद से ही देखा जा सकता है।
  • यह कण निर्माण स्थल, कच्ची सड़कें, खेत आदि जैसे कुछ स्रोतों से सीधे उत्सर्जित होते हैं।
  • अधिकांश कण वातावरण में सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसे रसायनों की जटिल प्रतिक्रियाओं के परिणामस्वरूप बनते हैं, जो बिजली संयंत्रों, उद्योगों और ऑटोमोबाइल से निकलने वाले प्रदूषक हैं।

प्रमुख बिंदु

देशों की राजधानियों की रैंकिंग:

  • दिल्ली को विश्व का सबसे प्रदूषित राजधानी शहर के रूप में स्थान दिया गया है, इसके बाद क्रमशः ढाका (बांग्लादेश), उलानबटार, (मंगोलिया), काबुल (अफगानिस्तान) और दोहा (कतर) का स्थान है।

देशों की रैंकिंग:

  • बांग्लादेश को पाकिस्तान और भारत के बाद सबसे प्रदूषित देश का दर्जा दिया गया है।
  • सबसे कम प्रदूषित देश प्यूर्टो रिको है, उसके बाद क्रमशः न्यू कैलेडोनिया और अमेरिकी वर्जिन आइलैंड हैं।

विश्व के शहरों की रैंकिंग:

  • चीन का होटन (Hotan) शहर विश्व का सबसे प्रदूषित (110.2 µg/m³) शहर है, उसके बाद उत्तर प्रदेश का गाजियाबाद ज़िला (106 µg/m³) है।

भारतीय परिदृश्य:

  • दिल्ली की वायु गुणवत्ता में वर्ष 2019-2020 के दौरान लगभग 15% की वृद्धि हुई है।
    • दिल्ली को 10वें सबसे प्रदूषित शहर और विश्व के शीर्ष प्रदूषित राजधानी शहर के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
  • गाजियाबाद विश्व का दूसरा और भारत का पहला सबसे प्रदूषित शहर है, इसके बाद बुलंदशहर, बिसरख जलालपुर, भिवाड़ी, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, कानपुर और लखनऊ का स्थान है।
  • वर्ष 2020 के अधिकांश दिनों में उत्तर भारतीय शहरों की तुलना में दक्कन के शहरों में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की दैनिक सीमा 25 µg/m3 से अपेक्षाकृत बेहतर वायु गुणवत्ता दर्ज की गई है।
    • हालाँकि भारत के प्रत्येक शहर में वर्ष 2018 और इसके पहले की तुलना में वायु गुणवत्ता में सुधार देखा गया, जबकि 63% शहरों में वर्ष 2019 की तुलना में प्रत्यक्ष सुधार देखा गया।
  • भारत में वायु प्रदूषण के प्रमुख स्रोतों में परिवहन, खाना पकाने के लिये बायोमास जलाना, बिजली उत्पादन, उद्योग, निर्माण, कृषि अपशिष्ट जलाना आदि शामिल हैं।
    • वर्ष 2020 में बड़े पैमाने पर कृषि अपशिष्ट जलाए गए, इसके अंतर्गत किसानों द्वारा फसल की कटाई के बाद बचे फसल अवशेषों में आग लगा दी जाती है। पंजाब में इस प्रकार की घटना वर्ष 2019 में 46.5% तक बढ़ गई।

कोविड और इसका प्रभाव:

  • वर्ष 2020 में कण-प्रदूषण के संपर्क में आने से कोविड-19 के प्रसार ने नई चिंताओं को जन्म दिया, जो वायरस के प्रति संवेदनशीलता और स्वास्थ्य पर इसके प्रभाव को बढ़ाता है।
  • प्रारंभिक रिपोर्टों से पता चला है कि कोविड-19 से और वायु प्रदूषण जोखिम के कारण मृत्यु का अनुपात 7% से 33% तक है।

दिल्ली में वायु प्रदूषण

  • दिल्ली-एनसीआर और गंगा के मैदानों में वायु प्रदूषण एक जटिल घटना है जो कई कारकों पर निर्भर है।
  • पवन की दिशा में परिवर्तन:
    • उत्तर-पश्चिम भारत में अक्तूबर माह में मानसून (Monsoon) की वापसी शुरू हो जाती है और हवाओं की दिशा उत्तर-पूर्व की तरफ होती है।
    • ये हवाएँ अपने साथ उत्तरी पाकिस्तान और अफगानिस्तान से धूल लेकर आती हैं।
  • हवा की गति में कमी:
    • उच्च गति वाली हवाएँ प्रदूषकों को हटाने में बहुत प्रभावी होती हैं, लेकिन सर्दियों में ग्रीष्मकाल की तुलना में हवा की गति में गिरावट आ जाती है जिससे यह क्षेत्र प्रदूषण का शिकार हो जाता है।
    • दिल्ली चारों तरफ से भू-भाग से घिरा है और इसे देश के पूर्वी, पश्चिमी या दक्षिणी हिस्से के खुले मौसम का लाभ नहीं मिल पाता है।
  • पराली दहन:
    • पंजाब, राजस्थान और हरियाणा में जलने वाले कृषि अपशिष्ट को सर्दियों के दौरान दिल्ली में धुंध का एक प्रमुख कारण माना जाता है।
      • इससे वायुमंडल में बड़ी मात्रा में ज़हरीले प्रदूषकों का उत्सर्जन होता है, जिनमें मीथेन (CH4), कार्बन मोनोऑक्साइड (CO), वाष्पशील कार्बनिक यौगिक (VOC) और कार्सिनोजेनिक पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन जैसी हानिकारक गैसें शामिल हैं।
    • वर्षों से धान के ठूँठ/कृषि अपशिष्ट को खेत से हटाने या साफ करने के लिये उसमें आग लगाने की विधि को अन्य निपटान के तरीकों से आसान और सस्ता माना जाता रहा है।
  • वाहन प्रदूषण:
    • वाहन दिल्ली की हवा की गुणवत्ता को सर्दियों में खराब करने वाला सबसे बड़े कारण हैं, ये इस क्षेत्र में कुल PM2.5 कणों के लगभग 20% उत्सर्जन के लिये ज़िम्मेदार हैं।
  • धूल के तूफान:
    • खाड़ी देशों से आने वाले धूल के तूफान यहाँ की पहले से ही खराब स्थिति को और बढ़ा देते हैं। बारिश के दिनों में विशेषकर अक्तूबर और जून के बीच नहीं दिखने वाला धूल का प्रकोप शुष्क ठंडे मौसम में प्रभावी हो जाता है।
    • धूल प्रदूषण, PM10 और PM2.5 कणों के लिये लगभग 56% तक ज़िम्मेदार है।
  • तापमान में कमी:
    • वायु की दिशा में परिवर्तन के साथ-साथ तापमान में गिरावट भी प्रदूषण के बढ़ते स्तर का एक प्रमुख कारक है। जैसे ही तापमान बढ़ता है, प्रतिलोम ऊँचाई (वह परत जिसके ऊपर प्रदूषक वायुमंडल में फैल नहीं सकते) कम हो जाती है और ऐसा होने पर हवा में प्रदूषकों की सांद्रता बढ़ जाती है।
  • पटाखे:
    • पटाखों के बिक्री पर प्रतिबंध के बावजूद इनका इस्तेमाल दिवाली पर होना एक आम बात है। हालाँकि यह वायु प्रदूषण का प्रमुख कारक नहीं है, लेकिन इसे बढ़ाने में निश्चित रूप से योगदान करता है।
  • निर्माण गतिविधियाँ और खुले में अपशिष्ट को जलाना:
    • दिल्ली-एनसीआर में बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य हवा में धूल और प्रदूषण बढ़ने का एक अन्य प्रमुख कारण है। दिल्ली में कचरे के लैंडफिल साइटों में कचरे को जलाना भी वायु प्रदूषण को बढ़ता है।

उठाए गए प्रमुख कदम

  • टर्बो हैप्पी सीडर (Turbo Happy Seeder- यह ट्रैक्टर के साथ लगाई जाने वाली एक प्रकार की मशीन होती है जो फसल के अवशेषों को उनकी जड़ समेत उखाड़ फेंकती है) खरीदने के लिये किसानों को सब्सिडी दी गई।
  • वाहनों से होने वाले प्रदूषण कम करने के लिये BS-VI वाहनों की शुरुआत करना, इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा, एक आपातकालीन उपाय के रूप में ऑड-ईवन का प्रयोग, पूर्वी एवं पश्चिमी परिधीय एक्सप्रेस-वे का निर्माण आदि।
  • राजधानी में बढ़ते प्रदूषण से निपटने के लिये ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (Graded Response Action Plan) का कार्यान्वयन। इसमें थर्मल पावर प्लांट बंद करने और निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने जैसे उपाय शामिल हैं।
  • केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central Pollution Control Board) के तत्त्वावधान में सार्वजनिक सूचना के लिये राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक (NAQI) का विकास। इस सूचकांक के अंतर्गत 8 वायु प्रदूषकों (PM2.5, PM10, अमोनिया, लेड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, ओज़ोन और कार्बन मोनोऑक्साइड) को शामिल किया गया है।

    आगे की राह

    • वायु प्रदूषण से निपटने के लिये उचित राजनीतिक इच्छाशक्ति, लोगों में जागरूकता और अधिक-से-अधिक पारदर्शिता का होना एक प्रमुख शर्त है, अन्यथा सभी उपाय केवल कागज़ पर ही रह जाएंगे।
    • सक्रिय नागरिकों की तुलना में कोई बेहतर प्रहरी नहीं हो सकता है, इसलिये प्रदूषण के लक्ष्य को हर साल सार्वजनिक किया जाना चाहिये ताकि वर्ष के अंत में इसका मूल्यांकन किया जा सके।
    • स्वच्छ हवा में साँस लेना हर भारतीय नागरिक का मौलिक अधिकार है। इसलिये मानव स्वास्थ्य के लिये वायु प्रदूषण से निपटने को प्राथमिकता दी जानी चाहिये।

    स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

    close
    एसएमएस अलर्ट
    Share Page
    images-2
    images-2