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आंतरिक सुरक्षा

अरुणाचल सीमा पर अवसंरचना विकास

  • 22 Feb 2021
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्र सरकार ने अरुणाचल प्रदेश में महत्त्वपूर्ण अवसंरचना विकास के लिये 1,100 करोड़ रुपए से अधिक राशि की मंज़ूरी दी है।

  • सुरक्षा मामलों पर मंत्रिमंडलीय समिति (CCS) ने ‘भारत-चीन सीमा सड़क’ (ICBR) योजना के चरण II के तहत 32 सड़कों के निर्माण से संबंधित प्रस्ताव को भी मंज़ूरी दी है।
  • इससे पूर्व सरकार द्वारा प्रतिबंधात्मक नीति का पालन किया जा रहा था और चीन की सीमा के साथ लगे क्षेत्रों के विकास पर अधिक ध्यान नहीं दिया गया था।

प्रमुख बिंदु

  • अरुणाचल प्रदेश में महत्त्वपूर्ण अवसंरचना विकास
    • अधिकांश परियोजनाओं की शुरुआत अरुणाचल के उत्तरी और उत्तर-पूर्वी हिस्से में चीन की सीमा से लगे क्षेत्रों में चलाई जा रही है।
    • इसके तहत 598 किलोमीटर लंबी सड़कों और 18 फुट-ट्रैक्स के निर्माण की परिकल्पना की गई है।
      • यह भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) की क्षमता में वृद्धि करेगा। इन ट्रैक्स का उपयोग सेना द्वारा सैनिकों और आवश्यक सामग्री के परिवहन के लिये मुख्य सीमा सड़कों के पूरक के रूप में किया जा सकता है।
  • भारत-चीन सीमा सड़क योजना
    • इस योजना का पहला चरण वर्ष 2005 में तब शुरू किया गया था, जब गृह मंत्रालय ने चीन से लगे क्षेत्रों में 912 करोड़ रुपए की लागत के साथ 608 किलोमीटर लंबी कुल 27 सड़कों का निर्माण करने और सीमा सड़क संगठन (BRO) द्वारा 14 सड़कों का निर्माण किये जाने की योजना बनाई गई थी।
      • कुछ महत्त्वपूर्ण परियोजनाओं में लद्दाख की दरबूक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी (DSDBO) सड़क और रोहतांग सुरंग तथा पूर्वोत्तर मे सेला सुरंग शामिल हैं।
    • भारत-चीन सीमा सड़क योजना के दूसरे चरण के तहत कुल 12,434.90 करोड़ रुपए की लागत से 638.12 किलोमीटर लंबी सड़कों के निर्माण की योजना बनाई गई है, जो कि लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश से होकर गुजरेंगी।
  • अरुणाचल प्रदेश की सीमा के पास सड़कों का महत्त्व
    • अरुणाचल प्रदेश, चीन के साथ अपनी सबसे लंबी सीमा साझा करता है, जिसके बाद म्याँमार और भूटान का स्थान है।
      • इसके अलावा चीन संपूर्ण अरुणाचल प्रदेश को दक्षिण तिब्बत के रूप में मान्यता देता है।
    • सीमा क्षेत्रों में उचित संचार और अन्य बुनियादी सुविधाओं का अभाव न केवल स्थानीय आबादी को प्रभावित करता है, बल्कि यह देश की सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी चिंता का एक प्रमुख कारण है।
    • उत्तर-पूर्व में उग्रवाद, तस्करी और अवैध प्रवासन भी सीमा सुरक्षा को प्रभावित करते हैं।
    • अतिक्रमण: चीन ने अरुणाचल के सीमावर्ती क्षेत्रों में राजमार्गों सहित नए गाँवों और सड़क नेटवर्क की स्थापना में महत्त्वपूर्ण प्रगति की है।
  • अन्य संबंधित कदम
    • भारत सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम (BADP) का 10 प्रतिशत फंड केवल चीन की सीमा के साथ लगे क्षेत्रों की बुनियादी अवसंरचना में सुधार के लिये खर्च किया जाएगा।
    • सीमा सड़क संगठन (BRO) ने अरुणाचल प्रदेश में सुबनसिरी नदी पर दापोरिजो पुल का निर्माण किया है।
    • रक्षा मंत्री ने हाल ही में अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामेंग ज़िले में नेचिपु में एक सुरंग की आधारशिला रखी है।
    • अरुणाचल प्रदेश सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय सीमा से सटे क्षेत्रों से शहरी केंद्रों की ओर जनसंख्या के पलायन (विशेष रूप से चीन सीमा के साथ लगे क्षेत्रों से) को रोकने के लिये केंद्र सरकार से पायलट विकास परियोजनाओं की मांग की है। अरुणाचल प्रदेश सरकार ने भारत-चीन सीमा पर बुनियादी ढाँचे के विकास के लिये पायलट परियोजनाओं के रूप में 10 जनगणना शहरों (Census Towns) के चयन की सिफारिश की है।
    • वर्ष 2019 में अरुणाचल प्रदेश में निचली दिबांग घाटी में स्थित सिसेरी नदी पुल (Sisseri River Bridge) का उद्घाटन किया गया था, जो दिबांग घाटी को सियांग से जोड़ता है।
    • वर्ष 2019 में भारतीय वायु सेना ने अरुणाचल प्रदेश में भारत के सबसे पूर्वी गाँव-विजयनगर (चांगलांग ज़िले) में पुनर्निर्मित हवाई पट्टी का उद्घाटन किया।
    • वर्ष 2019 में भारतीय सेना ने अपने नए ‘इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप्स’ (IBG) के साथ अरुणाचल प्रदेश और असम में 'हिमविजय' (HimVijay) अभ्यास किया था।
    • बोगीबील पुल जो भारत का सबसे लंबा सड़क-रेल पुल है, असम में डिब्रूगढ़ को अरुणाचल प्रदेश में पासीघाट से जोड़ता है। इसका उद्घाटन वर्ष 2018 में किया गया था।

स्रोत: द हिंदू

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